Rajasthan Good News: 6 आदिवासी महिलाओं के आइडिया ने बदल दी जिंदगी, 54 लाख सेनेटरी पैड का मिला ऑर्डर
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Rajasthan Good News: 6 आदिवासी महिलाओं के आइडिया ने बदल दी जिंदगी, 54 लाख सेनेटरी पैड का मिला ऑर्डर

Dungarpur Good News: राजस्थान के डूंगरपुर जिले में महिलाओं ने राजीविका की मदद से राज्य सरकार की उड़ान योजना के तहत गामंडी अहाड़ा गांव में सेनेटरी पैड बनाने का कारखाना लगाया गया है. प्रदेश का ऐसा पहला सेनेटरी पैड का कारखाना जो सोलर प्लांट से चलता है. एक दिन में लगभग 14 हजार सेनेटरी पैड बनाए जा रहे हैं.

Rajasthan Good News: 6 आदिवासी महिलाओं के आइडिया ने बदल दी जिंदगी, 54 लाख सेनेटरी पैड का मिला ऑर्डर

Dungarpur Good News: राजस्थान के डूंगरपुर जिले में आदिवासी महिलाओं ने आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. महिलाओं ने राजीविका की मदद से राज्य सरकार की उड़ान योजना के तहत डूंगरपुर के गामंडी अहाड़ा गांव में सेनेटरी पैड बनाने का कारखाना लगाया गया है. इस कारखाना खासियत है कि प्रदेश का ऐसा पहला सेनेटरी पैड का कारखाना जो सोलर प्लांट से चलता है. वहीं, सोलर प्लांट लागने का काम भी यहां की आदिवासी महिलाओं ने किया है. इस कारखाने में एक दिन में लगभग 14 हजार सेनेटरी पैड बनाए जा रहे हैं.

 डूंगरपुर जिले में आदिवासी महिलाएं आत्मनिर्भर बनने की दिशा में 

डूंगरपुर जिले के गामडी अहाड़ा गांव में राजीविका की मदद से उड़ान योजना में सेनेटरी पैड का कारखाना लगाया गया है. इस कारखाने को यहां की 6 आदिवासी महिलाओ द्वारा ही संचालित किया जा रहा है. वहीं यह कारखाना सोलर प्लांट से चलता है. वहीं इस सोलर प्लांट को राजीविका से जुड़ी अन्य आदिवासी महिलाओं ने ही स्थापित किया है. एक दिन में ये सभी महिला मिलकर 14 हजार के आस पास सेनेटरी पैड बनाकर तैयार कर देती है.

इधर सेनेटरी पेड के इस कारखाने ने यहां काम करने वाली आदिवासी महिलाओं की जिंदगी में बड़ा बदलाव किया है.कारखाने में काम करने वाली मनीषा भगोरा ने बताया कि अब सैनेट्री पैड बनाने का काम करने से उनकी जिंदगी की सारी परेशानियां दूर हो जायेगी. यहां काम कर वो महीने का 9 हजार रुपये तक कमा लेती है. अब वो अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई आसानी से करवा सकेगी।.

अब नहीं करनी पड़ेगी मजदूरी

कारखाने में काम करने वाली शांता मनात ने बताया कि पहले वह मनरेगा में काम किया करती थी. जब ये सेनेटरी पैड के मशीन की शुरुआत हुई तो उन्होंने ट्रेनिग लेकर काम सीखा. शांता ने बताया कि अब उसे और मजदूरी करने की जरूरत नहीं है. वह यहां कारखाने में आराम से काम कर महीने का 9 हजार रूपये काम लेती है और अपने परिवार का पालन पोषण करने में सहयोग कर रही है. इसी तरह भागश्री रोत, मनीषा खराड़ी, मीनाक्षी खराड़ी और संगीता खराड़ी की सेनेटरी पैड बनाकर अपनी मुश्किल भरी जिंदगी की राह को आसान कर रही है.

मिला 54 लाख सेनेटरी पैड का ऑर्डर

इधर राजीविका के तकनीकी सहायक पुष्पेंद्र ने बताया कि गामड़ी आहाडा में बिजली कटौती की समस्या थी. ऐसे में बार- बार बिजली जाने से काम में रुकावट आती थी, इसलिए इस कारखाने में 5 किलो वाट का सोलर प्लांट लगाया गया और ये सोलर प्लांट भी यहां की आदिवासी महिलाओं द्वारा लगाया गया. अब बिना रुकावट के सेनेटरी पैड की मशीन चलती रहती है. 

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वहीं, शर्मा ने बताया कि राजीविका को आरएमसीएल की तरफ से 54 लाख सेनेटरी पैड की ऑर्डर मिला है. जिसकी लागत एक करोड़ 78 लाख हैं. उन्होंने बताया कि कुछ कागजी कार्यवाही अभी बाकि है इसे जल्द पूरा इसका प्रोडक्शन और सप्लाई दोनों शुरू कर दी जाएगी. जिससे कारखाने में काम कर रही आदिवासी महिलाओं को काफी लाभ मिलेगा.

बहराल राजीविका की मदद से आदिवासी महिलाओं ने एक समूह बनाकर इस सेनेटरी पेड बनाने के कारखाने को शुरू किया है. वहीं शुरू करने के साथ ही उन्हें अच्छा ऑर्डर भी मिला है. ऐसे में इस कार्य से आदिवासी महिलायें खुद तो आत्मनिर्भर बन रही है. वहीं अन्य महिलाओं के लिए भी एक प्रेरणाश्रोत से कम नहीं है.

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