गुलाबीनगरी जयपुर 295 साल का हो गया, अपनी बाहों में स्वर्णिम इतिहास के साथ-साथ आज की आधुनिकता को भी समेटे हुए है. एक ऐसा शहर जिसके आबोहवा में एक अलग ही रंगत है, सांसें लो तो ऐसा लगता है जैसे हवा महल की सारी खिड़कियां खुली हो, आंखें देखें तो सिर्फ आमेर महल से ढलते हुए.
23 मई 1919 को लंदन में जन्मी जयपुर की महारानी गायत्री देवी का नाम आज भी दुनिया की सबसे खूबसूरत महिलाओं की फेहरिस्त में शुमार है. गायत्री देवी के पिता कूचबिहार (अब पश्चिम बंगाल) के राजकुमार थे, उन्हें घर में सब प्यार से 'आयशा' नाम से पुकारते थे, उन्होंने शांति निकेतन, स्विट्ज़रलैंड और लंदन में पढ़ाई की. अंग्रेज़ी पत्रिका वॉग ने उन्हें दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत महिलाओं में से एक बताया.
गायत्री देवी ना सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती थी बल्कि उनका स्टाइलिश अंदाज भी चर्चाओं रहता था, शिफॉन की साड़ी पहनने वाली महारानी गायत्री देवी अक्सर स्टाइलिश वेस्टर्न ड्रेसेस में भी नजर आती थी.
महारानी गायत्री देवी को बचपन से ही पोलो खेलने का बेहद शौक था, देश में पोलो की दुनिया में हैंडसम हंक में से एक जयपुर के राजा सवाई मान सिंह द्वितीय पोलो के बेहतरीन खिलाड़ी थे, 12 साल की उम्र में गायत्री देवी पहली बार 21 साल के राजा सवई मान सिंह से मिली और इस पहली ही मुलाकात में गायत्री देवी जय सिंह को अपना दिल दे बैठी.
इतिहास के पन्नों में गायत्री देवी का नाम सिर्फ खूबसूरती और फ़ैशन के लिए दर्ज नहीं है बल्कि उन्होंने रूढ़ीवादी परंपराओं को भी तोड़ा है. गायत्री देवी ना सिर्फ कुप्रथाओं के खिलाफ लड़ी बल्कि लड़कियों की शिक्षा के लिए भी बहुत काम किया.
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ एक ही स्कूल में पढ़ने वाली गायत्री देवी ने जब सियासत में कदम रखा तो देश में जीत के पिछले सारे रिकॉर्ड धवस्त हो गए. 1962 में उन्होंने पहला चुनाव लड़ा और उन्हें 1,92,909 वोट मिले. इस वजह से उनका नाम गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ.इसी के साथ वो राजस्थान से लोक सभा में पहली महिला सांसद चुन कर पहुंची.
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