MP Nama: राजनीतिक तौर पर मध्य प्रदेश को कितना जानते हैं आप, समझिए विधानसभा और लोकसभा सीटों का गणित
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MP Nama: राजनीतिक तौर पर मध्य प्रदेश को कितना जानते हैं आप, समझिए विधानसभा और लोकसभा सीटों का गणित

Madhya Pradesh Politics: राजनीतिक दृष्टि से मध्य प्रदेश देश का बड़ा राज्य हैं, जहां अगले साल यानि 2023 में विधानसभा चुनाव भी होने हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मध्य प्रदेश में कितनी विधानसभा सीटें हैं, कितनी लोकसभा सीटें और कितने राज्यसभा सदस्य इस प्रदेश से चुने जाते हैं. प्रदेश के यही कुछ सियासी समीकरण हम आपको MP Nama के जरिए बता रहे हैं. 

MP Nama: राजनीतिक तौर पर मध्य प्रदेश को कितना जानते हैं आप, समझिए विधानसभा और लोकसभा सीटों का गणित

Madhya Pradesh Politics: मध्य प्रदेश में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में चुनावों की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, 1 नवंबर 1956 को बना मध्य प्रदेश देश की राजनीति में बड़ा सियासी दखल रखता है. लेकिन क्या आप जानते हैं मध्य प्रदेश राजनीतिक तौर पर कितना बड़ा है, प्रदेश में कितनी विधानसभा सीटें आती हैं, लोकसभा और राज्यसभा की सीटें आती हैं. कितने जिले हैं और कितने संभाग हैं. प्रदेश कितने भागों में बटा और राजनीतिक तौर पर किसका क्या महत्व हैं. राज्य की राजनीति में कौन से दल प्रमुख हैं, MP Nama के जरिए हम आपको प्रदेश की राजनीतिक जानकारी देने जा रहे हैं. 

मध्य प्रदेश में हैं 230 विधानसभा सीटें 
राजनीतिक तौर पर मध्य प्रदेश देश का बड़ा राज्य है, क्योंकि प्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, जबकि 35 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं, जबकि 148 सीटें सामान्य हैं, जबकि 29 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें सामान्य -19, एससी- 4 और एसटी के लिए 6 सीटें रिजर्व हैं. इसके अलावा राज्यसभा की 11 सीटें हैं, प्रदेश में  52 जिले और 10 संभाग आते हैं. राजनीतिक दृष्टि से भी प्रदेश को 6 भागों में बांटा जाता है, जिसका अपना-अपना सियासी महत्व हैं. 

MP का किंगमेकर है मालवा-निमाड़
मध्य प्रदेश का मालवा-निमाड़ अंचल प्रदेश का किंगमेकर है, राजनीतिक दृष्टि से यह अंचल सबसे अहम माना जाता है, कहा जाता है कि चाहे विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव मालवा निमाड़ सत्ता की चाबी होता है. इस जोन में जिस पार्टी को यहां कामयाबी मिलती है, प्रदेश की सत्ता पर उसी का राजतिलक होता है, पिछले पांच विधानसभा चुनावों के नतीजे तो यही कहते हैं. मालवा-निमाड़ में विधानसभा की 66 सीटें आती हैं, जबकि इस अंचल में लोकसभा की 8 सीटें आती हैं. इसलिए सभी राजनीतिक दलों की नजरें इस अंचल पर रहती हैं. 

महाकौशल में आती हैं 38 विधानसभा सीटें 
प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े अंचल महाकौशल में विधानसभा की 38 सीटें आती हैं, जबकि इस अंचल में 4 लोकसभा सीटें आती हैं. राजनीतिक दृष्टि से यह प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा अंचल होता है, इसलिए सभी राजनीतिक दल यहां 2023 के विधानसभा चुनाव के लिहाज से फोकस कर रहे हैं. प्रदेश में कांग्रेस का बड़ा चेहरा कमलनाथ इसी अंचल से आते हैं. 

34 विधानसभा सीटें ग्वालियर-चंबल में आती हैं 
ग्वालियर-चंबल अंचल राजनीतिक नजरिए से मध्य प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा अंचल है. यहां विधानसभा की 34 सीटें आती हैं, जबकि लोकसभा की 4 सीटें आती है. प्रदेश की सियासत के बड़े-बड़े क्षत्रप इसी अंचल से आते हैं. प्रदेश की राजनीति में अपना बड़ा सियासी रसूख रखने वाला सिंधिया परिवार इसी अंचल से आता है. जबकि कांग्रेस की राजनीति में एक्टिव राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह भी इसी अंचल से आते हैं. जबकि वर्तमान नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह भी इसी अंचल से आते हैं. 

मध्य भारत में आती हैं 32 विधानसभा सीटें 
मध्य भारत अंचल प्रदेश का चौथा सबसे बड़ा अंचल हैं, जहां विधानसभा की 32 सीटें आती हैं, जबकि लोकसभा की 5 सीटें आती हैं, राजनीतिक दृष्टि से भी यह अंचल बेहद खास माना जाता है, प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसी अंचल के सीहोर जिले से आते हैं जो बुधनी विधानसभा सीट से विधायक हैं. 

विंध्य में आती हैं 31 सीटें 
विंध्य अंचल प्रदेश का पांचवा सबसे बड़ा अंचल हैं, जहां प्रदेश की 31 विधासनभा सीटें आती हैं और 4 लोकसभा सीटें आती है. राजनीतिक दृष्टि से अंचल बेहद खास रहता है. विंध्य से भी बीजेपी कांग्रेस के बडे़ क्षत्रप आते हैं. वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम इसी अंचल से आते हैं. 

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बुंदेलखंड में 29 सीटें 
राज्य का सबसे छोटा अंचल बुंदेलखंड माना जाता है, जहां विधानसभा की 29 सीटें आती हैं, इसके अलावा इस अंचल में भी राज्य की 4 लोकसभा सीटें आती हैं. बुंदेलखंड अंचल राजधानी भोपाल के करीब हैं ऐसे में यहां के नेताओं का सियासी दबदबा प्रदेश में माना जाता है. 

ये हैं मध्य प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दल 
मध्य प्रदेश की राजनीति प्रमुख रूप से दो दलीय मानी जाती हैं, बीजेपी और कांग्रेस ही राज्य की प्रमुख पार्टियां, पूरे प्रदेश में कोई क्षेत्रीय दल एक्टिव नहीं है. प्रदेश के पिछले तीन दशक के राजनीतिक इतिहास को उठाकर देखा जाए तो यहां कांग्रेस और बीजेपी ही बारी-बारी सरकार बनाती रही है. हालांकि बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और गोडवाना गणतंत्र पार्टी हर विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ती है. इन राजनीतिक दलों को हर चुनाव में कुछ सीटों पर सफलता भी मिलती हैं, लेकिन ये पार्टियां कभी बड़ी राजनीतिक ताकत प्रदेश में नहीं बन पाई. 1992 के राष्ट्रपति शासन के बाद 1993 से 2003 तक 10 साल मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रही, जबकि 2003 से 2018 तक बीजेपी की सरकार 15 साल बीजेपी की सरकार रही. 2018 में 15 महीने के लिए कांग्रेस की सरकार वापस लौटी लेकिन सियासी उठापटक के बाद बीजेपी फिर से राज्य की सत्ता पर काबिज हो गई. 

2023 में होगा विधानसभा चुनाव 
अब 2023 में एक बार फिर राज्य में विधानसभा चुनाव होना है, फिलहाल बीजेपी 127 सीटों के सात प्रदेश की सत्ता पर काबिज है, जबकि 96 सीटों के साथ कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी है. चार सीटों पर निर्दलीय विधायक हैं, जबकि 2 सीटें बसपा की और एक सीट सपा की है. वहीं बात अगर लोकसभा सीटों की जाए तो प्रदेश की 28 लोकसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है, जबकि एक सीट कांग्रेस के पास हैं. वहीं राज्यसभा की 11 सीटों में 8 बीजेपी के सदस्य हैं, जबकि 3 सदस्य कांग्रेस के हैं. 

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