मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले इस बार भाजपा किसी तरह का रिस्क लेने की मूड में नहीं है. यही वजह है कि भाजपा चुनाव में निर्णायक हर जाति वर्ग को साधने में जुट गई है. अब 50 सीटों पर हराने और जिताने का मादा रखने वाली जाति के लिए भाजपा ने एक साथ कई घोषणाएं कर दी हैं.
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Madhya pradesh/प्रमोद शर्मा: भोपाल में रविवार को हुए ब्राह्मण महाकुंभ में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) और भाजपा (BJP) ने विधानसभा चुनाव से पहले ब्राह्मणों को साधने की कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. महाकुंभ में शामिल होने आए मुख्यमंत्री ने एक के बाद एक कई घोषणाएं कर डालीं. ऐलान किया कि भगवान परशुराम जयंती के दिन सरकारी छुट्टी रहेगी. संस्कृत विद्यालय के 1 से 5 तक के छात्रों को 8 हजार रुपए, 6 से 12 तक के छात्रों को 10 हजार रुपए स्कॉलरशिप के रूप में दिए जाएंगे. इतना ही नहीं सीएम ने कहा कि जिन मंदिरों के पास कृषि भूमि नहीं है, वहां के पुजारियों को हर महीने 5 हजार रुपए भी दिए जाएंगे.
भोपाल के जंबूरी मैदान में आयोजित ब्राह्मण सम्मेलन में प्रदेशभर से समाज के लोग जुटे थे. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हम पहले तय कर चुके हैं कि पाठ्य पुस्तकों में भगवान परशुराम की गाथा पढ़ाई जाएगी. मंदिरों की कोई जमीन अब कलेक्टर नीलाम (कोली/बटिया) नहीं करेगा, इसका अधिकारी पुजारी को ही होगा. इसके अलावा मुख्यमंत्री ने ब्राह्मण आयोग के गठन की मांग पर कहा, कोई दिक्कत नहीं है. इस बात करेंगे. भोपाल में ब्राह्मण समाज के बच्चों के लिए छात्रावास बनाने के लिए जमीन की व्यवस्था की जाएगी. गरीब ब्राह्मण परिवार के मेधावी छात्रों की मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज की पढ़ाई का खर्च भी सरकार उठाएगी.
ब्राह्मण महाकुंभ में गूंजा लव जिहाद का मुद्दा
ब्राह्मण महाकुंभ में एक साथ हाथ उठाकर हुआ लव जिहाद का विरोध किया गया. विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि हिंदुस्तान में हिन्दू के घर जो बेटी पैदा होगी वो अकबर और हुमायूं के घर नहीं जाएगी. हिन्दू की बेटी अब केवल राम-श्याम के घर ही जाएगी. पहले देश मे तिलक मिटाकर राजनीति होती थी अब तिलक लगाकर राजनीति होती है. उन्होंने आगे कहा कि अभी तो राम का मंदिर बनाना शुरू हुआ है बाकी के मंदिर भी बनेंगे.
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क्यों जरूरी हैं ब्राह्मण?
2018 विधानसभा चुनाव में ब्राह्मणों की नाराजगी भाजपा पर भारी पड़ गई थी. 15 साल से प्रदेश में राज कर रही भाजपा की सरकार चली गई थी. ग्वालियर चंबल में सवर्ण-दलित टकराव ने विधानसभा चुनाव के नतीजों पर बड़ा फर्क डाला था. ब्राह्मण वर्ग की नाराजगी 2018 के बीजेपी पर भारी और कांग्रेस के लिए फायदेमंद रही. प्रदेश में ब्राह्मण आबादी 12 फीसदी के आसपास है. प्रदेश की 50 विधानसभा सीट पर ब्राह्मण जीत-हार दिलाते हैं. इसे लिहाज ब्राह्मण बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए जरूरी है.