एक गांव ऐसा भी,जहां दस पीढ़ियों से कोई नहीं पीता बीड़ी-सिगरेट
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एक गांव ऐसा भी,जहां दस पीढ़ियों से कोई नहीं पीता बीड़ी-सिगरेट

अजमेर जिले के सरवाड़ उपखंड के सराना गांव में 10 पीढ़ियों से ऐसी मान्यता है कि भीचर जाट समाज का कोई भी व्यक्ति बीड़ी सिगरेट गुटखा जर्दा या हुक्का को हाथ तक नहीं लगाता,

एक गांव ऐसा भी,जहां दस पीढ़ियों से कोई नहीं पीता बीड़ी-सिगरेट

Kekri: राजस्थान की गांव ढाणी में नशे का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है. गांव में किसी की मौत या खुशी के मौके पर भी बीड़ी सिगरेट सहित अन्य तंबाकू की चीजें परोसी जाती है लेकिन अजमेर जिले की केकड़ी तहसील में सराणा गांव कि भीचर जाती कि लोग कई वर्षों से बीड़ी सिगरेट तंबाकू का उपयोग नहीं कर रहे हैं. कई पीढ़ियां इस नशे की सामग्री से दूर है और आम जनता के साथ ही अन्य गांव के लिए भी मिसाल बन रही है.

अजमेर जिले के सरवाड़ उपखंड के सराना गांव में 10 पीढ़ियों से ऐसी मान्यता है कि भीचर जाट समाज का कोई भी व्यक्ति बीड़ी सिगरेट गुटखा जर्दा या हुक्का को हाथ तक नहीं लगाता . पिछले 500 वर्षों से चली आ रही है परंपरा आज भी कायम है. सराना ग्राम में करीब 125 भीचर गोत्र जाट समाज के घर है इस गांव में केला देवी सती माता की जोरदार मान्यता है जिसके चलते भीचर जाट समाज का कोई भी व्यक्ति नशे से कोसों दूर रहता है .

1600 इस्वीं में भीचर परिवार से कैला देवी भीलवाड़ा जिले की बनेडा तहसील में दुधला गांव मे ( सती) हुई थी जब से ही सती माता की जोरदार मान्यता है. कैला देवी ने सती होते समय भीचर गोत्र के लोगों को कहा कि आज से कोई भी बीड़ी सिगरेट तम्बाकू गुटखा जर्दा का उपयोग नहीं करेगा . जो इस नियम की पालना करेगा वह फलीफूत होगा और जो नियम तोड़ेगा उसको माताजी का कोपभाजन होना पड़ेगा. उन्होंने भीचर गोत्र के लोगों को बीड़ी सिगरेट तंबाकू गुटखा जर्दा छोड़ने के लिए प्रेरित किया और एक सकारात्मक पहल की उस पहल का लोग आज भी निवाह कर रहे हैं . यहां तक की गांव के बुजुर्ग महिला नोजवान पुरूष बच्चे सभी तंबाकू उत्पादों से परहेज़ करते हैं.

जहां एक ओर राजस्थान में गांव की चौपाल पर बैठे बुजुर्ग हुक्का गुड़गुड़ाते या बीड़ी सिगरेट के छल्ले उड़ाते नजर आते हैं युवक युवतियों में भी यह लत एकाएक बड़ी है . हालात यह है कि नशे से दूरी के लिए अंतरराष्ट्रीय नशा विरोधी दिवस मना कर जागरूकता फैलाई जाती है तथा इसकी बुराइयां गिनाई जाती है . लेकिन सराना ग्राम में ऐसा नहीं है वर्षों से चली आ रही परंपरा के चलते ग्रामीण आज भी धूम्रपान नहीं करते परंपरा को कायम रखने के लिए ग्रामीण हमेशा युवाओं को समझाते रहते हैं

परंपरा पर है अडिंग

राजवीर भिचर ने बताया कि भीचर गोत्र के लोग आज भी अपनी परंपरा पर कायम है जिसके चलते धूम्रपान नहीं करते हैं केला देवी माता के सती होने के बाद से लेकर अब तक धूम्रपान उपयोग में नहीं लेते हैं . भीचर ने बताया कि माता कैला देवी की कृपा से यह परंपरा चली आ रही है . हमारे घर पर आया हुआ मेहमान भी बीड़ी सिगरेट गुटखा जर्दा पान मसाला नहीं खाता है अगर कोई गलती से बीड़ी पी लेता है और मटकी के या बर्तन के हाथ लगा देता है तो मटकी एवं ने बर्तनों को शुद्ध किया जाता है और गोबर से उस जगह को पवित्र किया जाता है .

कोई अनजान मेहमान जिसको यहां की परंपरा के बारे में जानकारी नहीं हो वह गलती से जलते हुए चूल्हे में बीड़ी लगा लेता है तो उस चूल्हे को हाथों हाथ हटाया जाता है और गोबर से उस जगह को पवित्र करने के बाद ही चूल्हा जलाया जाता है . सराना भीचर मोहल्ले में बीड़ी सिगरेट तंबाकू गुटखा जर्दा पूरी तरह निषेध है सती का श्राप है जिसके चलते लोग धूम्रपान करने से परहेज करते हैं इस मोहल्ले में एक भी परचूनी दुकान नहीं है और कोई भी व्यक्ति बीड़ी सिगरेट जर्दा गुटखा की दुकान नहीं करता.

भीचर समाज का व्यक्ति अपने वाहन में धूम्रपान नहीं करने देता है किसी को करना हो तो उसको वाहन से नीचे उतरकर धूम्रपान करता पड़ता है उसके बाद साबुन से हाथ पाव धोने के बाद ही गाड़ी में बिठाया जाता है . परंपरा के अनुसार कोई व्यक्ति गलती से नियमों की अवहेलना कर दे तो उस को भारी नुकसान उठाना पड़ता है जिसके चलते लोगों में सती माता का जोरदार भय है . सराना का एक युवक ट्रक चलाता है उसके ट्रक में मालिक ने जर्दा पान मसाला भर कर भेज दिया यह बात चालक कों पता नहीं थी .

 

ट्रक चालक सराना चौराहे पर आया तो ट्रक के चारों टायर फूट गए और भारी नुकसान हुआ इस तरह सती माता हाथों-हाथ पर्चा देती है . भीचर गोत्र के लोग साल में एक बार उजाली तेरस को सती माता के जाकर पूजा अर्चना करते हैं.

 

सरपंच नीलू दुनिवाल ने कहा कि सरकार और सामाजिक संगठन जो पहल आज कर रहे हैं वह पहल सती माता ने सालों पहले की थी जिसको सभी लोगों ने स्वीकारा और अच्छी बात यह कि आज भी लोग उस पहल पर कायम है . सरपंच ने बताया कि भीचर समाज के लोग धूम्रपान नहीं करते हैं और धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को सबक देने के लिए हाथ मुंह धुलवाने के बाद ही मंदिर में प्रवेश देते हैं

 

Reporter- Ashok Singh Bhati

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