Malmas 2023 : आज से मलमास की महीना शुरू हो गया है. इसे अधिकमास या पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. अधिक मास हर तीन साल में आता है. अभी सावन चल रहे हैं और मलमास सावन के महीने में लगा है. इस समय दान पुण्य और जप तप को विशेष शुभदायी माना गया है. लेकिन कुछ काम मलमास में निषेध होते हैं.
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Malmas 2023 : आज से मलमास की महीना शुरू हो गया है. इसे अधिकमास या पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. अधिक मास हर तीन साल में आता है. अभी सावन चल रहे हैं और मलमास सावन के महीने में लगा है. इस समय दान पुण्य और जप तप को विशेष शुभदायी माना गया है. लेकिन कुछ काम मलमास में निषेध होते हैं.
आज यानि की 18 जुलाई दिन मंगलवार से शुरू होकर मलमास 16 अगस्त 2023 को समाप्त होगा. इस समय कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. मलमास हर तीन साल में एक बार आता है. हिंदू पंचांग के अनुसार एक सौर वर्ष में कुल 12 संक्रांति होती है. जिस महिने में कोई संक्रांति नहीं होती है, उसी महीने को अधिकमास कहा जाता है. जिसमें शादी-विवाह, मुंडन, अन्नप्राशन संस्कार, गृह प्रवेश, भूमि पूजन जैसे शुभ काम नहीं किये जाते हैं.
मान्यता के अनुसार मलमास में नया घर बनवाने से बचना या फिर नया काम करने से बचना चाहिए. यहीं नहीं इस दौरान कुआं, बावली, तालाब और बाग-बगीचे लगाने की शुरुआत भी नहीं की जाती है. प्रथम व्रतारंभ, व्रत उद्यापन, देव प्रतिष्ठा, वधू प्रवेश के साथ ही इस समय भूमि की खरीदारी भी न हीं करनी चाहिए.
मलमास और अधिकमास के महीने में जितना हो सके दान-पुण्य करें और जरुरतमंद लोगों को दान करें . मलमास में दान करने से अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिल जाती है. इस महीने में भगवान विष्णु की आराधना और धार्मिक अनुष्ठानों को करने से कई गुना पुण्य मिलता है. मलमास में श्राद्ध कर्म भी किये जाते हैं.
मलमास में क्या करें क्या ना करें
शुद्ध और सात्विक भोजन करें. आचरण भी ऐसा ही होना चाहिए.
मलमास में एक समय भोजन करना अच्छा माना जाता है.
अधिकमास में तिल, चना, मूंगफली, चावल, मटर, ककड़ी, आम, पीपल, जीरा, सुपारी, सेंधा नमक, कटहल, गेहूं, सफेद धान, मूंग, घी, धनिया, मिर्च आदि का सेवन करना चाहिए.
लहसुन-प्याज, मांस मदिरा, अंडे, नशीले पदार्थ, मछली, बासी भोजन, शहद, चावल का मांड, मूंग दाल, मसूर दाल, उड़द दाल, साग-सब्जी, तिल का तेल, राई, गोभी आदि का सेवन बिल्कुल भी ना करें.
क्या है मलमास की पौराणिक कथा
हिंदू मान्यता के अनुसार, मलमास का कोई स्वामी नहीं था. जिसके कारण इसकी गिनती मुख्य महीनों में नहीं की जाती है. माना जाता है कि जब महीनों के नाम का बंटवारा हो रहा था, तब अधिकमास उदास और दुखी दिखा था. उसने अपनी व्यथा नारद जी से भी कही. तब नारद जी उसे भगवान कृष्ण के पास ले गये. मलमास ने अपनी व्यथा भगवान विष्णु से कही तो भगवान विष्णु ने कहा कि अधिकमास तुम मुझे अत्यंत प्रिय रहोगे और तुम्हारा एक नाम पुरुषोत्तम मास भी होगा जो मेरा ही एक नाम है. इस महीने का स्वामी मैं ही रहूंगा. जो लोग इस मास में दान-पुण्य करेंगे उन्हे दुगुना फल मिलेगा. इस महीने की गिनती अन्य 12 महीनों से अलग है, इसलिए इस महीने में लौकिक कार्य भी मंगलप्रद ही रहेंगे. लेकिन कुछ ऐसे कार्य हैं, जिन्हें इस महीने में करने से बहुत ही शुभ फल मिलते हैं.
मलमास में ये करना शुभकर
अधिकमास में श्रीहरि यानी भगवान विष्णु की पूजा करना सबसे श्रेष्ठ कहा गया है. सभी शुभ कार्यों की मनाही जरूर इस समय होती है, लेकिन भगवान सत्यनारायण की पूजा इस समय करने से सबसे ज्यादा शुभफल मिलता है और भगवान विष्णु की पूजा से माता लक्ष्मी भी प्रसन्न हो जाती है और घर परिवार में धन वैभव आता है. यहीं नहीं मलमास में किसी मनोकामना के साथ किया गया यज्ञ सभी इच्छाओं की पूर्ति करने वाला होता है.