Jaipur: ज्योतिष में रूचि रखने वाले लोगों के मन में उच्च और नीच राशियों में स्थित ग्रहों को लेकर एक प्रबल धारणा बनी हुई है. इसके अनुसार जब जन्मकुंडली में कोई ग्रह उच्च का होता है तो शुभ फल देता है. अगर कोई ग्रह नीच का होता है तो जातक के जीवन में उथल-पुथल मचाकर रख देता है लेकिन अक्सर कई बार उच्च ग्रह भी शुभ फल नहीं दे पाता है.
उच्च ग्रह का व्यक्ति कभी-कभी अपने व्यवहार या दृष्टि से ग्रह के उच्च प्रभाव को खत्म कर देता है. यह उच्च हो और लोगों या गुरु का अपमान करता है तो सूर्य नीच का फल देने लगता है.
उच्च चंद्र वाला व्यक्ति माता या दादी का निरादर करें तो उच्च का चंद्र शुभ परिणाम नहीं देता.
मंगल: उच्च मंगल वाला व्यक्ति मित्र, भाई से विश्वासघात करें तो उच्च मंगल का कोई लाभ नहीं मिलता.
बुध उच्च का हो और किसी देवी का निरादर करें तो नीच के बुध जैसा प्रभाव दिखाने लगता है.
गुरु: उच्च बृहस्पति का जातक देवता का निरादर करें तो बृहस्पति का शुभ प्रभाव नष्ट होता है.
शुक्र: उच्च के शुक्र वाला जातक गाय को सताए या स्त्रियों का अपमान करें तो उच का लाभ नहीं होता.
शनि: उच्च शनि का जातक मांस, शराब का सेवन करें तो नीच शनि जैसा प्रभाव दिखता है.
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