झुंझुनूं के बिसाऊ की विश्व प्रसिद्ध है मूक रामलीला, अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में मिलेगा मंच, 26 सितंबर से होगी शुरू
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झुंझुनूं के बिसाऊ की विश्व प्रसिद्ध है मूक रामलीला, अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में मिलेगा मंच, 26 सितंबर से होगी शुरू

 झुंझुनूं के बिसाऊ की विश्व प्रसिद्ध मूक रामलीला विश्व की एकमात्र ऐसी लीला है, जिसमें पात्र संवाद नहीं बोलते, बल्कि इशारों में अभिनय करते हैं. इसका मंचन किसी एक मंच पर नहीं बल्कि करीब 500 मीटर खुले मैदान में होता है. 

फाइल फोटो.

बिसाऊ: झुंझुनूं के बिसाऊ की विश्व प्रसिद्ध मूक रामलीला विश्व की एकमात्र ऐसी लीला है, जिसमें पात्र संवाद नहीं बोलते, बल्कि इशारों में अभिनय करते हैं. इसका मंचन किसी एक मंच पर नहीं बल्कि करीब 500 मीटर खुले मैदान में होता है. मंचन का तरीका भी अपने आपमें अनूठा ही है. यहां हर पात्र दंगल में नाचते-कूदते हुए इशारों में अभिनय कर अपनी बात दर्शकों तक पहुंचाता है. नवरात्र से शुरू होने वाली इस अनूठी लीला की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, विश्व की एकमात्र इस अनूठी मूक रामलीला को अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर के संग्रहालय में भी स्थान मिलेगा. वहां पर बिसाऊ की इस धरोहर के चित्र और स्वरूपों के मुखौटे आदि का प्रदर्शन किया जाएगा. 

इसके लिए पिछले साल विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रमेश गुप्ता लीला का अवलोकन करने बिसाऊ आए थे. वे यहां से अपने साथ लीला संबंधित वीडियो, फोटो, पात्रों के मुखौटे व गद्दा, धनुष इत्यादि साथ लेकर गए थे. रामलीला प्रबंध समिति के अध्यक्ष कन्हैयालाल पुजारी के अनुसार उन्होंने आश्वासन दिया है कि जैसे ही अयोध्या का श्रीराम मंदिर बनकर तैयार होगा, fallbackवहां संग्रहालय में सबसे पहले मूक रामलीला को स्थान दिलवाएंगे. मूक रामलीला को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने और पर्यटन मानचित्र में जगह दिलाने के लिए मुंबई प्रवासी उद्योगपति कमल पोदार व विप्र फाउंडेशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष महाबीर प्रसाद सोती आदि भी प्रयासरत हैं. इस लीला को देखने दोनों समुदायों के लोग आते हैं.

पहली बार लीला में हास्य कॉमिक होगा
रामलीला प्रबंध समिति के सह संयोजक नरेश बंसल के अनुसार इस बार मूक रामलीला के आयोजन को ऐतिहासिक बनाने के लिए प्रवासियों सहित कस्बे के युवा जोर शोर से जुटे हुए हैं, रामलीला में पहली बार हास्य कॉमिक भी शामिल किया गया है. हालांकि यह भी मूक ही होगा. किसी भी तरह का कोई संवाद नहीं होगा.fallback बिना संवाद के हाव भाव से हास्य कॉमिक की प्रस्तुति दी जाएगी. इससे पहले कभी भी कॉमिक नहीं करवाया गया. रामलीला में अलग अलग दिन पांच पुतलों का दहन होगा. लंका दहन, नारायणंतक, मेघनाथ, कुंभकरण व रावण के पुतलों का दहन किया जाएगा.

 यह एक मात्र ऐसी लीला है जिसमें रावण के अलावा मेघनाथ कुंभकरण व नारायणंतक का भी पुतला दहन किया जाता है. इस बार महिला व पुरुषों के लिए बैठने की अलग अलग व्यवस्था होगी. टेंट लगाया जाएगा. गेट लगेगा. रामायण की चौपाइयों का पाठ किया जाएगा.

180 साल पहले गांगियासर रोड स्थित रामाणा जोहड़ में हुई थी शुरुआत
रामलीला को वरिष्ठ कलाकार त्रिलोकचंद शर्मा के अनुसार बिसाऊ की इस अनूठी रामलीला की शुरुआत आज से करीब 180 वर्ष पहले बिसाऊ में गांगियासर रोड स्थित रामाणा जोहड़ में हुई थी. तब उत्तरप्रदेश से आई साध्वी जमना ने इसकी शुरुआत की थी. उन्होंने जो परिकल्पना की थी, वह आज साकार हो रही है. विश्व की इस धरोहर को जीवित बनाए रखने के लिए सभी को प्रयास करने होंगे. अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के संग्रहालय में मूक रामलीला को स्थान दिलाने का प्रयास चल रहा है. यह कस्बेवासियों के लिए गर्व और खुशी की बात है.

15 दिन चलेगा लीला का दंगल, 200 मुखौटे तैयार करवाए
रामलीला प्रबंध समिति के वरिष्ठ सदस्य श्रीकिशन स्वामी कहते हैं कि वे पिछले 25 वर्षों से लीला से जुड़े हुए हैं. इसमें कलाकार संवाद नहीं बोलते. पूरी लीला मूक ही होती है. इसलिए इसमें विभिन्न पात्रों के मुखौटों का बड़ा महत्व है. मुखौटा देखकर ही दर्शक पात्र की भूमिका समझ लेते हैं. इसके लिए इस बार 200 मुखौटे तैयार करवाए गए हैं. इसके साथ ही संजीवनी बूटी वाला पहाड़, स्वरूपों के मुखौटे, ड्रेस आदि भी तैयार करवाई गई हैं. बिसाऊ में गढ़ के पास होने वाली रामलीला का दंगल करीब 500 मीटर एरिया में होगा. रामलीला का आयोजन नवरात्र से शुरू होगा. 

प्रथम नवरात्रा से शुरू होने वाली विश्व की एक मात्र मूक रामलीला की सभी तैयारियां पूर्ण हो गई हैं. इसे अलग पहचान दिलाने के लिए सभी प्रयासरत हैं. कस्बेवासी तन मन से जुटे हुए हैं. इस बार प्रवासी भी अधिक संख्या में रामलीला देखने बिसाऊ आएंगे. वे कहते हैं कि इस धरोहर को बनाए रखने के लिए अब युवा पीढ़ी को आगे आना होगा.

26 सितंबर से शुरू होगा अनूठी रामलीला का मंचन
मूक रामलीला का मंचन 26 सितंबर से शुरू होगा. इसमें 10 हजार तीर, 21 गदा, 25 धनुष, लकड़ी की 50 तलवार, 5 भाले, 35 शक्ति बाण, 11 फीट लंबी शिव धनुष, संजीवनी बूटी वाला पहाड़, स्वरूपों के मुखौटे, ड्रेस आदि तैयार कर ली गई है. 15 दिन तक पूरे दंगल की सजावट की जाएगी. दंगल में प्रतिदिन रामा दल व राक्षस दल के 30 कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे.

व्यवस्था बनाने के लिए तैनात रहेंगे 50 स्वयंसेवक
लीला के दंगल में व्यवस्था बनाने के लिए 50 स्वयंसेवक नियुक्त किए जाएंगे. अतिथियों का सम्मान करने के लिए स्टेज भी रहेगा। लीला को देखने आने वाले प्रवासियों और मुस्कान केंद्र के वरिष्ठ नागरिकों के बैठने की अलग से व्यवस्था होगी. लीला की जानकारी देने के लिए कमेंटेटर भी रहेगा.

15 दिन की लीला में आखिरी दस दिन होगी तीरों की बारिश
मूक रामलीला में शुरुआत के पांच दिन राम जन्म सहित विभिन्न लीलाओं का मंचन किया जाएगा. आखिरी के दस दिन राम रावण युद्ध की लीला का मंचन होता है. इस दौरान ही तीरों की बारिश होती है. पारीक के अनुसार आखिरी के दस दिन रोज 800 से 1000 तीरों की बारिश होगी. इसके लिए 25 धनुष तैयार किए गए हैं। इसके अलावा 21 गदा, लकड़ी की 50 तलवार, 5 भाले, 35 शक्ति बाण, 11 फीट लंबी शिव धनुष तैयार किए गए हैं.

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Reporter- Sandeep Kedia

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