पाली औद्योगिक इकाइयों से फिर छोड़ा गया लुणी नदी में रसायनिक पानी, किसान हुए चिंतित
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पाली औद्योगिक इकाइयों से फिर छोड़ा गया लुणी नदी में रसायनिक पानी, किसान हुए चिंतित

हर बार की तरह इस वर्ष भी लूनी नदी में पाली जिले की औद्योगिक इकाइयों द्वारा इकट्ठा रासायनिक पानी लूनी नदी में छोड़ा गया है. केमिकल युक्त बदबूदार काले रंग का प्रदूषित पानी धुंधाड़ा की रपट के नीचे से बाड़मेर जिले की सीमा में प्रवेश कर रहा है. 

लुणी नदी में रसायनिक पानी

Siwana: हर बार की तरह इस वर्ष भी लूनी नदी में पाली जिले की औद्योगिक इकाइयों द्वारा इकट्ठा रासायनिक पानी लूनी नदी में छोड़ा गया है. केमिकल युक्त बदबूदार काले रंग का प्रदूषित पानी धुंधाड़ा की रपट के नीचे से बाड़मेर जिले की सीमा में प्रवेश कर रहा है, जो करीब अजित के समीप पहुंच गया है. ग्राम पंचायत कोटडी का मठ खरंनटीया से महेश नगर रास्ता अवरुद्ध हो गया, खंरटिया से पातोकाबाड़ा का भी रास्ता अवरुद्ध है. करीब एक दशक से अधिक समय बीतने के बावजूद भी इस समस्या का स्थाई निवारण नहीं किया गया है. 

जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के आला अधिकारी हर वर्ष आने वाले रसायनिक पानी पर किसानों को आश्वासन देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ देते है. प्रदूषित पानी के कारण किसानों की उपजाऊ भूमि बंजर होती जा रही है. वहीं मरूगंगा के नाम से विख्यात लूनी नदी पूरी तरह से दूषित हो रही है. प्रदूषित पानी को पीने से हर वर्ष सैकड़ों की तादात में मुक पशु मौत के आगोश में समा जाते है. 

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लूनी नदी के तट पर कृषि कुओं का पानी भी रसायनिक पानी के कारण पूरी तरह से रिसाव के चलते खराब हो चुका है. बजरी माफियाओं द्वारा खोदे गए बड़े-बड़े गड्ढों में रसायनिक पानी महीनों तक जमा रहता है. लूनी नदी को सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद बजरी माफियाओं ने अपना अड्डा लुणी नदी में बना रखा है और चांदी कूट रहे है. 

दिन रात अवैध खनन के चलते आलम यह है कि जहां नजर घुमाओं, वहां बड़े-बड़े गड्ढे नजर आते हैं, जिसके अंदर यह रसायनिक पानी भर जाने के बाद कई महीनों तक वहीं पड़ा रहता है. पानी के आवक की सूचना पर अंधाधुन खनन कर संग्रहण करने में लगे हुए हैं जिससे अगर लूनी नदी में पानी आ जाए तो फिर चार गुना ऊंचे दामों पर बजरी को आसानी से बेचा जा सके.

किसानों के लिए आफत बनकर आता है रसायनिक पानी
क्षेत्र के अधिकतर किसान लूनी नदी के नजदीक कृषि कुओं पर निवास करते हैं. वहीं से खेती-बाड़ी सब्जी इत्यादि से अपनी आजीविका चलाते है. वर्षा ऋतु में उम्मीद रहती है कि इंद्रदेव मेहरबान होंगे और अच्छी फसल की उम्मीद की किरण नजर आती है लेकिन पाली जिले की औद्योगिक इकाइयों द्वारा नेहड़ा बांध से हर वर्ष केमिकल युक्त रसायनिक प्रदूषित पानी छोड़ने के कारण अरमानों पर पानी फिर जाता है. जिसके कारण उपजाऊ भूमि भी बंजर होने लगी है. कई किसानों का खेतीबाड़ी से मोह भंग हो गया अन्य व्यवसाय में रुचि दिखाने लगे है. स्थानीय अधिकारियों को इस बारे में भनक तक भी नहीं लगी और प्रदूषित पानी जिले की सीमा में पहुंचते हुए आगे बढ़ रहा है.

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