Chaitra Navratri 2024 : राजस्थान में करणी माता का मंदिर जिन्हें की चूहों वाली माता भी कहा जाता है. यह मंदिर बीकानेर के देशनोक में स्थित है, जहां भक्त माता के साथ चूहों की भी पूजा करते है. यहां जो चूहे है उन्हें काबा कहा जाता है काबा यानी मां करनी के पुत्र. चारण जाति के लोग ही मां करनी के पुजारी होते है.
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Chaitra Navratri 2024 : पूरे देश में दुर्गा मां के हज़ारों मंदिर है लेकिन राजस्थान के बीकानेर में एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहां मंदिर में एक दो नहीं बल्कि हज़ारों चूहे है.
जहां लोग मंदिर में माता के दर्शन से मनोकामना पूरी करते है बीकानेर के देशनोक में स्थित करणी माता का मंदिर जो की चूहों वाली माता के नाम से भी विश्व विख्यात है. यहां हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ते है क्योंकि मंदिर में हजारों चूहों के बीच भक्त माता का दर्शन करते है.
विश्व प्रसिद्द करणी माता का मंदिर जिन्हें की चूहों वाली माता भी कहा जाता है. यह मंदिर बीकानेर के देशनोक में स्थित है, जहां भक्त माता के साथ चूहों की भी पूजा करते है. यह एक मात्र मंदिर है जहा हजारों की संख्या में चूहे है, माता के इस दर पर आने वाला कभी खाली नहीं जाता, माता सब की मनोकामना पूरी करती है.
दुनिया का एक मात्र अनोखा मंदिर जहां हज़ारों चूहे है, और उन्हें मां करनी का पुत्र कहा जाता है. बीकानेर से 35 किलोमीटर दूर संगमरमर से बना मां करनी का भव्य मंदिर. एक ऐसा मंदिर है जो की अपने आप में अनूठा है, यहां भक्त दर्शन को आते है और साथ ही चूहों के भी दर्शन करते है और चूहों को दूध चढाते है ऐसा माना जाता है की चूहों को दूध चढाने से मन्नत पूरी होती है. पुरे देश से लोग यहां माता के दर्शन के लिए पहुंचते है.
राजनीतिक परिप्रेक्ष से देखा जाए तो राजस्थान के बड़े मंदिरो में से एक होने के चलते यहाँ सीएम से लेकर हर कोई शीश झुकाता हैं जहां सोनिया गांधी से लेकर वसुंधरा राजे ओर भैरोसिंह शेखावत , सीएम भजनलाल शर्मा तक इस मंदिर में विशेष पूजा के लिए पहुँच चुके हैं वही सियासत के लिहाज़ से देखा जाए तो राजपूत समाज की कुलदेवी के नाते राजपूत वोटर के तौर पर भी नेता यहां पहुंचते हैं.
मां करनी का यह मंदिर 600 साल पुराना है यह मंदिर अपने हजारो चूहों की वजह से प्रसिद्ध है यहां भक्त चूहों को दूध और प्रसाद चढाते है और मनोकामना मांगते है. यहां की लोक मान्यता है की मां करनी ने अपने पति को अपना असली रूप दिखा कर अपनी बहन से शादी करने को कहा और जब छोटी बहन के चार बेटो में से एक की मृत्यु तलब में डूबने से हुई तो मां करणी ने यमराज धर्मराज से उसे वापस मांगा पर जब ऐसा नहीं हुआ तो मां करणी ने चारण जाति को ये आशीर्वाद दिया की अब इस जाति में जिसकी की मृत्यु होगी वो मृत्यु के बाद काबा यानी चूहा बनेगे और जब किसी चूहे (काबे ) की मृत्यु होगी तो वो चारण जाति में जन्म लेगा.
इसलिए यहां जो चूहे है उन्हें काबा कहा जाता है काबा यानी मां करनी के पुत्र. चारण जाति के लोग ही मां करनी के पुजारी होते है.
वहीं इस मंदिर में चूहों को लेकर भी एक अलग कहानी है जहां मंदिर के माता की गुफ़ा में रहने वाले चूहे वो है जिन्होंने इंसान के वक़्त में अच्छे कर्म किए जिनके कारण उन्हें मां के पास गुफ़ा में स्थान मिला वहीं जिन चारण जाति के लोगों ने इंसानियत के दौरान ग़लत कर्म किया उन्हें मंदिर के बाहर प्रांगण में जगह मिलती है.
मां करनी के मंदिर में सैकड़ों चूहे है और चूहों को काबा यानी मां करनी का पुत्र कहा जाता है, यहां मंदिर में जो चूहे है वो आम चूहों से अलग है यहां मंदिर में अगर किसी चूहे की मृत्यु हो जाए तो उसकी बदबू नहीं आती और ना यहां छोटे चूहे मंदिर में दिखाई देते है. अगर इन चूहों में आपको सफ़ेद चूहा दिख जाए तो आपकी मनोकामना ज़रूर पूरी होगी. मां करनी के इस मंदिर में घंटो भक्त सफ़ेद चूहे के दर्शन के इंतज़ार में खड़े रहते है.
माँ करनी का मंदिर जिसकी गुफा स्वयं मां करनी ने अपने हाथों से बनाई और एक सौ पचास साल तक इस गुफा में बैठ कर तपस्या की. उसके बाद समय समय पर बीकानेर के राजा महाराजा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया लेकिन महाराजा गंगा सिंह जो की मां के अनन्य भक्त थे उन्होंने इस पुरे मंदिर को संगमरमर से बनाया जो की कारीगरी की एक मिसाल है. चांदी का भव्य द्वार इस मंदिर की शोभा बढ़ता है.
मां करनी का मंदिर पर्यटन के लिहाज से भी काफी महत्त्व रखता है जहां साल भर भक्तों और देशी विदेशी सैलानियों का तांता लगा रहता है जो लाखो चूहों के इस मंदिर को देख कर हैरान रह जाते है.
बीकानेर आने वाला हर पर्यटक देशनोक मंदिर ज़रूर आता है क्यों कि देश का एक मात्र ये अनोखा मंदिर है जहा माता करनी के साथ साथ चूहों की पूजा भी की जाती है एक ऐसा मंदिर जहा लाखों चूहे है मगर यहां कोई बीमारी या महामारी नहीं हुई, कैसे इतने चूहे सिर्फ मंदिर के परिसर में रहते है ये पर्यटकों के लिए एक कौतुहल का विषय है.
इस मंदिर में आने वाले हर श्रद्धालु को पैरों को घसीट के चलना होता है कही कोई चूहा उनके पैर के नीचे ना आ जाये. जहां पर्यटकों और श्रद्धालुओं का वर्ष भर मेला लगता है, कुछ मुरादे मांगने आते है और कुछ मुरादे पूरी होने पर मां के दरबार में नतमस्तक करने आते है. यहां देशी और विदेशी भक्तो का ताँता साल भर लगा रहता है.
इस मंदिर में जो भी आता है वो इस बात से बड़ा आश्चर्यचकित होता है कि हजारों की संख्या में चूहे जब उनके आस पास से गुजरते है तो उन्हें एक ऐसा एहसास होता है जिसकी वे कल्पना तक नहीं कर सकते. इस मंदिर में साल भर श्रद्धालुओं का सैलाब आप को देखने को मिलेगा.