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Kabir Das: पढ़िए कबीर दास के प्रेरक दोहे! पता चलेगा जीवन जीने का सही तरीका क्या है?

Kabir Das Anmol Vichar: महान संत कबीर दास का जीवन हमें सत्य, प्रेम और आध्यात्मिक मार्ग पर चलने को लेकर प्रेरित करते हैं चलिए, आज उनके अनमोल विचार पड़ते हैं...

1/20
सात समंदर की मसि करौं लेखनि सब बनाई।

धरती सब कागद करौं हरि गुण लिखा न जाई॥

2/20
उठा बगुला प्रेम का तिनका चढ़ा अकास। तिनका तिनके से मिला तिन का तिन के पास॥  

3/20
  बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर। पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर॥  

4/20
दुःख में सुमिरन सब करें सुख में करै न कोय। जो सुख में सुमिरन करे तो दुःख काहे होय॥

5/20
रात गंवाई सोय के, दिवस गंवाया खाय। हीरा जनम अमोल है, कोड़ी बदली जाय॥

6/20
माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर। आशा तृष्णा ना मरी, कह गए दास कबीर॥  

7/20
  कबीरा ते नर अंध है, गुरु को कहते और। हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर॥

8/20
साईं इतना दीजिए, जा मे कुटुम समाय। मैं भी भूखा न रहूं, साधु ना भूखा जाय॥

9/20
गुरु गोविंद दोऊं खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरु आपकी, गोविंद दियो बताय॥  

10/20
माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय। एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूगी तोय॥

11/20

माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर,

कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।

12/20

धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय,

माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय।

13/20

तिनका कबहुं ना निन्दिये, जो पांवन तर होय,

कबहुं उड़ी आंखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय.

14/20

बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि,

हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।

 

15/20

जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ,

मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ।

16/20

 

दोस पराए देखि करि, चला हसन्त हसन्त,

अपने याद न आवई, जिनका आदि न अंत।

17/20

जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान,

मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।

18/20

 

साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय,

सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय।

19/20

पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,

ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।

20/20

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।