हरिपुरा गांव में आज भी निभाई जाती 300 साल पुरानी परंपरा, जानें क्या है वो परंपरा
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हरिपुरा गांव में आज भी निभाई जाती 300 साल पुरानी परंपरा, जानें क्या है वो परंपरा

भगवान कल्याण राय जी मंदिर के बाहर सुकाल की तनी चढ़ाई गयी, जैसे ही तनी चढ़ी तो लोगों में खुशी की लहर छा गई. लोगों का मानना है कि तनी चढ़ने से बारिश अच्छी होगी और फसलों में काफी उन्नति होगी.

तणी बांधते ग्रामीण

Bundi: बूंदी जिले के हरिपुरा गांव में 300 साल पुरानी परंपरा आज भी निभाई जाती है. इस परंपरा के अनुसार इस बार भी भगवान कल्याण राय जी मंदिर के बाहर सुकाल की तनी चढ़ाई गयी, जैसे ही तनी चढ़ी तो लोगों में खुशी की लहर छा गई. लोगों का मानना है कि तनी चढ़ने से बारिश अच्छी होगी और फसलों में काफी उन्नति होगी.

हरिपुरा गांव में प्रातः गाजे बाजे के साथ ग्रामीण भगवान कल्याण राय जी मंदिर के बाहर पहुंचे और सभी के बीच कच्ची रस्सी जिसे तणी बोलते है, उसे चढ़ाने के लिए मंदिर के सामने दो बच्चों को 50 फिट की दूरी पर खड़ा कर तणी बांधी गई जो ढीली थी, इसके बीच एक पतली डंडी खड़ी कर दी गई जो तणी जमीन को छू रही थी, कुछ देर बाद वह खिंचती हुई ऊपर चढ़ गई जिसे देख ग्रामीणों में खुशी छा गई. इस तरह तनी चढ़ने को सुकाल मान लोग खुशी से झूम उठे.

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ग्रामीण बताते हैं कि आज भी सुकाल व अकाल के मामले में जानकारी के लिए जो 300 साल से परंपरा निभाई जाती है, उसे जीवन दिया जा रहा है. गांव में हर वर्ष तणी चढ़ाई जाती है, जिससे यह सब जानकारी हासिल होती है की इस साल अच्छी बारिश होगी और बीच-बीच में बारिश रुकेगी भी लेकिन इस बार सुकाल होने से सभी को राहत है. आज भी हरिपुरा ही नहीं कई गांवों में यह परंपरा निभाई जाती हैं, शास्त्रों के अनुसार पौराणिक काल में भी यह परंपरा निभाई जाती थी, उसी के अनुरूप आज भी गांव के बड़े बुजुर्ग इसे विधि विधान के साथ निभाते हैं. इस परंपरा को देखने दूरदराज के लोग भी आते हैं और कहीं  तो इस पर शोध भी कर रहें हैं.

Reporter - Sandeep Vyas

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