Advertisement
trendingPhotos/india/rajasthan/rajasthan2368876
photoDetails1rajasthan

भगवान सूर्य के पास है इस शिवलिंग का रिमोट कंट्रोल, जानें मालेश्वर धाम की अनोखी महिमा

Jaipur News: आज सावन माह का दूसरा सोमवार है. तमाम शिवालयों में हर हर महादेव, बम बम भोले की गूंज, गूंज रही है. शिवभक्त भोलेनाथ को रिझाने के लिए शिव आराधना कर रहे हैं. आज हम आपको अनूठे शिवलिंग के दर्शन करवाएंगे, जिसका उल्लेख शिव पुराण में भी है. इतना ही नहीं, यह स्‍वयंभू शिवलिंग स्‍वत: सूर्य के साथ हर छ: माह में अपना झुकाव बदल लेता है. 

 

मालेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता

1/6
मालेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता

ये है अरावली पर्वत श्रृंखला के बीच बसे सामोद कस्‍बे के पास महार कलां गांव. इस गांव में स्थित एक ऐसा शिवलिंग है, जो सूर्य की गति के अनुसार हर छ: माह में अपना झुकाव बदल लेता है. इसे मालेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है. यह शिवलिंग हर 6 माह में सूर्य की गति के अनुसार सूर्य की दिशा में झुक जाता है. इस तरह का ये देश में यह अनूठा शिव मंदिर है. प्रकृति की गोद में बसा यह स्थान अपने आप में काफी मनोरम है, जहां बारिश में बहते प्राकृतिक झरने, आसपास पौराणिक मानव सभ्यता-संस्कृति की कहानी कहते अति प्राचीन खण्डहर इस स्थान की प्राचीनता को दर्शाते हैं.

 

क्या है मंदिर के पुजारी महेश व्यास का कहना

2/6
क्या है  मंदिर के पुजारी महेश व्यास का कहना

मालेश्‍वर धाम जयपुर से लगभग चालीस किलोमीटर दूर है. जयपुर-अजीतगढ़ रोड पर बसे इस गांव के बस स्टैण्ड से मंदिर तक पहुंचने के लिए एक किलोमीटर पक्की सड़क बनी हुई है. इस मंदिर में विराजमान शिवलिंग सूर्य की दिशा के अनुरूप घूमने के लिए विख्यात है. मंदिर के पुजारी महेश व्यास बताते हैं की सूर्य हर वर्ष छह माह में उत्तरायण और दक्षिणायन दिशा की ओर अग्रसर होता रहता है. उसी तरह यह शिवलिंग भी सूर्य की दिशा में झुक जाता है.

 

व्यास परिवार करता आ रहा पूजा

3/6
व्यास परिवार करता आ रहा पूजा

इस मंदिर की सेवा पूजा पीढ़ी दर पीढ़ी व्यास परिवार करता आ रहा है. महेश व्यास के अनुसार मुगल काल में इस मंदिर को औरंगजेब ने नष्ट करने की चेष्‍टा की थी लेकिन मधुमखियों के हमले के कारण मुगल सेना को उल्‍टे पांव भागना पड़ा. मुगल सैनिक शिवलिंग को नही तोड़ पाए. कहा जाता है कि इसी मंदिर में विष्‍णु भगवान की मूर्ति को तोड़ दिया था. उस जमाने में तोड़ी गई शेष शैया पर लक्ष्मी जी के साथ विराजमान भगवान विष्णु की खण्डित मूर्ति आज भी मौजूद है.

 

कभी खाली नहीं होते प्राकृतिक कुण्ड

4/6
कभी खाली नहीं होते प्राकृतिक कुण्ड

इस मंदिर के आसपास चार प्राकृतिक कुण्ड भी हैं, जिनमें पानी कभी खाली नहीं होते हैं. ये कुण्ड मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों, जलाभिषेक और सवामणी आदि करने वालों के लिए प्रमुख जलस्रोत हैं. इनमें दो कुण्डों में पानी निकालने के लिए मोटर पम्प भी लगा रखे हैं. बावजूद इसके ये कुण्ड कभी खाली नहीं होते हैं.यहां के स्‍थानीय लोग बताते हैं कि जब यहां के राजा सहस्‍त्रबाहु ने जगदम्‍नी ऋषि के आश्रम पर हमला करके आश्रम को तहस नहस कर दिया था. तब उनके पुत्र भगवान परसुराम ने राजा सहस्‍त्रबाहु का वध कर दिया था. इतना ही राजा सहस्‍त्रबाहु के सभी वंशजो का खात्‍मा करने के बाद एक आकाशवाणी के अनुसार भगवान परसुराम ने इसी शिवलिंग के सामने बैठकर तपस्‍या की थी.

 

श्रृद्धालुओं की यहां भीड़ रहती

5/6
श्रृद्धालुओं की यहां भीड़ रहती

सावन के महीने में श्रृद्धालुओं की यहां भीड़ रहती हैं. वे कहते हैं कि करोड़ों शिवलिंगों की पूजा अर्चना के बाद जितना फल नहीं मिलता, उससे कई गुना ज्‍यादा फल इस मालेश्‍वर महादेव शिविलिंग की पूजा के बाद मिलता है. इस स्वयं भू शिवलिंग की महिमा का वर्णन शिव पुराण में माहशमति के नाम से हैं. इस शिव लिंग की सबसे खास बात यह है कि जिस जलहरी पर शिवलिंग हैं, वहां का पानी कभी कम नहीं होता है. यहां पर बहने वाले प्राकृतिक झरनों का लुत्फ उठाने के लिए आस पास के अलावा जयपुर, सीकर, दिल्ली से भी लोग पहुंचते हैं और जमकर यहां मस्ती करते हैं. पिकनिक मनाने के लिए आने वाले लोगों के लिए भी यह स्थान बड़ा मनमोहक है.

 

धार्मिक स्थल पर प्रकृति भी खूब मेहरबान

6/6
धार्मिक स्थल पर प्रकृति भी खूब मेहरबान

पहाड़ियों के घिरे इस धार्मिक स्थल पर प्रकृति भी खूब मेहरबान है. थोड़ी बारिश में ही मंदिर के आसपास प्राकृतिक झरने बहने लगते हैं. तब यहां की प्राकृतिक छटा और भी मनमोहक हो सुखद अहसास कराती है.सावण माह में बारिश के दिनों में रोज गोठें सवामणी होती हैं. क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या महिला ,क्या पुरुष हर कोई प्रकृति के इस अनूठे नजारे को अपनी आंखों में कैद करना चाहता है.