निवाड़ी: बुन्देलखंड की अयोध्या कही जाने वाले निवाड़ी जिले के ओरछा में स्थित भगवान श्री रामराजा सरकार के मंदिर के दर्शन का समय बदल गया है. हर साल शरद पूर्णिमा के अगले दिन से मंदिर के समय में परिवर्तन किया जाता है.
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निवाड़ी: बुन्देलखंड की अयोध्या कही जाने वाले निवाड़ी जिले के ओरछा में स्थित भगवान श्री रामराजा सरकार के मंदिर के दर्शन का समय बदल गया है. हर साल शरद पूर्णिमा के अगले दिन से मंदिर के समय में परिवर्तन किया जाता है. इस साल भी आज से यानि की 29 अक्टूबर से सुबह 9 और शाम को 7 बजे दर्शनार्थी राम राजा सरकार के दर्शन कर सकेंगे.
बता दें कि प्राचीन परंपराओं के अनुसार हर साल मौसम परिवर्तन के साथ ही मंदिर का समय बदला जाता है. ओरछा का राम राजा सरकार मंदिर देश का इकलौता मंदिर है. जहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है. दरबार खुलने की परम्परा का राजसी तरीके से ही निर्वहन किया जाता है.
आरती के समय में भी बदलाव
29 अक्टूबर रविवार से रामराजा सरकार का दरबार सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक और शाम को 7 बजे से रात 9:30 बजे तक श्रद्धालुओं के लिए खुला रहेगा. मंदिर में चली आ रही राजसी परंपरा के अनुसार हर साल गर्मी और बारिश के आठ माह फाल्गुन से कुंवार के महीने की शरद पूर्णिमा तक रामराजा सरकार का दरबार सुबह 8 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक खुलता है. दोपहर में राजभोग आरती के बाद भगवान विश्राम करते हैं. इसलिए दोपहर में पट बंद रहते हैं जबकि शाम को 8 बजे संध्या आरती व रात को 10:30 बजे शयन आरती होती है. रविवार से 7 बजे संध्या आरती व रात 9:30 बजे शयन आरती होगी.
राम राजा को सलामी देती है पुलिस
भगवान राम को ओरछा में राजा के रूप में पूजा जाता है. बतौर राजा उन्हें दिन के चार पहर सलामी भी दी जाती है. यह परम्परा यहां अंग्रेजी शासन काल के पूर्व से चली आ रही है. वर्तमान में यहां एमपी पुलिस सलामी देती है, ओरछा में भगवान राम के अलावा किसी भी वीआईपी को सलामी नहीं दी जाती है.
कहा जाता है कि भगवान श्रीराम के दो निवास खास हैं. भगवान दिनभर ओरछा में रहने के बाद शयन के लिए अयोध्या चले जाते हैं. प्रतिदिन रात में ब्यारी (संध्या) की आरती होने के बाद ज्योति निकलती है. जो कीर्तन मंडली के साथ पास ही पाताली हनुमान मंदिर ले जाई जाती है. मान्यता है कि ज्योति के रूप में भगवान श्रीराम को हनुमान मंदिर ले जाया जाता है. जहां से हनुमान जी शयन के लिए भगवान श्रीराम को अयोध्या ले जाते हैं.
रिपोर्ट - सत्येन्द्र परमार