Jaipur News: सभी कष्टों के निवारण एवं ईश्वर प्राप्ति के लिए नित्य पूजा विधि का मार्ग श्रेष्ट माना गया है. नित्य पूजन और नित्य पूजा मंत्र जपने से श्रद्धा और विश्वास का ही जन्म नही होता है अपितु मन में एकाग्रता और दृढ इच्छाशक्ति का संचार होता है. दृढ़ संकल्प से हम किसी भी तरह के कार्य को कर पाने में सक्षम हो पाते हैं तो आईए जानते हैं नित्य पूजा विधि क्या है और साथ ही जानेंगे पूजा करने के नियम-
नित्यकर्म से शौच, स्नान आदि से निवृत्त होकर ही पूजा पर बैठना चाहिए.
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अगरबत्ती, पंच-पात्र, चमची, धूपबत्ती, आरती, जल गिराने की तस्तरी, चंदन, रोली, अक्षत, दीपक, नैवेद्य, घी उपकरण यथा-स्थान डिब्बों में रखने चाहिए.
आसन कुशाओं का उत्तम है, चटाई में काम चल सकता है. मोटा या गुदगुदा आसन भी रखा जा सकता है.
किसी पशु का चमड़ा भी आसन के स्थान पर प्रयोग नहीं करना चाहिए.
शंख, सीपी मूंगा जैसी जीव शरीरों से बनने वाली मालाएं निषिद्ध हैं.
पूजा उपचार के लिये प्रातःकाल का समय सर्वोत्तम है. स्थान और पूजा उपकरणों की सफाई नित्य करनी चाहिए.
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