Jaipur News: आसन को उंगली दिखाने पर निलंबित किए गए कांग्रेस विधायक मुकेश भाकर को सदन से बाहर निकलने को लेकर सोमवार को सदन में जमकर हंगामा हुआ. सदन में मार्शल और कांग्रेस विधायकों के बीच जमकर भिड़ंत और धक्का-मुक्की भी हुई. धक्का-मुक्की के चलते वरिष्ठ विधायक हरिमोहन शर्मा जमीन पर गिर गए तो वहीं महिला विधायक अनीता जाटव की चूड़ियां टूट गई. इसी बीच सभापति संदीप शर्मा ने सदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. सदन स्थगित होने के बाद भी विधायकों और मार्शल के बीच धक्का-मुक्की चलती रही. बाद में मार्शल संजय चौधरी ने सभी मार्शलों को वहां से हटाया. भाकर के निलंबित किए जाने के बाद सदन की कार्यवाही दो बार आधे घंटे के लिए स्थगित करनी पड़ी. इससे पहले सदन में कांग्रेस विधायकों ने कानून मंत्री जोगाराम पटेल के इस्तीफे की मांग को लेकर काफी देर नारेबाजी भी की.
दरअसल मार्शल के सदन में प्रवेश करते ही कांग्रेस विधायकों ने भाकर के चारों तरफ सुरक्षा घेरा बना लिया था. महिला विधायकों ने भाकर को अपने बीच में ले रखा था, इस दौरान घेरा तोड़ने के लिए मार्शल को काफी जद्दोजहद करनी पड़ी. महिला विधायक भी मोर्चा संभालते हुए महिला मार्शल से भिड़ गईं. काफी देर मार्शल और विधायकों के बीच एक दो बार हाथापाई की नौबत भी आई. महिला विधायकों ने मार्शल पर बदसलूकी के आरोप भी लगाए.
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सरकार के सामने संवैधानिक संकट है. सरकार ने पीपी और एपीपी की नियुक्ति सीआरपीसी के तहत की है और भारतीय न्याय संहिता लागू होने के बाद यह नियुक्तियां शून्य हो जाती हैं. हमने आसान से यह मांग की थी कि इस पर सरकार का जवाब आ जाना चाहिए. सरकार इस पर कोई जवाब नहीं देना चाहती. सत्ता पक्ष के लोग विपक्षी सदस्यों को उकसाते हैं, जिससे गतिरोध हो जाता है. मुकेश भाकर का निलंबन निंदनीय है. हम सदन में रात भर धरना देंगे.
दरअसल एपीपी और पीपी की नियुक्तियों को लेकर चल रहे शोर-शराबे के बीच कांग्रेस विधायक मुकेश भाकर ने आसन की तरफ उंगली उठा थी, जिस पर विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी भड़क गए. स्पीकर ने कांग्रेस विधायक को चेतावनी देते हुए कहा कि आसन से ऐसे बात करोगे, शर्म नहीं आती आपको, ऐसी कार्यवाही होगी कि सदन में प्रवेश नहीं कर पाओगे. इसके बाद देवनानी मुख्य सचेतक जोगेश्व गर्ग को निलंबन का प्रस्ताव लेने के आदेश दिए. गर्ग ने कहा कि आसन की अवहेलना हो रही है, आसन को धमकाया जा रहा है.
मैं प्रस्ताव करता हूं कि कांग्रेस विधायक मुकेश भाकर को सत्र की शेष कार्यवाही से निकाला जाए. उसके बाद स्पीकर देवनानी ने भाकर को सत्र की शेष कार्यवाही से निलंबित करने के आदेश दिए और सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थित कर दी, लेकिन भाकर सदन में ही बैठे रहे. उसके बाद जब दोबारा कार्यवाही शुरू हुई तो सभापति संदीप शर्मा ने सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी. इसके बाद फिर सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो सभापति संदीप शर्मा ने विधायकों के अनुभव और नवाचारों को लेकर नाम पुकारा. साथ ही मुकेश भाकर को सदन से बाहर जाने के लिए कहा, सभापति ने कहा कि आसन ने जो आदेश दिए हैं उसकी पालना करो. सदन से बाहर जाइए लेकिन मुकेश भाकर महिला विधायकों के बीच ही सदन में ही बैठे रहे. इस पर सभापति संदीप शर्मा ने मशाल को सदन में आने के आदेश दे दिए. इसके बाद कांग्रेस विधायक को मार्शल के बीच ज़बरदस्त भिड़ंत हो गई. धक्का-मुक्की के बीच ही सदन की कार्यवाही मंगलवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.
कांग्रेस महिला विधायक को अनीता जाटव, शिखा मिल बराला और इंदिरा मीणा ने कहा कि सदन में ही महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं तो सड़कों पर कैसे सुरक्षित होंगी. सदन में महिलाओं से बदसलूकी गई. अनिता मीणा ने अपनी टूटी हुई चूड़ियां और चोट भी दिखाई.
संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बिना नियमों में आए विपक्ष ने विषय उठाया. एपीपी और पीपी अधिवक्ता नियुक्त करने की प्रक्रिया पुराने कानून में शुरू हो चुकी थी और कई जगह प्रक्रिया पूरी भी हो चुकी है. इस बात को अनावश्यक रूप से मुद्दा बनाकर सदन में गतिरोध पैदा किया. कांग्रेस के एक विधायक ने आक्रामक रूप से आसन की ओर बढ़ने का प्रयास किया. इसलिए उन्हें निलंबित किया गया. अपने बेटे के अतिरिक्त महाधिवक्ता को लेकर कहा कि उनकी नियुक्ति एक प्रक्रिया के तहत सात माह पहले हुई थी.
विधानसभा में हुए घटनाक्रम को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा पर निशाना साधा. गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि पहले विधानसभा में कांग्रेस विधायक मुकेश भाकर का निलंबन और जबरन निष्कासन. फिर मार्शल की ओर से वरिष्ठ विधायक हरिमोहन शर्मा को जमीन पर गिराना और महिला विधायक अनिता जाटव से बदसलूकी कर उनकी चूड़ियां तक तोड़ देने की मैं कड़े शब्दों में निंदा करता हूं. यह भाजपा सरकार की तानाशाही सोच का नतीजा है, जिसके कारण चुने हुए जनप्रतिनिधियों के साथ ऐसा दुर्व्यवहार किया गया.
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