चित्तौड़गढ़: नशे का अड्डा बन रहा रावतभाटा इलाका, धड़ल्ले से चल रहा स्मैक का कारोबार
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चित्तौड़गढ़: नशे का अड्डा बन रहा रावतभाटा इलाका, धड़ल्ले से चल रहा स्मैक का कारोबार

Chittorgarh News: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के रावतभाटा में स्मैक का कारोबार धड़ल्ले  हो रहा है और धीरे-धीरे पूरा इलाका नशे का आदी होता जा रहा है. इसमें ज्यादा युवा शामिल हैं, जो नशा करने के लिए चोरी भी कर रहे हैं. 

चित्तौड़गढ़: नशे का अड्डा बन रहा रावतभाटा इलाका, धड़ल्ले से चल रहा स्मैक का कारोबार

Chittorgarh News: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा में धीमे जहर स्मैक का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. आए दिन नई उम्र के लड़के स्मैक के नशे की जद में आ रहे है और अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं. रावतभाटा में कई सालों से हो रही स्मैक की खरीद-फरोख्त के बावजूद मौत के इस कारोबार पर अंकुश नहीं लगाया जा सका. हालांकि पुलिस का दावा है कि समय-समय पर अभियान चला कर स्मैक के सौदागरों के खिलाफ कार्रवाई होती है, जिसमें कई लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज होने के साथ उनकी गिरफ्तारियां भी की जाती है. ये बात अलग है कि आरोपियों से कम मात्रा में माल बरामदगी होने से उनके खिलाफ कमजोर केस बनाता है और वे जल्द बाहर आ जाते हैं और फिर से अपने नशे के कारोबार में जुट जाते हैं. 

ये नशा युवाओं की जिंदगी ले रहा है. नए लड़के इसकी जद में आ कर अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं. रावतभाटा में आधा दर्जन ऐसे ठिकाने है, जहां खंडहर पड़ी सूनी सरकारी बिल्डिंगों में पड़े सिगरेट के काले पड़े ढ़ेरों चमकदार रैपर इस बात का सुबूत है कि यहां स्मैक पीने वालों का जमघट लगता है. आसपास के बाशिंदे बताते है कि सुबह और शाम को इन सूने पड़े खंडहरों में संदिग्ध और अनजान लोगों का जमावड़ा होता है और बिना खिड़की और दरवाजों के इन खंडहरों से धुआं उठता दिखता है. अफसोस की बात ये है कि लोगों में ज्यादातर 18 से 20 साल के लड़के ज्यादा है. ये सिलसिला एक या दो दिन की बात नहीं है. कई सालों से ये खाली पड़ी बिल्डिंगे स्मैकचियों का अड्डा बनी हुई है. 

रावतभाटा में स्मैक के कारोबार से जहां युवाओं का जीवन तबाह हो रहा है, वहीं कस्बे में लगातार चोरियां, छुटपुट लूट और अपराध की वारदातें बढ़ रही हैं. इसकी वजह ये है कि पहले नशे के सौदागर युवाओं को कम पैसों में स्मैक उपलब्ध करवा नशा का आदी बना देते हैं. उसके बाद स्मैक की एक डोज के भी काफी पैसे वसूलते हैं. एक बार नशे का आदी बना व्यक्ति काम धंधा करने लायक नहीं रहता, जिससे उसके पास स्मैक खरीदने के पैसे नहीं रहते. नशे की लत को पूरा करने के लिए ये युवा सूने मकानों, दुकानों, सरकारी दफ्तरों में छुटपुट सामान से लेकर बड़ी चोरी की वारदातों को अंजाम देते हैं. 

रावतभाटा के नीचे बाजार, चक्की मोहल्ला, आरपीएस कॉलोनी में खाली पड़ी खंडहर इमारतें, दशहरा मैदान के पीछे और सूने पड़े आरपीएस गार्डन सहित कई ऐसे ठिकाने है, जहां स्मैकचियों का अड्डा है. स्मैक के नशे के आदी दिन भर गली मोहल्लों में रेकी करते है, जिसमें घर के बाहर पड़े छोटे मोटे सामान, खिड़कियों में लगी कूलर की मोटर, घर के बाहर पड़े लोहे के लोहे के समान और यहां तक की बिजली के पोल से कई मीटर लंबी इलेक्ट्रिक केबल तक काट कर ले जाते हैं. वहीं, ऐसे भी कई मामलें सामने आए जब इन स्मैकचियों ने सूने मकानों में लाखों के गहने, नगदी कीमती सामान सहित सरकारी स्कूलों में पंखे, कम्प्यूटर तक उड़ा ले गए. 

रावतभाटा में चोरी के कई मामलें में ऐसा भी देखने को मिला, जब नशे के सौदागर नशे की गिरफ्त में आ चुके नशेड़ियों को कीमती सामान के बदले नशे का डोज मुहैया करवाते हैं. ऐसे मामलों का खुलासा तब हुआ जब चोरी के कुछ मामलों में आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने स्मैक बेचने वालों से चोरी का सामान बरामद कर उन्हें जेल भेज दिया, और ये सिलसिला अभी भी जारी है. 

रावतभाटा में ऐसे गिने चुने लोग है, जो स्मैक और गांजा जैसे मादक पदार्थो का व्यापार कर युवाओं की नस्ल खराब का काम कर रहे हैं. यहां तक की अधिकांश स्मैक की बिकवाली कस्बे की एक कॉलोनी से होने की वजह से उस कॉलोनी का नाम तक स्मैकची मोहल्ला पड़ गया. वहीं, ऐसा भी नहीं है कि पुलिस को नशे के सौदागरों के बारे में कोई जानकारी ना हो. इनमें से कइयों के खिलाफ पुलिस ने कई दफा मुकदमें भी दर्ज किए और इन्हें जेल की हवा भी खिलाई, लेकिन बड़ा केस नहीं बनने की वजह से ये लोग जल्दी से जेल से छूट कर आ जाते है और फिर से नशे के कारोबार में जुट जाते हैं. 

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