Rajasthan Culture | Tanot Mata | Navratri : पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाके जैसलमेर में स्थित तनोट माता के मंदिर में भक्त संकट की घड़ी में शीश नवाते हैं. यह वह जगह है जहां बम बरसाते ही पाकिस्तान 1965 में युद्ध हार गया था. आज भी संकट के दौर में आम लोगों से लेकर खास तक हर कोई तनोट माता के दरबार में हाजरी लगता है. फिर चाहे राजस्थान में सियासी संकट के वक्त या फिर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले अशोक गहलोत यहां पहुंचे थे. अपने जैसलमेर यात्रा के दौरान अमित शाह भी तनोट माता के दर्शन करने पहुंचे थे. नवरात्री में भी तनोट माता का मंदिर भक्तों की भीड़ से लबरेज नजर आता है.
तनोट माता को देवी हिंगलाज माता का ही रूप माना जाता है. हिंगलाज माता शक्तिपीठ वर्तमान में पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के लासवेला जिले में स्थित है. विक्रम संवत 828 में मारवाड़ के भाटी राजपूत राजा तणुराव ने तनोट को अपनी राजधानी बनाया था. कहा जाता है कि इसी दौरान माता तनोट राय का मंदिर बनाकर मूर्ति को यहां स्थापित किया था. आज भी भाटी राजवंशी तनोट माता की उपासना करते हैं.
यह मंदिर 1965 के लोंगेवाला युद्ध से जुड़ा हुआ है जब पाकिस्तानी सेना ने मंदिर पर लगभग 3000 बम फेंके थे, लेकिन उनमें से कोई भी विस्फोट नहीं हुआ था. युद्ध के बाद माता के चमत्कार को देख कर पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी ब्रिगेडियर शाहनवाज खान भी तनोट माता के शरण में आने से खुद को रोक नहीं पाए थे. मंदिर के मैदान में लगभग 450 पाकिस्तानी बम अभी भी जनता के देखने के लिए प्रदर्शित हैं.
जैसलमेर के तनोट गांव में स्थित तनोट माता मंदिर में बड़ी संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु पहुंचते हैं. इस मंदिर से जुडी कई किंवदंतियों है जो इसकी आध्यात्मिक को और भी विस्मय और आश्चर्य से भर देती है. 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद से इस मंदिर की देखभाल सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की ओर से किया जाता है.
राष्ट्रीय अध्यक्ष का नामांकन भरने से पहले अशोक गहलोत ने गोविन्द सिंह डोटासरा और मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के साथ तनोट माता के दर्शन किए.
गृह मंत्री अमित शाह ने भी जैसलमेर दौरे के दौरान तनोट माता के दर्शन किए थे.
चमत्कारिक माने जाने वाला यह मंदिर 1200 साल पुराना है. मुगल बादशाह से जुड़े किस्से भी प्रसिद्ध है.
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