Dausa: दौसा में शिक्षा व्यवस्था के हाल बदहाल, छात्रों के भविष्य पर मंडराया संकट
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1373336

Dausa: दौसा में शिक्षा व्यवस्था के हाल बदहाल, छात्रों के भविष्य पर मंडराया संकट

दौसा जिले की सरकारी स्कूलों में हॉफ इयरली एग्जाम नजदीक है और शिक्षण व्यवस्था बदहाल है.जिले में 413 सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल संचालित हैं, जिनमे से 87 स्कूलों को इस शिक्षा सत्र में क्रमोन्नत किया गया है. जिले में 56 महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल भी संचालित है, जिनमें से 20 स्कूल इसी शिक्षण सत्र में खोली गई हैं, लेकिन शिक्षण व्यवस्था सुचारू रहें इसके लिए स्कूलों में शिक्षकों का अभाव हैं.

फाइल फोटो

Dausa: दौसा जिले की सरकारी स्कूलों में हॉफ इयरली एग्जाम नजदीक है और शिक्षण व्यवस्था बदहाल है. शिक्षा सत्र शुरू हुए 3 माह बीत गए, लेकिन उसके बावजूद भी शिक्षण व्यवस्था सुचारू नहीं हो सकी. स्कूलों में पढ़ाई बाधित होने से एक और जहां छात्र-छात्राओं के भविष्य पर काले बादल मंडरा रहें हैं, तो वही अभिभावक भी शिक्षण व्यवस्था को लेकर खासे परेशान हैं. सवाल यह है कि आखिर दौसा जिले की सरकारी स्कूलों में कब सुधरेगी शिक्षण व्यवस्था ?

सरकार बेशक प्रदेश में गांव गांव में सरकारी स्कूल खोल रही हो और बेहतर शिक्षण व्यवस्था का भी दावा कर रही हो, लेकिन दौसा जिले की शिक्षा व्यवस्था शिक्षा महकमे के दावे की हकीकत बयां कर रही है. जिले में 413 सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल संचालित हैं, जिनमे से 87 स्कूलों को इस शिक्षा सत्र में क्रमोन्नत किया गया है. जिले में 56 महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल भी संचालित है, जिनमें से 20 स्कूल इसी शिक्षण सत्र में खोली गई हैं, लेकिन शिक्षण व्यवस्था सुचारू रहें इसके लिए स्कूलों में शिक्षकों का अभाव हैं, जिसके चलते जिले में कई बार स्कूलों में तालाबंदी और प्रदर्शन की घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं.

जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम मीणा की माने तो जिले में 4500 शिक्षकों के पद रिक्त हैं, जिसके चलते शिक्षकों का अभाव है हालांकि वह दावा किया जा रहा है की जल्द ही रिक्त पदों को सरकार भरेगी तो स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था की समस्या खत्म हो जाएगी. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था सुचारू रहें, इसके लिए इधर उधर से शिक्षकों की व्यवस्था कर पढ़ाई करवाई जा रही है और जल्द ही अध्यापकों के अभाव की समस्या का समाधान होगा.

यह भी पढ़ें - Rajasthan Politics Live : सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे अशोक गहलोत, राजस्थान पर आज होगा फैसला

वहीं स्कूली छात्र छात्राओं और अभिभावकों का कहना है शिक्षण सत्र का आधा समय निकल गया है, उसके बावजूद भी पढ़ाई सुचारू नहीं हो सकी. विषय अध्यापकों की कमी के चलते उनकी किताबें ज्यों की त्यों रखी हुई हैं और अर्धवार्षिक परीक्षा नजदीक है, लेकिन जब पढ़ाई नहीं हुई तो परीक्षा में क्या लिखेंगे. कई बार विरोध प्रदर्शन कर सिस्टम का इस ओर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास भी किया गया, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है.

सरकार ने विधायकों की मांग पर जगह-जगह सरकारी स्कूल खोल दिये या सैकंडरी ओर मिडिल स्कूलों को क्रमोन्नत कर दिया, लेकिन आधारभूत ढांचा और शिक्षकों का अभाव सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े कर रहा है. स्कूलों में अच्छे माहौल में बैठकर छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर सकें और उन्हें पढ़ाने वाले गुरु भी मौजूद रहें इसकी सरकार को पहले व्यवस्था करनी चाहिए और उसके बाद स्कूल खुलते तो ये समस्याएं खड़ी नहीं होती. शिक्षकों के अभाव में बच्चे ठीक से पढ़ नहीं पाएंगे, तो परीक्षा परिणाम भी अच्छा नहीं रह सकता. ऐसे में यह कहने से कोई गुरेज नहीं की जिले की जिन सरकारी स्कूलों में शिक्षकों का अभाव है, उन स्कूलों के बच्चों का भविष्य अंधकार में ही है.

Reporter - Laxmi Sharma

 

खबरें और भी हैं...

BSER REET Result 2022: रीट के रिजल्ट का इंतजार इस दिन हो सकता है खत्म, ये होंगे क्वालिफाई मार्क्स

Rajasthan Politics : पायलट परिवार से अशोक गहलोत की है पुरानी दुश्मनी, हर मौके पर जीता जादूगर

केंद्र के बाद अब राजस्थान सरकार ने भी PFI पर कार्रवाई के दिए आदेश, इनकी सहमति के बाद आया ये फरमान

राजस्थान समेत इन राज्यों में माइन ब्लास्ट का खतरा ? कनाडा ने जारी अलर्ट

Trending news