MP स्थापना दिवस पर मां की गुहार! 6 महीने से नहीं मिली मजदूरी; बच्चे ने भूख से तोड़ दिया दम, कोई सुनवाई नहीं
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MP स्थापना दिवस पर मां की गुहार! 6 महीने से नहीं मिली मजदूरी; बच्चे ने भूख से तोड़ दिया दम, कोई सुनवाई नहीं

ग्वालियर नगर निगम में दैनिक वेतन भोगी सफाई कर्मी महिला को पिछले 6 महीने से वेतन नहीं मिला.इस बीच उसके बच्चे ने भी भूख से दम तोड़ दिया. मजबूर होकर आज MP स्थापना दिवस पर मां अपनी गुहार लेकर पहुंची तो उल्टे उसी पर आरोप लगा दिए गए. 

MP स्थापना दिवस पर मां की गुहार! 6 महीने से नहीं मिली मजदूरी; बच्चे ने भूख से तोड़ दिया दम, कोई सुनवाई नहीं

प्रहलाद सेन/ग्वालियर: नगर निगम में दैनिक वेतन भोगी सफाई कर्मी एक महिला की कहानी सुन आपको लगेगा ये कोई फिल्मी कहानी है. लेकिन ये आज के समय का कड़वा सच है,जहां गरीबों की सुनवाई करने वाला कोई नहीं है. एक महिला जो रोजाना मजदूरी कर अपना घर चलाती है, उसे पिछले 6 महीने से वेतन नहीं मिला. महिला ने इसकी शिकायत कई बार नगर निगम के आला अधिकारियों से भी की, लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई. इस बीच उसके बच्चे ने भूख से दम तोड़ दिया, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा.

बच्चा भूख प्यास से दुनिया को कह गया अलविदा 
महिला 6 महीने तक बिना पैसे के नगर निगम में काम करती रही. इस दौरान उसकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई कि उसका मासूम छोटा बच्चा भूख प्यास से बिलख बिलख कर दुनिया को अलविदा कह गया, लेकिन फिर भी जिम्मेदारों का दिल नहीं पसीजा. इतना होने के बाद भी महिला आज भी अपने वेतन के लिए नगर निगम के अधिकारियों के चक्कर काटने को मजबूर है. नगर निगम की दैनिक वेतन भोगी सफाई कर्मी निर्मला धौलपुरिया शिंदे की छावनी इलाके में अपने मायके में रहती. कुछ दिन पहले उसकी मां का भी देहांत हो गया. महिला का पति भी नहीं है. ऐसे में गुजर-बसर करने के लिए उसने नगर निगम आयुक्त से नौकरी की गुहार लगाई तो उसे दैनिक वेतन भोगी के तौर पर नगर निगम में सफाई कर्मी के पद पर रख लिया गया.

शिकायत की तो उसी पर खड़े किए सवाल
नगर निगम में काम तो कराते रहे, लेकिन 6 माह हो गए उसे जब पैसा नहीं मिला तो उसकी आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई. नौबत यहां तक आ गई कि उससे अपने बच्चे का लालन-पालन करने के लिए इंतजाम नहीं हो पाया, जिसके बाद उसके बच्चे ने कुछ दिन पहले दम तोड़ दिया. आज महिला मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस के मौके पर नगर निगम के अधिकारियों के बीच पहुंची और अपनी आपबीती फिर से सुनाने लगी. हालांकि मामले में नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी महिला को नगर निगम का कर्मचारी मानने से इंकार कर रहे हैं. उनका कहना है कि इस मामले की जांच की जा रही है. अगर महिला नगर निगम की कर्मचारी होगी तो उसे नियमित वेतन मिल रहा होगा. अगर कोई गड़बड़ी होगी तो जिम्मेदार आदमी पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

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