एसीएस सुबोध अग्रवाल को हैरानी तो तब हुई जब जलदाय विभाग के अफसर एसीएस के सामने प्रजेंटेशन नही दे पाए. खराब प्रजेंटेशन को देखकर एसीएस अग्रवाल ने धौलपुर एसई से पूछा कि क्या तुमने इसको तैयार किया है तो वह बोले पीए ने बनाया है. जिसपर एसीएस ने कहा की फिर आपकी जगह पीए को एसई और आपको एस ई की जगह पीए बना देते हैं ? कोई काम करना नहीं चाहते हो. ऐसे कैसे काम चलेगा. अगर थोड़ा सा भी काम कर लेते तो जनता को कुछ राहत मिल जाती है.
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Bharatpur: जलदाय विभाग के अतिरिक्त्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल भरतपुर में जलदाय विभाग की पेयजल योजनाओं की समीक्षा को लेकर दो दिवसीय दौरे पर भरतपुर पहुंचे. यहां उन्होंने भरतपुर कलेक्ट्रेट में जब जलदाय अधिकारियों के साथ सम्भाग में संचालित पेयजल स्कीमों की समीक्षा की तो उन्हें पता चला कि जो योजनायें वर्ष 2008 में शुरू हुई वह आज तक पूरी नहीं हुई और योजनाओं को पूरा करने की लागत बढ़ती चली गई.
जिस पेयजल योजना का लाभ लोगों को वर्ष 2016 में मिल जाना था, वह आज तक पूरी नहीं हुई है. एक-एक स्कीम को पूरा करने में 5 से 6 साल का अंतर आ रहा है. इस बीच तो सरकार ही बदल जाती है. यही वजह है कि भरतपुर के लोगों को चंबल के जरिये 24 घंटे लगातार पानी की जो सप्लाई मिलनी थी, वह अब 72 घंटे में एक बार मिल रही है जिसके जिम्मेदार जलदाय विभाग के वो लापरवाह अफसर हैं, जो ठेकेदारों की गोद मे बैठ जाते हैं, कोई कार्यवाही नही करते हैं, दिवाली होली काम करने वाली कंपनी के लोगों से मिलकर मौज में रहते हैं और जनता को परेशानी उठानी पड़ती है. सुबोध अग्रवाल यहीं नही रुके. उन्होंने जलदाय विभाग के अफसरों को कहा कुछ तो शर्म करो. एसीएस स्तर के अधिकारी को वेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हो लेकिन मैं बेवकूफ नहीं हूं, किसको सस्पेंड करूं तुम बताओ, यह सुनते ही धौलपुर और भरतपुर दोनों जिले एसई बंगले झांकने लगे.
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एसीएस सुबोध अग्रवाल को हैरानी तो तब हुई जब जलदाय विभाग के अफसर एसीएस के सामने प्रजेंटेशन नही दे पाए. खराब प्रजेंटेशन को देखकर एसीएस अग्रवाल ने धौलपुर एसई से पूछा कि क्या तुमने इसको तैयार किया है तो वह बोले पीए ने बनाया है. जिसपर एसीएस ने कहा की फिर आपकी जगह पीए को एसई और आपको एस ई की जगह पीए बना देते हैं ? कोई काम करना नहीं चाहते हो. ऐसे कैसे काम चलेगा. अगर थोड़ा सा भी काम कर लेते तो जनता को कुछ राहत मिल जाती है.
भरतपुर -धौलपुर चंबल परियोजना की लागत फस्ट पेज में 581 करोड़ थी जो अब 721 करोड़ पर पहुंच गई है. यही हाल अन्य परियोजनाओं का भी है. अग्रवाल इस बात से भी नाराज थे कि लोगों को हैंडपंप तक नहीं मिल पा रहे जबकि सरकार चाहती है. ट्यूबबेल हैंडपम्प किसी भी तरह लोगों तक पीने का पानी पहुंचे. जेजेएम की समीक्षा में भी भरतपुर सम्भाग की स्थिति बहुत खराब है, इस पर भी वह नाराज हुए और स्थिति सुधारने के निर्देश दिए.
अधिकारियों को अल्टीमेटम दिया
सुबोध अग्रवाल ने विभागीय अधिकारियों को अल्टीमेटम दिया है कि सभी सेंशन 31 अक्टूबर तक निकाल कर उनके कार्यादेश जारी कर दिए जाएं. गौरतलब है भरतपुर जिले में चंबल परियोजना के कामकाज को लेकर मंत्री विश्वेन्द्र सिंह, मंत्री सुभाष गर्ग सहित क्षेत्रीय जन प्रतिनिधि सवाल उठाते रहे.
Reporter- Devendra Sharma
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