Bizarre News: जब हम किसी से सच्चा प्यार करते हैं, तो हर समय उसको खोने का डर सताता रहता है. हर कोई सोचता है कि वह जिससे प्यार करता है, वह हमेशा उसके साथ रहे लेकिन जिंदगी के बेरहम चक्र के आगे किसी चलती है? दुनिया में आने वाले हर शख्स को एक न एक दिन यहां से जाना ही होता है. वहीं, मध्य प्रदेश में एक शख्स अपनी पत्नी को इतना प्यार करता है कि उसने उसकी मौत के बाद उसका मंदिर बना दिया. उसने ऐसा क्यों किया, यह जानने के लिये आप पूरी खबर पढ़िए.
लोगों को हैरान करने वाली यह खबर मध्य प्रदेश में सितंबर 2021 में सामने आई तो पढ़ने वालों ने दांतों तले उंगली दबा ली. शाजापुर जिले में एक परिवार की महिला का जब देहांत हुआ तो पूरा परिवार उस गम में डूब गया. पत्नी की मौत के बाद पति ने हमेशा उसको साथ रखने के लिए उसका मंदिर ही बनवा दिया ताकि मौत के बाद भी वह उसके साथ रहे. पति ने पत्नी की यह प्रतिमा 3 फीट की बनवाई. यह देखकर गांववाले भी हैरान रह गए.
जानकारी के अनुसार, पत्नी के नाम पर बना यह अनोखा मंदिर शाजापुर जिला मुख्यालय लगभग 3 किमी दूर सांपखेड़ा गांव में स्थित है. इस मंदिर में स्वर्गीय गीताबाई राठौड़ की प्रतिमा है, जो कि बंजारा समाज से ताल्लुक रखती थी. गीताबाई के पति नारायणसिंह राठौड़ और उनके परिजन हर रोज इस प्रतिमा का पूजा-सत्कार करते हैं. घर के सभी शुभ कामों से पहले गीताबाई का आशीर्वाद लिया जाता है. घर में बनने वाले भोजन का सबसे पहले भोग गीताबाई को लगाया जाता है. यहां तक कि हर रोज उनकी प्रतिमा की साड़ी भी बदली जाती है.
बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 27 अप्रैल 2021 को गीताबाई का निधन हो गया था. उन्हें बचाने के लिए परिजनों ने हर संभव कोशिश की थी पर बचा न सके. गीताबाई के दुनिया से जाने के बाद उनके बेटों के चेहरे मुरझा गए. वे अपनी मां से बहुत ज्यादा प्यार करते थे. मां से बिछड़कर उनकी जिंदगी मायूस हो गई थी. उन लोगों ने पिता से मां की याद में मंदिर बनवाने का विचार रखा. पिता नारायण सिंह को यह आइडिया पसंद आया और वह मंदिर बनवाने के लिए राजी हो गए.
परिजनों ने अलवर के कलाकारों को 29 अप्रैल को गीताबाई की प्रतिमा बनाने का ऑर्डर दे दिया. डेढ़ महीने बाद गीताबाई की प्रतिमा भी आ गई. उसे देखकर पूरे परिवार के चेहरे पर खुशी छा गई. सबको लगा कि मानो गीताबाई ही वापस आ गई हों. मूर्ति स्थापना के लिए पंडितों को बुलाया गया और विधिवत मूर्ति की स्थापना की गई.
दिवंगत गीताबाई के बेटों का कहना है कि मां बस अब बोलती नहीं हैं लेकिन वह हर पल हमारे साथ हैं. परिवार को कोई न कोई सदस्य हर दिन उनकी पूजा करता है. हर दिन उनकी साड़ी बदली जाती है और भोजन भी करवाया जाता है. आजकल ऐसा प्यार कहां देखने को मिलता है.
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