मध्य प्रदेश के हरदा में भूतों का मेला लगा था. मेले के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थें. देर रात हो रहा तंत्र-मंत्र का खेल बहुत डरावना था. यह मेला हर साल श्राद्ध पक्ष की अमावस्या के एक दिन पहले वाली रात्रि को लगता है.
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हरदाः (Ghost Fair) आपने अनेक पर्वों पर कई तरह के मेले के आयोजन के बारे में देखा या सुना होगा. लेकिन आज हम आपको आस्था के ऐसे मेले के बारे में बता रहे हैं, जहां भूतों का मेला लगता है. इसे भले ही लोग अधंविश्वास कहें लेकिन हरदा जिले में हर साल श्राद्ध पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भूतों का मेला लगता है, जो अगले दिन अमावस्या की सुबह तक चलता है. यहां पर रात को होने वाले मंत्र तंत्र का खेल बहुत डरावना होता है.
पितृपक्ष चतुर्दशी को लगा था मेला
यहां पर कल रात यानी पितृपक्ष की चतुर्दशी को देर रात तंत्र मंत्र का खेल शुरू हुआ जो आज सुबह तक चलता रहा. इस दौरान देर रात का नजारा बेहद डरावना था. मान्यता है कि इस दिन नर्मदा नदी का जल चमत्कारी हो जाता है. स्थानीय लोगों का कहना हैं कि इसमे स्नान करने से यहां आये लोगों की बाहरी बाधाएं दूर हो जाती हैं.
प्रेत बाधा से पीड़ित लोगों का लगा रहा जमावड़ा
हरदा में सर्वपितृ अमावस्या के मौके पर लगने वाले मेले में लगभग एक लाख श्रद्धालुओं ने शिरकत की. सोमवती अमावस्या होने के कारण लोगों ने नर्मदा में आस्था की डुबकी लगाई. चौदस की रात से अमावस्या की सुबह तक नर्मदा के घाटो पर प्रेत बाधा से पीड़ित लोगों का जमावड़ा लगा रहा. स्थानीय लोगों के अनुसार यह सब लोग पड़िहारो (देव) से अपना इलाज कराते रहे. नर्मदा के पानी में खड़े होकर ग्रामीण भाषा में पड़िहार लोगों को तकलीफों को सुनाते रहे, तो कहीं प्रेतबाधा से पीड़ित महिलाएं पानी और कीचड़ में लौटती रहीं. यहां आने वाले ग्रामीणों ने बताया की इस दिन यहां आने वाले सभी लोगों की तकलीफे दूर की जाती हैं. वहीं यहां आने वाले युवा भी इस परम्परा से प्रभावित दिखे हैं.
आस्था के नाम पर होता रहा जानलेवा काम
मान्यता हैं कि चौदस की रात से शुरू हुए भूतों के इस मेले में आस्था के नाम पर जानलेवा काम होते रहे. कोई तलवार से अपने अंगो को काटता रहा तो कोई जंजीरो से भूतों को भगाता रहा. यह सब खेल वहां प्रशासन की मौजूदगी में हुआ. मौके पर मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों ने बताया कि अगर कोई शिकायत मिलेगी तो कार्यवाई करेंगे.
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