अजमेर की तीर्थ नगरी पुष्कर में सोमवती अमावस्या पर उमड़ा आस्था का सैलाब,सरोवर पर चला पूजा-अर्चना का दौर. तीर्थ पुरोहितों के अनुसार हरियाली अमावस्या के अवसर पर तीर्थराज पुष्कर में स्नान और दान पुण्य करने का विशेष महत्व है.
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Ajmer: अजमेर की तीर्थ नगरी पुष्कर में सोमवती अमावस्या पर उमड़ा आस्था का सैलाब,सरोवर पर चला पूजा-अर्चना का दौर. इस अवसर पर दिनभर सरोवर के तट पर पितृ कार्य और धार्मिक अनुष्ठान चलते रहें. किसी ने अपने पूर्वजों की आत्मशांति के लिए पिंडदान किये तो, किसी ने पितरों को तर्पण देकर उनके निमित्त ब्राह्मणों को भोजन करवाकर यथाशक्ति दान-पुण्य किया.
तीर्थ पुरोहितों के अनुसार हरियाली अमावस्या के अवसर पर तीर्थराज पुष्कर में स्नान और दान पुण्य करने का विशेष महत्व है. आमवस्या के दिन जो भी श्रद्धालु पवित्र सरोवर में स्नान कर पितरों का तर्पण करता है, उसको मानसिक और शारीरिक पीडाओं से मुक्ति मिलती हैं. इन्हीं मान्यताओं के चलते सरोवर के घाटो पर दिन भर श्रद्धालुओं का मेला लगा रहा. पद्म पुराण में वर्णित कथा के अनुसार त्रेता युग में भगवान राम ने अपने पिता दशरथ का पिंडदान इसी तीर्थ में दिया था. मृत्यु लोक के पांच प्रमुख शहरों में से एक पुष्कर सरोवर पित्र कार्य हेतु उत्तम माना जाता है, इन्हीं मान्यताओं के चलते सरोवर के बावन घाटों पर दिनभर श्रृद्धालुओं का मेला लगा रहा. वहीं मंदिरों और बाजारों में भी दिनभर रौनक बनी रही.
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