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राजस्थान के बारे में वो 10 बातें, जो आप जानते है गलत

Misconceptions / Myth about Rajasthan : राजस्थान से निकल कर बाहर रहने वाले हर राजस्थानी को कई ऐसे सवालों का सामना करना पड़ता है जो सच नहीं है, तो चलिए जानते हैं इन सवालों की सच्चाई.

पूरा राजस्थान मरुस्थल नहीं

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पूरा राजस्थान मरुस्थल नहीं

नहीं, राजस्थान का थार मरुस्थल विश्व का 17वां सबसे बड़ा मरुस्थल है, रेगिस्तान भारत और पाकिस्तान के बीच की सीमा को चिह्नित करता है और राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और पंजाब राज्यों के साथ चलता है. हालांकि जैसलमेर और बीकानेर के दो शहर बिल्कुल मरुस्थलीय क्षेत्र में आते हैं, लेकिन पूरा राजस्थान मरुस्थल नहीं है. अन्य भागों में हरियाली है.

 

हर राजस्थानी मारवाड़ी नहीं होता

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हर राजस्थानी मारवाड़ी नहीं होता

आम तौर पर लोग हर राजस्थानी को मारवाड़ी कहते हैं, लेकिन हर राजस्थानी मारवाड़ी नहीं होता. सिर्फ मारवाड़ यानि बाड़मेर, जालौर, लक्ष्मण नगर, नागौर, जोधपुर और पाली क्षेत्र से आने वाले लोगों को ही मारवाड़ी के रूप में संबोधित किया जा सकता है. 

रोज नहीं बनती दाल बाटी चूरमा

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रोज नहीं बनती दाल बाटी चूरमा

दाल-बाटी-चूरमा राजस्थान की खासियत है लेकिन यह कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे हम रोजाना खाते हैं. मूल भोजन आम भारतीयों  जैसा ही है - सामान्य चपातियाँ, चावल, सब्जियाँ और हाँ, फास्ट फूड भी.

पानी नहीं है

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पानी नहीं है

राजस्थान के बाहर रहने वाले लोग समझते हैं कि राजस्थान में पानी नहीं होता, दूर दराज जा कर मटकों से पानी भर कर लाना पड़ता है, लेकिन ये सच नहीं है. राजस्थान के कुछ भाग में पानी की वास्तव में कमी है, लेकिन राजस्थान में झीलों का शहर उदयपुर है, 100 टापुओं वाला शहर बांसवाड़ा भी यहीं है. यहां भी आम शहरों की तरह ही पाइप लाइन से पानी सप्लाई होता है.

महिलाएं घाघरा-चोली ही पहनती है

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महिलाएं घाघरा-चोली ही पहनती है

राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में आज भी महिलाएं घाघरा चोली और पुरुष धोती और पगड़ी पहनते हैं, लेकिन यह सच नहीं है कि हर राजस्थानी हमेशा इसी परिधान में होता हैं. यह राजस्थान की संस्कृति है. लिहाजा ऐसे में आज भी यहां के लोग इसे अपने परिधान और वेशभूषा का बेहद सम्मान करते हैं.

हर कोई राजपूत नहीं होता

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हर कोई राजपूत नहीं होता

राजस्थान में रहने वाला हर व्यक्ति राजपूत नहीं होता, राजस्थान बहादुर राजपूत शासकों की भूमि है लेकिन हर कोई किसी शाही परिवार का वंशज नहीं होता. यहां भी हर तरह की जातियां हैं.

बचपन में शादी

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बचपन में शादी

नहीं, हर राजस्थानी घर में 'बालिका वधू' नहीं होता! एक दौर था जब राजस्थान में बाल विवाह जैसी प्रथाऐं थी, लेकिन आज स्थिति बदल गई है. यहां के बच्चे आज अपनी शिक्षा पूरी भी कर रहे हैं और उन्हें अपना जीवनसाथी चुनने का पूरा अधिकार भी है.

सिर्फ तीखा नहीं खाते

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सिर्फ तीखा नहीं खाते

हां, राजस्थानियों को मसालेदार खाना बहुत पसंद है, लेकिन राजस्थानी मीठे के भी शौकीन होते हैं. बीकानेर की नमकीन ही नहीं बल्कि मिठाइयां भी पूरी दुनिया में खाई जाती हैं. यहां घेवर, फिनी, रसगुल्ला, गुझिया और जलेबी जैसे मीठे व्यंजन भी है जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है.

हर कोई मारवाड़ी नहीं बोलता

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हर कोई मारवाड़ी नहीं बोलता

हर राजस्थानी मारवाड़ी नहीं बोलता. ना ही मारवाड़ी पूरी तरह समझ सकता है. राजस्थान में कई अन्य क्षेत्रीय भाषाएँ बोली जाती हैं जैसे मेवाड़ में मेवाड़ी और शेखावाटी क्षेत्र में शेखावाटी, बागड़ी. यहां के लोग सामान्य हिंदी भी बोलते हैं. 'खम्मा घानी' एक ऐसा शब्द है जिसे सभी जानते हैं लेकिन यह अभी भी आमतौर पर उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि हिंदी दिन-प्रतिदिन संचार की भाषा है.

हर राजस्थानी ने नहीं देखा होता रेगिस्तान

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हर राजस्थानी ने नहीं देखा होता रेगिस्तान

फिल्मों में राजस्थान का मतलब रेगिस्तान दिखाया जाता है, लेकिन सच्चाई इससे उलट है, एक सच्चाई यह भी है कि हर राजस्थानी ने रेगिस्तान भी नहीं देखा होता है. रेगिस्तान मुख्य रूप से बाड़मेर, जैसलमेर और बीकानेर जिलों में है. जबकि पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान में आपको मरुस्थल देखने को नहीं मिलेगा.