Jaipur: शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन माता कूष्मांडा को समर्पित है... इस दिन कूष्मांडा माता की विधि विधान से पूजा कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है. मान्यता है कि आठ भुजाओं वाली कूष्मांडा मां भक्तों के सारे दुख और कष्टों का नाश करती हैं.
भक्त इस दिन व्रत के साथ-साथ मां की आराधना करते हैं. ऐसे में आज मां कूष्मांडा की व्रत कथा, पूजा विधि, आरती और मंत्रों के बारे में जानेंगे.
ब्रह्म मुहूर्त में उठने के बाद स्नान आदि करके श्वेत रंग के कपड़े पहनें. सूर्य भगवान को जल अर्पण करके व्रत का संकल्प लें. अब सबसे पहले कलश की पूजा करें. साथ ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का आवाहन करें.
इसके बाद देवी को फूल और माला चढ़ाएं. पूजा के बाद मां की कथा सुनें और मंत्रों का जाप करें. मां का भोग लगाकर आरती गाएं.
दुर्गा का चौथा स्वरूप कूष्मांडा मां का है. मां की आठ भुजाएं हैं - कमंडल, धनुष बाण, चक्र, गदा, अमृतपूर्ण कलश, कमल पुष्प. सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है.
जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था तब माता ने ब्रह्मांड की रचना की. ब्रह्मांड की रचना करके सृष्टि की आदिस्वरूपा और आदिशक्ति बन गई थीं. मात्र एक ऐसी माता है, जो सूर्यमंडल के भीतर के लोक में निवास करती हैं. इनकी पूजा करके व्यक्ति अपने कष्टों और पापों को दूर कर सकता है.
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