Hanumangarh: इस सरकारी स्कूल में क्लास रूम ट्रेन के डिब्बे की तरह, बच्चें बोलते हैं फर्राटेदार इंग्लिश
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Hanumangarh: इस सरकारी स्कूल में क्लास रूम ट्रेन के डिब्बे की तरह, बच्चें बोलते हैं फर्राटेदार इंग्लिश

Hanumangarh: हनुमानगढ़ जिले के एक सरकारी स्कूल में क्लास रूम ट्रेन के डिब्बे की तरह दिखते हैं. साथ ही इस सरकारी स्कूल के बच्चें फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं.

 

Hanumangarh: इस सरकारी स्कूल में क्लास रूम ट्रेन के डिब्बे की तरह, बच्चें बोलते हैं फर्राटेदार इंग्लिश

Hanumangarh: सरकारी स्कूल का नाम आते ही अस्त व्यस्त सी कमजोर इमारत में स्थानीय भाषा के माहौल में कमजोर शिक्षा का एक खाका दिमाग में बन जाता है. लेकिन हनुमानगढ़ जिले की भादरा तहसील के गांव झांसल के राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक की प्रेरणा से विद्यालय स्टाफ, भामाशाहों और स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग और इच्छा शक्ति से विद्यालय का कायाकल्प कर बेहतरीन व्यवस्थाएं स्थापित कर दी है. 

भामाशाहों के सहयोग से क्लास रूम्स को ट्रेन के डिब्बों का स्वरूप दिया, पूरे स्कूल में पौधारोपण, सीसीटीवी, किताब बैंक जैसी सुविधाएं के साथ ही दीवारों पर शिक्षाप्रद तस्वीरें और संदेश न सिर्फ आकर्षित करते है बल्कि शिक्षा और बेहतर नागरिक बनने में लिए प्रेरित करते है. अंग्रेजी में बात करते स्कूल के विद्यार्थी सरकारी व्यवस्था में होते सकारात्मक बदलाव का सुखद अहसास करवाते है. जिला मुख्यालय से लगभग 110 किलोमीटर दूर स्थित भादरा तहसील के गांव झांसल में बदलती सरकारी शिक्षा व्यवस्था का एक अनुकरणीय उदाहरण देखने को मिलता है.

जहां गांव के राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय का कायाकल्प कर आकर्षक रेल के डिब्बों के डिजाइन में कक्षा कक्ष बना बच्चों को शिक्षा की ओर आकर्षित करने का जरिया बनाया है. 2018 में स्थानांतरित होकर आए प्रधानाध्यापक प्रहलाद राय शर्मा ने सरकारी स्कूल के जर्जर हालातों को बदल कर बच्चों को सरकारी स्कूल से जोड़ने का प्रण लिया था. जिसमें विद्यालय स्टाफ ने भी कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग कर विद्यालय को कायाकल्प कर एक नया स्वरूप प्रदान किया. कोरोना काल की विभिषका में कक्षाएं बंद थी और इस समय का सदुपयोग करते हुए स्कूल का कायाकल्प करवाया गया. 

विद्यालय के इस नवीकरण में न सिर्फ विद्यालय स्टाफ बल्कि दानदाता भामाशाहों, एसएमसी सदस्यों, ग्रामीणों और कई समाजसेवी संस्थाओं ने भी बढ़-चढ़कर सहयोग किया. स्थानीय सहयोग से स्कूल के बदले स्वरूप में आज बच्चों का नामांकन भी बढ़ा है, तो वहीं इमारत के साथ-साथ सीसीटीवी, कंप्यूटर कक्ष, दीवारों पर पेंटिंग बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करती है. यह स्कूल एक आदर्श उदाहरण है उस सरकारी शिक्षा व्यवस्था को बदलने का जिसमें कोई भी अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने से परहेज करते हैं.

स्कूल की छात्रा गुंजन का कहना है कि स्कूल में अच्छी इमारत के साथ-साथ शिक्षा का स्तर भी बेहतर है. स्कूल में सीसीटीवी, कंप्यूटर कक्ष, किताब बैंक जैसी सुविधाएं भी है जिससे कि बच्चों की शिक्षा में सहयोग के साथ-साथ प्रेरणा भी मिलती है. हमारा स्कूल किसी भी निजी स्कूल से बेहतर शिक्षा भी उपलब्ध करवाता है और नजर भी आता है और इसी के चलते न सिर्फ आसपास के गांवों से बल्कि हरियाणा से भी लोग स्कूल देखने के लिए आते हैं. 

स्कूल की एक अन्य छात्रा दीक्षा इंग्लिश में बात करते हुए बताती है कि वह कौन सी क्लास में पढ़ती हैं, उनके स्कूल की शिक्षा व्यवस्था कैसी है, उनके विद्यालय के अध्यापक जन कैसे उन्हें शिक्षा और अन्य एक्टिविटीज में आगे बढ़ाने के लिए सहयोग और प्रेरित करते हैं. 

विद्यालय के प्रधानाध्यापक प्रहलाद राय शर्मा बताते हैं कि जब वे यहां स्थानांतरित होकर आए थे तो विद्यालय का भवन अच्छी स्थिति में नहीं था. जिसके बाद उन्होंने विद्यालय स्टाफ और भामाशाह की मदद से विद्यालय का स्वरूप बदलने की ठानी, जिसमें प्रधानाध्यापक के साथ नरेन्द्र कस्वां, महेन्द्र घोटिया, सुभाष थालोड व सुनील ख्यालिया की संयुक्त टीम ने ग्रामीणों से जनसहयोग जुटाने में सक्रियता निभाई. 

विद्यालय स्टाफ की टीम के प्रयासों पर भामाशाह और ग्रामीणों ने बहुत खूब सहयोग दिया. जिससे आज विद्यालय अपने नए स्वरूप में बच्चों को बेहतरीन शिक्षा उपलब्ध करवाने के लिए आधारभूत सुविधा देने में सफल हो पाया है. विद्यालय में शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को भाषा, अनुशासन, कंप्यूटर की शिक्षा भी दी जा रही है ताकि बच्चों को न सिर्फ शिक्षा बल्कि बच्चे का सर्वांगीण विकास भी हो सके. विद्यालय परिसर में सुरक्षा के मद्देनजर सीसीटीवी भी लगवाए गए हैं. इसके साथ-साथ विद्यालय में जरूरतमंद परिवार के बच्चों को लिए किताबों, स्कूल ड्रेस आदि में भी सहयोग के लिए एक बैंक स्थापित किया गया है ताकि बिना किसी भेदभाव के बच्चों को समान शिक्षा उपलब्ध करवाई जा सके. 

स्कूल के शिक्षक नरेंद्र कसवां बताते हैं कि प्रधानाध्यापक प्रहलाद राय सर की प्रेरणा से पूरे स्टाफ ने टीम भावना से काम करते हुए विद्यालय का कायाकल्प किया है. इसके साथ ही शिक्षा के स्तर में सुधार के साथ साथ स्कूल के विद्यार्थी खेलों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं. विद्यालय में नामांकन भी बढ़ा है और विद्यालय से कई विद्यार्थी कई खेलों में राष्ट्रीय और राज्य प्रतियोगिताओं में शामिल हो चुके हैं. विद्यालय में शिक्षा के साथ ही बच्चों को अनुशासन, स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के लिए भी नियमित तौर पर समझाया जाता है. ताकि बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के साथ ही भविष्य में एक जिम्मेदार नागरिक भी बन सकें. 

झांसल स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय एक आदर्श उदाहरण है बदलती सरकारी शिक्षा व्यवस्था का, स्कूल को बेहतर बनाने में स्टाफ और दानदाताओं का सहयोग सीख है कि सरकारों पर निर्भर ना होकर आपसी सामंजस्य और सहयोग से बच्चों के भविष्य लिखने वाले सरकारी स्कूलों को दुर्दशा से बाहर निकाल आदर्श बनाया जा सके. झांसल स्कूल इच्छाशक्ति दर्शाता है उन स्थानीय नागरिकों और शिक्षकों की जो बच्चों को बेहतर वातावरण में शिक्षा के बाद समाज में बेहतर नागरिक के रूप में भी स्थापित करने के लिए कृत संकल्प है.

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