जूते-चप्पल सिलकर बेटियों को बना रहे डॉक्टर, बोले- कर्ज बन गया है जिंदगी का हिस्सा लेकिन बेटियों की नहीं होगी हमारी जैसी जिंदगी
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जूते-चप्पल सिलकर बेटियों को बना रहे डॉक्टर, बोले- कर्ज बन गया है जिंदगी का हिस्सा लेकिन बेटियों की नहीं होगी हमारी जैसी जिंदगी

झुंझुनू जिले के पौंख गांव के प्रकाश रसगनीया ने जूते सिलकर भी पैसे ना जुटा पाये तो कर्ज लेकर प्रकाश ने बेटियों को मेडिकल कॉलेज में दाखिला कराया. एक बेटी अंजेश एमबीबीएस में अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही है जबकि दूसरी बेटी पूजा होम्योपैथिक चिकित्सा में द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रही है.

कर्ज  लेकर बेटियों को बनाया डॉक्टर.

Jhunjhunu News: हर मां-बाप का सपना होता है कि उसकी औलाद पढ़-लिखकर अच्छा इंसान बने, उनका नाम रोशन करे और सहारा बने. झुंझुनू जिले के एक पिता ने शायद ये मान लिया था कि मान लो तो हार है, ठान लो तो जीत. लक्ष्य कितना भी मुश्किल हो, लेकिन जज्बे और जुनून से सफलता मिलती ही है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है झुंझुनू जिले के गुढ़ा तहसील के निकटवर्ती पौंख गांव के प्रकाश रसगनीया ने. कस्बे में जूता-चप्पल सिलने वाले पौंख गांव के प्रकाश रसगनीया ये साबित कर दिया है कि अगर जुनून जज्बा हो तो कुछ भी हासिल करना असंभव नहीं है. गांव में प्रकाश के तारीफों के पुल बांधने से नहीं थक रहे हैं. 

एक नहीं दोनों बेटियों को डॉक्टर की पढ़ाई करवा रहे
जिले के गुढ़ा तहसील के निकटवर्ती पौंख गांव के प्रकाश रसगनीया ने भी अपनी बेटियों के लिए कुछ ऐसे ही सपने देखे और उसके लिए ना सिर्फ जी तोड़ मेहनत की बल्कि कर्ज लेकर अपनी दोनों बेटियों की जिंदगी को सवारने के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी. आज प्रकाश रसगनीयां अपनी दोनों बेटियों को डॉक्टर की पढ़ाई करवा रहे हैं.

झुंझुनू के प्रकाश रसगनिया जूते सिलने का काम है
झुंझुनू के प्रकाश रसगनिया का  काम मोची की दुकान पर बैठकर जूते सिलने का है, लेकिन बेटियों की शिक्षा से उन्होंने कभी समझौता नहीं किया. दिन रात मेहनत कर और कर्ज लेकर भी उन्होंने अपनी दोनों बेटियों को अच्छी तालीम दी जिसका फल उन्हें आज मिल रहा है. प्रकाश चन्द रसगनियां की दोनों बेटियां डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही हैं. एक बेटी एमबीबीएस कर रही है तो दूसरी होम्योपैथिक कॉलेज में पढ़ाई कर रही है. प्रकाश का कहना है कि बेटियां डॉक्टर बन जाएं यही उनका सपना है.

 एक बेटी एमबीबीएस तो दूसरी होम्योपैथिक कॉलेज में पढ़ाई कर रही
प्रकाश की एक बेटी अंजेश एमबीबीएस में अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही है जबकि दूसरी बेटी पूजा होम्योपैथिक चिकित्सा में द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रही है. दोनों बेटियों का सपना है कि कोई गरीब पैसों की कमी के कारण बिना इलाज के न रह जाए. दोनों बेसहारा बच्चों को पढ़ा भी रही हैं.

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पत्नी छोटी देवी मनरेगा मजदूरी का काम करती है
प्रकाश ने बताया कि वे गांव में जूते सिलने का काम करते हैं और उनकी पत्नी छोटी देवी मनरेगा मजदूर हैं. दोनों बेटियां शुरू से ही पढ़ाई में तेज थीं. हमेशा उन्हें स्कॉलरशिप और प्रतिभा सम्मान मिला है. पिता प्रकाशचन्द रसगनियां ने बताया कि जूता सिलाई व बनाने का उनका पैतृक काम है. उसके इस काम में उसकी पत्नी छोटी देवी, बेटी पूजा व अंजेश भी हाथ बंटाती हैं. अब भी दोनों बेटियां छुट्टियों में घर आती हैं तो उसके साथ बैठकर जूते बनाने के काम में मदद करती हैं. प्रकाश बताते हैं कि पढ़ाई और बाहर रहने का खर्च इतना होता है कि खुद के लिए कुछ नहीं कर पाते. कर्ज भी हो गया है सिर पर लेकिन लगता है कि बेटियां कुछ बन जाएंगी तो उन्हें हमारे जैसी जिंदगी नहीं जीनी पड़ेगी.

बड़हलगंज गोरखपुर में हुआ चयन
पूजा और अंजेश ने बताया कि दसवीं तक गांव के सरकारी विद्यालय में उन्होंने शिक्षा ली. गांव में विज्ञान विषय नहीं होने के कारण उन्हें बाहर निजी विद्यालय में 12वीं तक पढ़ाई करनी पड़ी. दोनों ने 2017 में 12वीं की पढ़ाई पूरी की. अगले साल 2018 में छोटी बहन अंजेश का एमबीबीएस में चयन हुआ. अंजेश झालावाड़ राजकीय मेडिकल कॉलेज में अंतिम वर्ष में अध्ययनरत है. बड़ी बहन पूजा का 2020 में होम्योपैथिक चिकित्सक के लिए शहीद हरिप्रसाद मल राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल बड़हलगंज गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) में चयन हुआ. वह द्वितीय वर्ष की पढ़ाई कर रही है.

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