ग्राम पंचायत दुर्गावास के रामावास आंबा का बाडिया गांव में राज्य सरकार के खनन विभाग ने नियम-कायदों को ताक में रखते हुए आबादी क्षेत्र में करीब 4.90 हेक्टेयर में खनन काम के लिए माइंस की लीज करने का मामला सामने आया है.
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Beawar: जवाजा पंचायत समिति की ग्राम पंचायत दुर्गावास के रामावास आंबा का बाडिया गांव में राज्य सरकार के खनन विभाग ने नियम-कायदों को ताक में रखते हुए आबादी क्षेत्र में करीब 4.90 हेक्टेयर में खनन काम के लिए माइंस की लीज करने का मामला सामने आया है. आबादी क्षेत्र में खनन काम के लिए माइंस की लीज के बाद की जाने वाली ब्लास्टिंग से होने वाली परेशानियों को लेकर आसपास के ग्रामीणों ने इसका विरोध किया है.
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आंबा का बाडिया के ग्रामीणों के अनुसार करीब सौ साल से भी पहले से उनके पूर्वज इस गांव में निवास करते आ रहे है. यहां पर उनकी पुश्तैनी जमीनें हैं, जिस पर उनके निवास के लिए मकान बने हुए है और आसपास में काश्तकारी के लिए खेत स्थित है. ग्रामीणों ने बताया कि राज्य सरकार के खनिज विभाग ने 2002 जयपुर निवासी श्रीमती रेणु पत्नी एमएम अत्रे के नाम से गांव की आबादी भूमि में करीब 4.90 हैक्टेयर भूमि में खनन कार्य के लिए माइंस की लीज कर दी. ग्रामीणों ने बताया कि माइंस लीज की जानकारी पर तात्कालीन समय में ग्रामीणों के विरोध के चलते यहां पर खनन कार्य शुरू नहीं हो पाया.
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ग्रामीणों के विरोध के चलते सरकार ने उक्त माइंस की लीज निरस्त कर दिया. ग्रामीणों के अनुसार इस दौरान उक्त जमीन पर इंदिरा आवास योजना के तहत 6 परिवारों के आवासों का निर्माण हो गया और सभी परिवार इन आवासों में निवास करने लगे. ग्रामीणों का आरोप है कि लीजधारी रेणु अत्रे के पति एमएम अत्रे पुलिस विभाग के सेवानिवृत अधिकारी होने के नाते उन्होंने अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए 2008 में फिर से उक्त माइंस की लीज करवा ली. जानकारी पर ग्रामीणों ने फिर से इसका विरोध किया, जिसके चलते यहां पर खनन कार्य शुरू नहीं हो पाया.
ग्रामीणों में आक्रोश है
लंबे समय बाद अभी हाल ही में लीजधारी अत्रे की और से खनन कार्य के लिए मार्किंग करते हुए खनन की तैयारी की जा रही है. इस बात की जानकारी पर जब ग्रामीणों ने इसका विरोध किया तो लीजधारी अपने रसूकातों का उपयोग करते हुए ग्रामीणों के खिलाफ झूंठी शिकायते देते हुए उन्हें पुलिस द्वारा पाबंद करवाने की कार्रवाई करने लगा, जिसके कारण ग्रामीणों में आक्रोश है. ग्रामीणों ने बताया कि जिस जमीन पर माइंस आवंटित की गई है. उसी भूमि पर देव स्थान, कब्रिस्तान, पानी की टंकी, आवास तथा आम रास्ता स्थित है. अगर यहां पर खनन के लिए ब्लास्टिंग की जाती है तो इसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पडेगा. ब्लास्टिंग के कारण लोगों के मकान धराशाही हो जाएंगे. लोगों का जीना मुहाल हो जाएगा. साथ ही पास में चरागाह भूमि होने के कारण यहां चरने वाले पशु भी धमाकों के कारण यहां नहीं आ पाएंगे, जिसके कारण उनके भी भूखों मरने की नौबत आ जाएगी.
ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन तथा राज्य के खनन विभाग से उक्त लीज को निरस्त करने की मांग की है ताकि ग्रामीणों को होने वाले परेशानियों को निजात मिल सके. शुक्रवार को आंबा का बाडिया निवासी लक्ष्मण काठात, बीरम काठात, अशोक काठात, रमेश, कममा, सरपंच हरीसिंह, साजन काठात, अनवर काठात सहित अन्य ग्रामीणों ने खनन कार्य का विरोध करते हुए माइंस की लीज निरस्त करने की मांग की है.
Reporter- Dilip Chouhan