'रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ'...रुला देंगी अहमद फराज की ये शायरियां

Harsh Katare
Dec 14, 2024

तेरी बातें ही सुनाने आए दोस्त भी दिल ही दुखाने आए

उस को जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआ अब क्या कहें ये क़िस्सा पुराना बहुत हुआ

तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल हार जाने का हौसला है मुझे

ज़िंदगी से यही गिला है मुझे तू बहुत देर से मिला है मुझे

आज इक और बरस बीत गया उस के बग़ैर जिस के होते हुए होते थे ज़माने मेरे

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ

और 'फ़राज़' चाहिएँ कितनी मोहब्बतें तुझे माओं ने तेरे नाम पर बच्चों का नाम रख दिया

दिल को तेरी चाहत पे भरोसा भी बहुत है और तुझ से बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता

किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें

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