Elephant family increased in Bandhavgarh: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में मादा हथिनी पूनम ने मंगलवार-बुधवार की रात एक मादा बेबी एलिफेंट को जन्म दिया. यह पार्क में 14वां हाथी है. बता दें कि प्रसव सुरक्षित रहा और हथिनी व शावक दोनों स्वस्थ हैं. टाइगर रिजर्व में हाथियों का उपयोग बाघों के रेस्क्यू और वन्यजीव संरक्षण में किया जाता है.
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में मादा हथिनी पूनम ने बेबी एलिफेंट को जन्म दिया है. विभागीय प्रबंधन स्वास्थ्य की देखभाल में जुट गया है.
उमरिया जिले के विश्वप्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से बड़ी खबर है जहां पूनम नामक मादा हथिनी ने एक बच्चे को जन्म दिया है.
पार्क प्रबंधन के एक्सपर्ट वन्य जीव चिकित्सक एवं स्टाफ की मौजूदगी में पूनम ने सुरक्षित प्रसव किया है.
पार्क प्रबंधन के उच्च अधिकारी हथिनी और शावक की देखभाल में जुटे हुए हैं. घटना पार्क के खितौली कोर परिक्षेत्र अंतर्गत अमिलिहा कैंप की है.
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पालतू हाथियों की संख्या अब बढ़कर 14 हो गई है. बता दें, टाइगर रिजर्व की खास हथिनी पूनम ने मंगलवार-बुधवार की दरमियानी रात एक मादा शावक को जन्म दिया है.
पार्क के संयुक्त संचालक पीके वर्मा ने बताया है कि प्रसव पूर्व से हथिनी की देखभाल की जा रही है, उसने अच्छे स्वास्थ्य वाले शावक को जन्म दिया है जो आगामी समय में टाइगर रिजर्व में वनों एवं वन्य जीव संरक्षण में सहयोग करेगा.
बाघों के कठिन रेस्क्यू में हाथी बड़े मददगार होते हैं. टाइगर रिजर्व सहित सामान्य जंगलों में बाघों का रेस्क्यू करना प्रबंधन के सामने एक बड़ी चुनौती होती है, लेकिन जंगली हाथी ऐसे कठिन समय में प्रबंधन के बड़े मददगार साबित होते हैं.
विहीन नदी नालों से लेकर पहाड़ों सघन वनों के भीतर कुशल और प्रशिक्षित हाथी पहुंचकर बाघों का जीवन बचाने में बड़े कारगर साबित हुए हैं. लिहाज़ा पार्क प्रबंधन भी हाथियों की सुरक्षा में कोई कोताही नहीं बरतता.
रिपोर्ट: अरुण त्रिपाठी (उमरिया)
ट्रेन्डिंग फोटोज़