बीकानेर के सरकारी हॉस्पिटल में मरीज रोने को क्यों है मजबूर? क्या राइट टु हेल्थ के बाद बदलेगी सूरत!
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बीकानेर के सरकारी हॉस्पिटल में मरीज रोने को क्यों है मजबूर? क्या राइट टु हेल्थ के बाद बदलेगी सूरत!

Right to Health Impact in Bikaner: प्रदेश सरकार राइट टु हेल्थ को लेकर बिल लाकर आमजन को प्राइवेट हॉस्पिटल में संपूर्ण सुविधा देने का वादा कर रही है है वहीं दूसरी ओर सीमावर्ती क्षेत्र में खुद के सरकारी हॉस्पिटल में मरीज रोने को मजबूर हो रहे है. 

बीकानेर के सरकारी हॉस्पिटल में मरीज रोने को क्यों है मजबूर? क्या राइट टु हेल्थ के बाद बदलेगी सूरत!

Right to Health Impact in Bikaner: प्रदेश सरकार राइट टु हेल्थ को लेकर बिल लाकर आमजन को प्राइवेट हॉस्पिटल में संपूर्ण सुविधा देने का वादा कर रही है है वहीं दूसरी ओर सीमावर्ती क्षेत्र में खुद के सरकारी हॉस्पिटल में मरीज रोने को मजबूर हो रहे है. सरकारी अस्पताल आने वाला हर मरीज एक ही बात करता है. अब तो सुनो सरकार.... गरीब मरीजों की पुकार.

 राइट टु हेल्थ के बाद बदलेगी  सरकारी हॉस्पिटल की सूरत

इसे लाचारी कहेंगे या विडंबना, मगर कुछ ऐसा ही हाल बज्जू के राजकीय सामुदायिक अस्पताल में देखने को मिल रहा है. हर किसी का मन विचलित नजर आया. जिले के ग्रामीण क्षेत्र के सबसे बड़े अस्पताल बज्जू में लंबे समय से डॉक्टर की समस्या बरकरार है. अस्पताल में मात्र एक ही डॉक्टर अस्पताल में रहने से मरीजों की लंबी लाइन लग जाती है. उसमे बच्चे, महिलाओं और पुरुषों को एक घण्टे के आसपास फर्श पर बैठकर डॉक्टर का इंतजार करना पड़ रहा है.

कस्बे के राजकीय सामुदायिक अस्पताल में 3 डॉक्टर में से 1 से 2 अवकाश पर रहते है तो वहीं एक डॉक्टर को अधिकारियों की बैठक में जाना पड़ता है. वहीं एक डॉक्टर को मरीजों की जांच करते समय दुर्घटना के मामला आने पर मरीजों को बीच मे छोड़कर जाना पड़ा जिसके कारण करीब एक से दो घण्टे तक मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता,जिसके चलते मरीजों की लंबी लाइन लग जाती है.

धूप व फर्श पर बैठ कर रहे इंतजार
लंबे समय से बज्जू के राजकीय सामुदायिक अस्पताल में चिकित्सकों का अभाव है आये दिन गोडू, बीकमपुर, कोलायत से डॉक्टर उधारी के हिसाब से बुलाने पड़ते है। सबसे मजेदार बात यह है कि दवा वितरण केंद्र व आवेदन केंद्र भी दो दो स्वीकृत होने के बाउजूद एक ही चल रहा है. अस्पताल में भारी भीड़ होने के कारण मरीजों की लंबी लाइन लग जाती है. जिसके चलते लोगों को धूप में लाइन में खड़े होकर तो चिकित्सक कक्ष के आगे महिलाओं व बच्चों को लेट व बैठकर नंबर का इंतजार करना पड़ता है.

400 से 500 मरीज पर सिर्फ एक डॉक्टर
कस्बे के राजकीय अस्पताल में ना केवल बज्जू क्षेत्र बल्कि निकटवर्ती जोधपुर, फलौदी, जैसलमेर जिले के मरीज भी अस्पताल पहुँचते है और इन दिनों रोजाना 400 से 500 मरीज आ रहे है,मगर इन सब मरीजों को रोजाना देखने के लिए एक ही चिकित्सक उपलब्ध होता है,जिसके कारण मरीजों को अपने नंबर के लिए घण्टों इंतजार करना पड़ता है. उसी एकमात्र चिकित्सक को भर्ती किये हुए मरीजों को भी देखने जाना पड़ता है और अस्पताल में रोजाना भर्ती कक्ष में तो भारी भीड़ नजर आती है,साथ ही दुर्घटना वाले मामले भी रोज आते रहते है तो बीच मे अन्य कामकाज को भी देखना मजबूरी हो जाती है. जिसके चलते आये दिन मरीजों को निराशा उठानी पड़ती है.

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जनप्रतिनिधियों से गुहार व्यर्थ, सुविधा के बजाय असुविधा बढ़ी
ग्रामीण क्षेत्र में जिले की सबसे बड़ी अस्पताल को लेकर क्षेत्र के लोगों को इस अस्पताल को रैफरल व उपजिला अस्पताल के रूप में कर्मोनत होने की उम्मीद थी ताकि आये दिन 400 से 500 मरीजों की भीड़ के लिए स्टॉफ की व्यवस्था हो सके,मगर ना अस्पताल कर्मोनत हुई ना चिकित्सक व स्टॉफ की संख्या बढ़ी, बल्कि उल्टे में अस्पताल में एक्सरे मशीन,डेंटल चेयर सहित अन्य महत्वपूर्ण मशीन व उपकरण धूल फांक रहे है और आमजन को सुविधाओं का लाभ नही मिल रहा है. इस संबंध में क्षेत्र के स्थानीय लोगों द्वारा जनप्रतिनिधियों को कई बार अवगत करवाया गया,मगर राहत तो दूर की बात उल्टा समस्या बढ़ती जा रही है.

निराश होकर निजी अस्पताल में जाने की मजबूरी
रोजाना मरीजों की लंबी लाइन में लंबा इंतजार को देखते हुए आये दिन दर्जनों मरीज निराश होकर निजी अस्पताल या मेडिकल पर जाकर दवा लेने को मजबूर हो रहे है. सोमवार को भी दर्जनों मरीज निराश होकर निजी अस्पताल, मेडिकल व घर लौटते नजर आए.

प्रदेश सरकार राइट टु हेल्थ बिल से आमदनी को प्राइवेट अस्पताल में महंगा इलाज फ्री कराने की सुविधा देने का दम भर रही है. वहीं खुद के अस्पताल में मैन पावर नहीं लगा पा रही है. अगर सरकार सभी रिक्त पद भर दे तो शायद ही आमआदमी को प्राइवेट अस्पताल की ओर मुंह ना करना पड़े.

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