दिसंबर माह में सिखों में नहीं होता कोई भी शुभ काम,जानें क्या है शहीदी सप्ताह
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दिसंबर माह में सिखों में नहीं होता कोई भी शुभ काम,जानें क्या है शहीदी सप्ताह

Alwar News: दिसंबर माह में सिखों में नहीं होता कोई भी शुभ काम,देशभर में दसवें गुरु गोविंद सिंह जी की याद में शहीदी सप्ताह मनाया जा रहा है.

 

अलवर के सबसे बड़े गुरुद्वारे स्कीम नंबर दो में गुरुमत समागम आयोजित.

Alwar News: सिख समाज द्वारा देशभर में दसवें गुरु गोविंद सिंह जी की याद में शहीदी सप्ताह मनाया जा रहा है.इस दौरान सभी गुरुद्वारों में गुरुमत समागम आयोजित किया जा रहे हैं.जिसमें शबद कीर्तन सहित अनेक कार्यक्रम हो रहे हैं.ऐसे ही अलवर के सबसे बड़े गुरुद्वारे स्कीम नंबर दो में गुरुमत समागम आयोजित किया जा रहा है.

इसमें देशभर की संगते आकर शबद कीर्तन कर रही हैं. सन् 1704 में चमकोर के युद्ध में गुरु गोविंद सिंह जी के चार साहबजादे शहीद हुए थे.जन्मे साहबजादों को दीवारों में चीनवा दिया गया था. 

गुरुद्वारे के ग्रंथी रणजीत सिंह ने बताया कि गुरु गोविंद सिंह ने हमेशा सिख धर्म और सनातन धर्म की रक्षा की और उनका परिवार रक्षा के लिए शहीद हो गया. गुरु गोविंद सिंह हमेशा जुर्म के खिलाफ लड़े.

उन्होंने कोई जाति पंथ धर्म नहीं देखा .पहाड़ी राजाओं और मुगलों को यह मंजूर नहीं था.इस युद्ध में गुरु गोविंद सिंह के दो साहबजादे शहीद हुए थे और दो साहबजादो को दीवारों में चीनवा दिया गया था.उन्होंने बताया कि अगर गुरु गोविंद सिंह नहीं होते तो हिंदुस्तान में ना सिख होते ना हिंदू होते. सिर्फ मुस्लिम ही होते .

शहीदी सप्ताह मनाया जा रहा है

उन्होंने बताया कि जिस तरीके से हम क्रिसमस और तुलसी पूजन मानते हैं. इस तरह सिख समाज द्वारा शहीदी सप्ताह मनाया जा रहा है.यह सप्ताह 21 दिसंबर से 28 दिसंबर तक मनाया जाएगा. उन्होंने बताया कि क्रिसमस बनाने के पीछे लोगों को ईसाई बनाने की मंशा होती है. किसी भी सिख समाज के किसी भी गुरु ने कभी धर्म परिवर्तन करने की नहीं कहता इसलिए उन्होंने देश और समाज के लिए अपने जीवन कुर्बान कर दिया.

हमेशा प्यार और मोहब्बत सिखाया

गुरुद्वारों और मंदिरों में जो आज घंटियां बज रही है. उन्हीं की देन है .इस अवसर पर मौजूद सिख समाज के प्रतिनिधियों ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रपिता है. माना जाता है लेकिन सिख समाज की दसवें गुरु गोविंद सिंह को राष्ट्रपिता की उपाधि दी जानी चाहिए .उन्होंने हमेशा प्यार और मोहब्बत सिखाया है और यही संदेश दिया है कि इस देश में हमेशा जुर्म के खिलाफ लडो. प्यार मोहब्बत से रहो. जब भी राष्ट्रीयता बनी रहेगी और यही जीवन का आधार होना चाहिए.

Reporter- Swadesh Kapil

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