ये क्या! शहर में शुरू हुआ शादियों का ओलंपिक, न पंडित मिल रहे है न ही बाराती
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ये क्या! शहर में शुरू हुआ शादियों का ओलंपिक, न पंडित मिल रहे है न ही बाराती

Bikaner News: राजस्थान के बीकानेर में इन दिनों शादियों का ओलंपिक चल रहा है, जिसके चलते बरातियों और पंडितों की किल्लत हो रही है. जानें क्या है मामला. 

ये क्या! शहर में शुरू हुआ शादियों का ओलंपिक, न पंडित मिल रहे है न ही बाराती

Bikaner News: जब कोई दूल्हा बनता है तो, वह एक राजा की तरह बाकायदा घोड़े, हाथी, और रथ पर सवार होकर दुल्हन के घर जाता है लेकिन हम आपको आज एक ऐसी परंपरा दिखाते हैं, जिसमें दूल्हा, ना तो घोड़ी पर और ना ही उसने आम दूल्हे की तरह शेरवानी या सूट पहना है और ना ही सेहरा सजाया है. यह दूल्हा भगवान विष्णु के अवतार की तरह पीले वस्त्र पहन और सिर मुकुट धारण कर और नंगे पांव बरात लेकर जाता है. 

इन दिनों बीकानेर शहर में शादियों का ओलंपिक चल रहा है, जहां इस बार ओलंपिक शादियों के सीजन में एक दिन में 250 शादियां हो रही है तो बरातियों और पंडितों की भी किल्लत भी आन पड़ी है और इस परंपरा के बीच सबसे पहले निकलने वाली तीन बारात के दूल्हों को इनाम में आयोध्या यात्रा पर भेजा जाएगा. 

बीकानेर में इन दिनों शादियों का ओलंपिक चल रहा है. यह बीकानेर के पुष्करना समाज में सामूहिक विवाह की प्रथा 400 साल पुरानी है. इस पुरानी परंपरा का आगाज शंख नाद की ध्वनि के साथ होता है. इस साल इस ओलंपिक में लगभग 250 शादियां हो रही हैं. 

इस ओलंपिक की यह विशेषता है कि इसमें दूल्हा भगवान विष्णु के रूप में दुल्हन के घर बारात ले कर जाता है. दूल्हा के विष्णु रूप में दूल्हे पीले रंग के वस्त्र पहने होते हैं, सिर पर सेहरे की बजाय मुकुट, गले में फूलों की माला की जगह पान के पत्तों की माला और दूल्हे मिया ने खूब सारे गहने भी पहने होते है और अपने सिर पर चंदन का तिलक और भगवान विष्णु की तरह ही नंगे पैर, पैदल अपनी बरात में जाता है. वहीं, दूसरी और जहां दूल्हा विष्णु के रूप में होगा तो दुल्हन भी लक्ष्मी के भेष में होगी. दूल्हा अपने घर की लक्ष्मी को लेने इस रूप में बरात लेकर जाता है, आखिर दुल्हन घर की लक्ष्मी जो है, ऐसा एक नहीं बल्कि सैकड़ों दूल्हे इसी रूप में अपनी दुल्हनियां के घर पहुंचते हैं.

शादियों की रौनक पूरे शहर में है, जहां हर गली और मौहल्ले से बारात निकल रही है. लोग अपने घर की छत से और कई लोग तो सड़कों पर आकर इन शादियों का मजा ले रहे हैं. दूल्हों की बारात एक-एक करके निकल रही हैं. पूरे शहर में ढोल, नगाडों और ताशों की गूंज ही सुनाई दे रही है. 

वहीं, जो दूल्हा सबसे पहले सज धज कर पहले बारात लेकर निकलता है उसे समाज के लोग सम्मान भी देते है. इस सामूहिक विवाह से शादियों में खर्च भी काफी कम होता है. इस बार हो रहे इस ओलंपिक सीजन में 250 बारात में सबसे पहले निकलने वाली तीन बारात के दूल्हो को इनाम दिया जाएगा, जिसमें प्रथम और दूसरे स्थान पर रहनी वाले जोड़े को आयोध्या भगवान राम के दर्शन के लिए यात्रा पर भेजा जाएगा तो वही बाकी दूल्हों को नगद राशि देकर सम्मानित किया जाएगा. 

शहर में सैकड़ों शादियां हो रही हैं, जिससे बरातियों की कमी हो रही हैं. शहर में यह पंडाल जो की सिर्फ शादी में बाराती मुहैया करवा रहा हैं क्योंकि बाराती ही शादी की शान माने जाते हैं. यहां बरातियों के लिए मारा मरी हो रही है. समाज के बहार रह रहे लोग, मुंबई, कोलकोता, मद्रास, दिल्ली, से बीकानेर आए हैं और इन शादियों में हिस्सा लेने के लिए उन्हें विशेष रूप से बुलाया गया है. वे खुशी-खुशी यहां आए है. उन लोगों को बुलाया गया हैं, जिन लोगों के घर में शादी नहीं है और बाराती भी यहां पर दस से ज्यादा नहीं दिए जा रहे हैं.

इस बढ़ती महगाई में जहां शादियों पर बहुत ज्यादा खर्च किया जा रहा है. दिन ब दिन हर चीज महंगी होती जा रही है. ऐसे में पुष्करना समाज का सामूहिक विवाह एक अनूठा उदाहरण है, जो अपने आप में परंपरा के साथ मिसाल बन गया है. 

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