Emerging Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जनता के बीच सरल नेता, मामा शिवराज और कॉमन मैन की भूमिका में नजर आने के साथ ही राजनीति के मझे खिलाड़ी हैं. यहां जानते हैं उनके बारे में कुछ किस्से की वो कैसे सियासी शिखर तक पहुंचे.
5 मार्च 1959 को सीहोर के गांव जैत में जन्मे शिवराज सिंह चौहान जब पहली बार मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री बने, तब प्रदेश बीजेपी में उमा भारती, कुशाभाऊ ठाकरे और सुंदरलाल पटवा जैसे बड़े नेताओं का दबदबा हुआ करता था, लेकिन अपने मिलनसार स्वभाव और लोगों के बीच अपनेपन का एहसास दिलाने की क्षमता ने उन्हें सियासत के शिखर पर पहुंचा दिया.
शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल के टीटी नगर मॉडल स्कूल से पढ़ाई की है. इसी स्कूल से एक छात्र नेता के रूप में उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत भी हुई. शिवराज जब सांसद बने तब कांग्रेस (Congress) की सरकार थी. उस दौरान उन्होंने पदयात्राएं कीं. इसी कारण से उनके संसदीय क्षेत्र विदिशा में उन्हें पांव-पांव वाले भैया के नाम से पहचाना जाने लगा था.
RSS के स्वयंसेवक के कार्यकर्ता के रूप में अपनी सेवाएं शुरू करने वाले शिवराज मॉडल हायर सेकंडरी स्कूल की स्टूडेंट्स यूनियन के 1975 में अध्यक्ष चुने गए थे. विदिशा लोकसभा सीट से पांच बार सांसद रह चुके हैं. इमरजेंसी में उन्हें जेल भी भेजा गया था और जब बाहर निकले तब ABVP के संगठन मंत्री बने.
मध्यप्रदेश के बतौर मुख्यमंत्री का कार्यकाल संभालने का रिकॉर्ड शिवराज के ही नाम है. साल 2004 में हुए 14वें लोकसभा चुनाव के दौरान वे पांचवीं बार सांसद चुने गए. 2005 में उन्हें प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया. 29 नवंबर 2005 को जब बाबूलाल गौर ने अपने पद से इस्तीफा दिया तो वे पहली बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इसके अगले ही साल उन्होंने बुधनी विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़ा और जीत दर्ज की.
वैसे तो बचपन में शिवराज की शरारत के कई किस्से हैं, लेकिन उन्होंने पढ़ाई कभी नहीं छोड़ी. राजनीति में ऊंचा मुकाम पाने वाले शिवराज सिंह चौहान पढ़ाई में भी काफी अव्वल थे. भोपाल के बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय के हमीदिया कॉलेज से दर्शनशास्त्र से पोस्ट ग्रेजुएशन किया और गोल्ड मेडलिस्ट स्टूडेंट भी रहे हैं.
शिवराज सिंह चौहान सांसद बनने के बाद 6 मई 1992 को साधना के साथ शादी के बंधन में बंध गए. सांसद बनने पर लोगों का आना-जाना बढ़ा तो उन्होंने विदिशा में शेरपुरा में एक मकान किराए पर लिया और फिर यहीं रहने लगे. शिवराज और साधाना के दो बेट हैं. एक का नाम कार्तिकेय सिंह चौहान और दूसरे का नाम कुणाल सिंह चौहान है.
सीएम शिवराज सिंह चौहान काफी संवेदनशील हैं. वे कमजोर तबकों की परेशानियों को बखूबी समझते हैं. जनसभाओं में खुद को मामा बताने वाले शिवराज ने ऐसी छवि बनाई ताकि महिलाओं को सशक्तिकरण का अहसास हो. वो प्रदेश की बेटियों के जीवन की जिम्मेदारी उठाने की बात करते हैं और उठाते भी हैं.
शिवराज सिंह चौहान के अनोखे अंदाज हमेशा चर्चा का केंद्र रहे हैं. 2018 में मुख्यमंत्री पद जाने के बाद उन्होंने ट्रेन में आम लोगों के साथ सफर किया तो लोगों के हक के लिए रातभर जागकर भजन करते रहे. शिवराज कई मौको पर अपने चुटीले और सरल भाषणों से खूब सुर्खियां बटोरते हैं.
साल 2021 में नर्मदा जयंती पर शिवराज ने हर दिन एक पौधा लगाने का संकल्प लिया. वे आज भी इसका पालन करते हैं. वो चाहे कहीं भी हों, पौधा जरूर लगाते हैं. इसमें भी जनभागीदारी सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने 'अंकुर अभियान' की शुरुआत की जिससे आज प्रदेश भर के साढ़े पांच लाख से ज़्यादा लोग जुड़ चुके हैं. मध्यप्रदेश की जीवनरेखा नर्मदा नदी को ध्यान में रखकर शिवराज ने 'नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा' अभियान शुरू किया.
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