जानें क्यों हुआ ग्रेट मदर ऑफ सरिस्का का ऐसा हाल, कि एनक्लोजर में रखकर करनी पड़ रही देखभाल
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जानें क्यों हुआ ग्रेट मदर ऑफ सरिस्का का ऐसा हाल, कि एनक्लोजर में रखकर करनी पड़ रही देखभाल

उम्र दराज हो चुकी ग्रेट मदर ऑफ सरिस्का की देखभाल में जुटा है पूरा सरिस्का वन प्रशासन, एनक्लोजर में रखकर की जा रही है देखभाल.

जानें क्यों हुआ ग्रेट मदर ऑफ सरिस्का का ऐसा हाल, कि एनक्लोजर में रखकर करनी पड़ रही देखभाल

Alwar: सरिस्का में सबसे उम्रदराज बाघिन एसटी-2 (ST-2) जिसका यहां कुनबा बढ़ाने में विशेष योगदान है. उसे कोई सरिस्का की ग्रेट मदर कहता तो कोई राजमाता कोई, नानी और कोई दादी बाघिन कहता, लेकिन अब ग्रेट मदर ऑफ सरिस्का बीमार है. उसकी उम्र हो चली है. उसके पैरों में जख्म है. अब उसे एनक्लोजर में रखा गया है, जिस पर वनकर्मी पूरी तरह से नजर बनाए हुए हैं.

सन 2004 और 05 में जब सरिस्का वन क्षेत्र पूरी तरह बाघ विहीन हो गया था, सरिस्का से पर्यटकों ने भी मुंह मोड़ लिया था, तब 2008 में केंद्र और राज्य सरकारों ने सरिस्का में बाघों को रणथंबोर यहां शिफ्ट करना शुरू किया. धीरे धीरे यहां फिर से बाघों का कुनबा बढ़ने लगा और सरिस्का की रौनक लौटने लगी. आज यहां करीब दो दर्जन बाघ-बाघिन और शावक मौजूद हैं. सरिस्का में बाघों के कुनबे को बढ़ाने में बाघिन एसटी-2 (ST-2) का विशेष योगदान रहा, इसलिए उसे ग्रेट मदर ऑफ सरिस्का भी कहते है.

4 जुलाई 2008 को सरिस्का में हेलीकॉप्टर के द्वारा रणथंबोर से बाघिन मछली की बेटी एसटी-2 को यहां शिफ्ट किया गया था, उसके बाद से सरिस्का धीरे-धीरे फिर आबाद होने लगा. आज यहां 24 बाघ बाघिन मौजूद है, जिन्हें देखने के लिए देश-विदेश से हजारों पर्यटक हर साल यहां पहुंचते हैं. इसका विशेष श्रेय जाता है बाघिन एसटी-2 को, जो फिलहाल उम्रदराज हो चुकी है और बीमार भी है.

शारिरिक रूप से कमजोर और बीमार है एसटी-2

सीसीएफ सरिस्का आर एन मीणा ने बताया कि बाघिन एसटी-2 की उम्र करीब 17 वर्ष स ज्यादा हो चुकी है. वह शारिरिक रूप से कमजोर और बीमार है, जिसके चलते उसकी देखभाल के लिए उसे एनक्लोजर में रखा गया है. बाघिन एसटी-2 गत मंगलवार को राजगढ़ वन क्षेत्र के कूंचा में सड़क मार्ग पर बैठी हुई थी. सूचना पर वहां पहुंचे तब भी वह खड़ी नही हो सकी. वन प्रशासन और चिकित्सकों की टीम ने देखा उसके पैरों में भी घाव थे और वह बीमार हालत में थी. वनकर्मीयो ने उसे ट्रंक्यूलाइज कर पिंजरे में लेकर सरिस्का के एनक्लोजर में पहुंचाया, जहां वनकर्मी उसकी पूरी देखभाल कर रहे हैं.

रेस्क्यू कर देखभाल शुरू

सरिस्का टाइगर फाउंडेशन के निदेशक दिनेश दुर्रानी ने कहा डीएफओ देवेंद्र प्रताप जगावत और सीसीएफ आरएन मीणा सहित चिकित्सको की टीम ने तुरंत बाघिन एसटी-2 को रेस्क्यू कर समय पर उसकी देखभाल शुरू कर दी, जिससे वह सुरक्षित है. ऐसे में घायल अवस्था मे उसे प्रॉपर देखभाल की जा रही है. एसटी-2 को कोई ग्रेट मदर ऑफ सरिस्का कहता है तो नानी और कोई दादी कहता है, क्योंकि बाघिन एसटी-2 तीसरी पीढ़ी देख चुकी है. सरिस्का की रौनक बढ़ाने वाली सरिस्का की राजमाता बाघिन एसटी-2 ने एसटी-7 ,एसटी-8, बाघ एसटी-13 और बाघिन एसटी-14 को जन्म दिया. एसटी-2 इनकी मां है, तो वहीं बाघिन एसटी-14 की पांच संताने हैं, इनमें बाघिन एसटी-17 और बाघ एसटी-18 की नानी बनी. इसी तरह बाघिन एसटी-17 और बाघ एसटी-18 के माध्यम से दो-दो शावकों का जन्म हुआ. वहीं एसटी-14 के भी तीन शावक है. एसटी-2 से जन्मे बाघ एसटी-13 से भी टाइगर से जन्मे एसटी-19 ,20 ,21 '22 '23 24 और 25 हैं, इस तरह एसटी-2 तीन पीढ़ियों में नानी और दादी भी बनी है.

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