Chhattisgarh Religious Places: बिलासपुर में स्थित अरपा पुल का नाम बदल कर रामसेतु कर दिया गया है. अंग्रेजों के जमाने में बना इस पुल का रामसेतु नाम रखने से लोगों की धार्मिक भाव जागरूक हुई है.अब इस पुल को आस्था और इतिहास का संगम बताया जाता है.
बिलासपुर के सरकंडा को शहर से जोड़ने वाला यह 100 साल पुरान पुल जिसे साधारण पुल समझा जाता था आज इसी पुल को आस्था और धार्मिक महत्व से जोड़ा जाता है. आज इस पुल का विशेष महत्व है.
पुल पर लिखी 1926 की इनस्क्रिप्शन बताती है कि पुल अंग्रेजों के समय में बना हुआ था जिसे आज एक नया रूप दिया गया है. नए रूप में बदला यह पुल आस्था और इतिहास का संगम बन गया है.
अंग्रजों के जमाने मे बने इस पुल का नाम अयोध्या में हुए रामल्ला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर बदला गया अब इसे अरपा पुल न कहकर रामसेतु पुल के नाम से बुलाया जाता है.
रामसेतु नाम देने की वजह बताते हैं कि करीब 100 साल पुराना होने के बाद भी यह पुल आज भी खड़ा है और आम जनता के उपयोग में है इसलिए जिस तरह से रामसेतु पुल ने राम जी की मदद की उसी तरह यह पुल बिलासपुर के आम जनता के आवागमन में मदद करता है.
पुल के सिर्फ नाम ही नहीं बल्कि रूप में भी बदलाव किया गया है. पुल के दोनों ओर अयोध्या धाम और भगवान श्रीराम के सुंदर चित्र देखने को मिलेगा. लिखी गई रामायण की चौपाइयां और पुल पर की गई लाइटिंग देखने में सुंदर और शांति प्रदान करती हैं.
अब यह पुल एक साधारण पुल न रहकर शहरवासियों के लिए आस्था, संस्कृति और इतिहास को जगाए रखने का चिह्न बन गया है. लोगों का कहना है कि इस पुल को नई पहचान मिल गई है. धार्मिक धरोहर के रूप में आज यह लोगों की सेवा में उपलब्ध है.
पुल का धार्मिक महत्व होने के कारण लोग इसे तीर्थ स्थल की तरह भी देखते हैं. पुल का बदला नाम लोगों के अंदर आस्था की भाव को जागरूक करता है.
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