राजस्थान का यह छोरा संस्कृत लेक्चरर की परीक्षा में आया 1st, 12वीं में आए थे 48 प्रतिशत मार्क्स
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राजस्थान का यह छोरा संस्कृत लेक्चरर की परीक्षा में आया 1st, 12वीं में आए थे 48 प्रतिशत मार्क्स

Rajasthani Boy: राजस्थान के बाड़मेर जिले के इस छोरे को 12वीं के एग्जाम में 48% अंक मिले, लेकिन इसके बाद उसको संस्कृत के लेक्चरर परीक्षा में प्रथम स्थान मिला. वह 6 बहनों के इकलौते भाई हैं और इनके पिता एक किसान हैं.  

राजस्थान का यह छोरा संस्कृत लेक्चरर की परीक्षा में आया 1st, 12वीं में आए थे 48 प्रतिशत मार्क्स

Rajasthani Boy: राजस्थान के बाड़मेर जिले के रहने वाले एक लड़के को 12वीं के एग्जाम में 48% अंक मिले, लेकिन आज वह संस्कृत के लेक्चरर परीक्षा में प्रथम आया है. ये कहानी प्रदेश के बाड़मेर के छोटे से गांव कापराउ के रहने वाले कानाराम मेघवाल की है. इन्होंने 12वीं में इतने कम अंक आने के बाद भी हौंसला नहीं खोया और मेहनत करते रहे. 

बाड़मेर के कानाराम मेघवाल ने अपनी मेहनत और लगन से असिस्टेंट प्रोफेसर बने और इसके बाद उन्होंने संस्कृत विषय के कॉलेज लेक्चर के एग्जाम में प्रदेश के SC वर्ग में पहला स्थान हासिल किया. 

कानाराम मेघवाल ने बताया कि उन्होंने अपने सपने को पूरा करने और सफलता पाने के लिए किसी भी प्रोग्राम में जाना बंद कर दिया था. उन्होंने बताया कि उनके पिता एक किसान हैं, जिसकी वजह से उन्हें खेतों में काम करना पड़ता था. 

कानाराम मेघवाल ने अपनी पढ़ाई की शुरूआत राजकीय महाविद्यालय से स्नातक और स्नातकोत्तर संस्कृत स्वयंपाठी विद्यार्थी के रूप में की, लेकिन इनके पास 2007 के दौरान थर्ड ग्रेड में सिलेक्शन होने के बाद भी इन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिल पाई, क्योंकि इनके पास बीएड की डिग्री नहीं थी. 

वहीं, इसके बाद कानाराम मेघवाल ने साल 2009 से 2010 के बीच इनका सिलेक्शन थर्ड ग्रेड संस्कृत विभाग में हो गया था और वर्ष 2010 में वह आरपीएससी के संस्कृत विभाग में टॉपर रहे. साल 2016 में कानाराम संस्कृत के लेक्चरर के रूप में प्रमोशन हुआ और अगले साल यानि 2017 में उनका चयन आरपीएससी स्कूल व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती बांसवाड़ा में हो गया. 

इसके बाद भी कानाराम पढ़ते रहे और साल 2012 में असिस्टेंट प्रोफेसर का एग्जाम दिया और कानाराम SC वर्ग में राजस्थान के टॉपर रहे, जिसमें उन्हें ऑल ओवर राजस्थान में इनको 29वीं रैंक हासिल हुई. कानाराम ने बताया कि वह रोज 5 से 6 घंटे सिर्फ पढ़ाई करते थे. बता दें कि कानाराम 6 बहनों के इकलौते भाई हैं. 

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