Mp Assembly Election karni Sena: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (Mp Assembly Election) में भाजपा (BJP) और कांग्रेस (Congress) दोनों आदिवासी वोटरों को साधने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि चुनाव जीतने के लिए हर वर्ग का सहयोग चाहिए, लेकिन बताया जा रहा है कि सत्ता पाने के लिए इस वर्ग का साथ होना जरूरी है. MP में राजनीतिक पार्टियों के इरादों पर करणी सेना पानी फेर सकती है और दोनों पार्टियों के समीकरण में सेंध लग सकती है. क्या है वजह, जानिए.
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Mp Assembly Election: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में चुनाव जीतने के लिए दलित और आदिवासी (Aboriginal Voter) वर्ग का साथ होना बेहद अहम है. प्रदेश में जीत की राह इन्हीं दो वर्गों की गलियों से होकर जाती है. इसी कारण दोनों राजनीतिक दल इनपर पूरी तरह फोकस कर रहे हैं. लेकिन इसमें काटा बनकर आ खड़ी दिख रही है करणी सेना चुनावी साल में करणी सेना शिवराज सरकार (Shivraj Sarkar) को खुलकर ललकार रही है. हाल ही में जंबूरी मैदान में करणी सेना (Karni Sena Protest) परिवार ने शक्ति प्रदर्शन किया. देखिए MP में करणी सेना की इनसाइड स्टोरी...
क्या है करणी सेना?
सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि करणी सेना क्या है. ये एक गैर लाभकारी संगठन है, जिसे जयपुर के एक छोटे से गांव झोंटावरा में राजपूत समाज और लोकेंद्र सिंह कालवी ने बनाया था. इसकी स्थापना 23 सितंबर 2006 में हुई थी. करणी सेना का नाम राजपूतों की माता करणी पर रखा गया है. संगठन की जड़ें राजस्थान में ही हैं. लेकिन कुछ समय बाद आपसी मनमुटाव देखने को मिलने लगा, जिसके बाद करणी सेना 3 हिस्सों में बंट गया. पहला श्री राजपूत करणी सेना जिसके अध्यक्ष लोकेंद्र सिंह कालवी थे, जिनकी आज दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई.
करणी सेना का दूसरा हिस्सा है श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना समिति जिसके अध्यक्ष अजीत सिंह मामदोली है. तीसरी श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना है जिसके अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेधी हैं. हाल ही में करणी सेना के तीसरे हिस्से यानी श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना ने भोपाल में बड़ा शक्ति प्रदर्शन किया और आंदोलन में सीएम शिवराज का पुतला तक जलाया.
करणी सेना से बीजेपी को खतरा
इसी साल होने वाले मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में करणी सेना ने सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान किया था. उसकी इस घोषणा के बाद एमपी की सियासत में खलबली मच गई थी. ऐसे हालत में अगर करणी सेना चुनाव लड़ती है तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टी के वोटबैंक में सेंध लग सकती है. भाजपा की बात करें तो सवर्ण वोटों के अलावा वो इस समय वो अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग में अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटी हुई है. मध्य प्रदेश में इनका वोट 37 प्रतिशत है.
2018 विधानसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी को 41 प्रतिशत वोट मिला था इस बार पार्टी ने इसे 51 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है. लेकिन करणी सेना की एंट्री के बाद सवर्णों को अपना मान चुकी भाजपा के वोट बैंक में काफी कमी देखी जा सकती है. ऐसे में अब ये देखने वाली बात होगी की भाजपा इससे कैसे पार पाती है.
करणी सेना से कांग्रेस को खतरा
कांग्रेस पार्टी दावा कर रही है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में उसकी जीत होगी. इसके लिए पार्टी की नजरें भाजपा बाहुल्य इलाकों में हैं. साथ ही साथ पार्टी कह रही है कि प्रदेश की महिला वोटरों का भी साथ उसके साथ है. हालांकि इस समय कि परिस्थितियां देखें तो यह कह पाना कठिन है कि किसकी सरकार बनेगी. कांग्रेस के साथ मुस्लिम वोटरों को भी गिना जा रहा है जिनका लगभग 50 लाख वोट है.
ऐसी हालत में करणी सेना की एंट्री ने कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. क्योंकि कांग्रेस पार्टी जिन इलाकों में अपनी बाहुल्यता बता रही है हाल में ही हुए करणी सेना के आंदोलन में वहां से भी भारी संख्या में लोगों को जाते हुए देखा गया है. ऐसे में ये कहा जा रहा है की कांग्रेस की भी जड़ों में करणी सेना सेंध लगानी शुरू कर दी है. अब देखने वाली बात होगी कि आने वाले विधानसभा चुनाव में करणी सेना का वोट प्रतिशत कितना होता है.