राजस्थान के वो मुसलमान, जो खुद को बताते हैं अतीत के राजपूत
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राजस्थान के वो मुसलमान, जो खुद को बताते हैं अतीत के राजपूत

Meo Muslims In Rajasthan : हरियाणा के नूंह में भड़की हिंसा(Nuh Violence) के बाद अब चर्चा मेव मुसलमानों की हो रही है. वजह है इस समुदाय का उस संस्कृति का पालन करना जो हिंदू रीति रिवाजों में शामिल है.

राजस्थान के वो मुसलमान, जो खुद को बताते हैं अतीत के राजपूत

Meo Muslims In Rajasthan : हरियाणा के नूंह में भड़की हिंसा(Nuh Violence) के बाद अब चर्चा मेव मुसलमानों की हो रही है. वजह है इस समुदाय का उस संस्कृति का पालन करना जो हिंदू रीति रिवाजों में शामिल है.

हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ ही राजस्थान में भी मेव मुसलमान समुदाय के लोग अच्छी खासी तादात में हैं. मेव समुदाय खुद की उत्पत्ति राम, कृष्ण और अर्जुन जैसे हिंदू हस्तियों से मानते हैं. दिवाली, होली और दशहरा जैसे त्योहार मनाने वाले इस समुदाय के लोगों की आबादी करीब 4 लाख के आस पास है

मेव समुदाय अपने लोक महाकाव्यों और गाथा-गीतों के वर्णन के लिए पूरे मेवात में जाना जाता है. मेवों के गाए गए महाकाव्यों और गाथा-गीतों में सबसे लोकप्रिय 'पंडुन का कड़ा' है, जो महाभारत का मेवाती संस्करण कहलाता है और हिंदू  महाकाव्यों से मिला है. इसके जरिए मेव मुसलमान महाभारत की ओजस्वी कहानियां संगीतमय तरीके से सबको सुनाते हैं. मेव इन्हीं महाकाव्यों के माध्यम से अपनी उत्पत्ति के बारे में बताते हैं. जो उन्हें अर्जुन के वंशज के रूप में वर्णित करती है.

अपनी पीढ़ियों के बारे में जानकारी को संजोकर रखने के लिए मेव समुदाय जग्गा का प्रयोग करता है. जो इनके संस्कारों में शामिल है. माना जाता है 12-16 शताब्दी के बीच मेव समुदाय इस्लाम धर्म कबूल कर चुका था. लेकिन ज्यादातर मेव आज भी सिंह कास्ट को लिखना पसंद करते हैं, जो की उनकी उत्पत्ति की तरफ इशारा करता है. 

मेव समुदाय खुद को अतीत का राजपूत कहते हैं. मेव समुदाय में आज भी हिंदू रीति रिवाजों को देखा जा सकता है. जैसे की ये लोग समान गोत्र में शादी नहीं करते हैं. हालांकि अब मेव समुदाय हिंदू संस्कृति को छोड़ने लगे हैं. वजह चाहे कुछ भी हो लेकिन मेवात में मेव समुदाय की पहचान अब एक जटिल प्रश्न बन चुका है.
 
कहते हैं कि 27 मार्च 1527 को मुगल शासक बाबर अपनी विशाल सेना के मौजूदा भरतपुर जिले के खानवा गांव में खड़ा था और उनके सामने थे मेवाड़ के राजा राणा सांगा. इतिहासकार कहते हैं कि इन दोनों सेनाओं के बीच एक और वीर था जिसने बाबर के कदमों को आगे बढ़ने से रोक लिया था.

इस वीर का नाम था राजा हसन खान मेवाती, जो मजहब से मुस्लिम थे और खून से राजपूत थे. हसन खान ने राणा संगा का साथ दिया और जंग में खुद का बलिदान कर दिया. हरियाणा के नूंह-मेवात और राजस्थान के अलवर- भरतपुर जिले में मेव राजपूत बसे हुए हैं. ये मेव मुसलमान मेवाती भाषा बोलते हैं और ये गोरवाल खंजादा, तोमर, राठौर और चौहान राजपूतों के वंशज बताये जाते हैं.

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