Cyclone Biparjoy: देश भर में बिपरजॅाय चक्रवात का कहर देखने को मिल रहा है. इसका असर इन दिनों गुजरात में ज्यादा हो गया है. क्या आपने सोचा है कि देश भर में आने वाले चक्रवातों के नाम कैसे रखें जाते हैं. क्या प्रक्रिया होती है. जानिए यहां
बिपरजॅाय चक्रवात अरब सागर से उठा था. ये लैंडफॅाल के बाद लगभग 154- 155 घंटे की स्पीड के साथ गुजरात की तरफ दस्तक दे चुका है.
जब हवा की स्पीड 119 किलोमीटर प्रति घंटे को पा कर जाती है, तो ये ट्रॉपिकल हरिकेन की श्रेणी में आ जाता है. इसके बाद जब हरिकेन की ये कैटेगरी 1-5 के स्केल पर बढ़ती जाती है. तो वो चक्रवात में बदल जाता है.
चक्रवातों के नाम रखने की जिम्मेदारी 13 देशों के पास है. इनका नामकरण सिस्टमेटिक तरीके से होता है. जो इस तरह है.
साल 2000 में विश्व मौसम विज्ञान के आठ सदस्य देशों ने आने वाले चक्रवात का नामकरण करने का फैसला किया था.
इन देशों में भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड, श्रीलंका, मालदीव, ओमान और पाकिस्तान शामिल थे. साल 2018 में इसमें पांच देश औऱ जुड़े इनमें ईरान, कतर सऊदी अरब, यमन और यूएई शामिल हुए.
ये 13 देश 13- 13 नामों की एक सूची बनाते हैं और क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्रो को भेजते हैं. जैसे ही चक्रवात आने की स्थिति बनती है तो उस लिस्ट से अंग्रेजी के अल्फाबेट के हिसाब से देखा जाता है कि किस देश की बारी है.
इस काम को 2004 से क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र (RSMC) करते हैं, पूरी दुनिया में ऐसा करने वाले कई मौसम विज्ञान केंद्र हैं.
अल्फाबेट के हिसाब से 13 देशों में भारत का नाम दूसरे स्थान पर है.
हालांकि इससे साल 1953 से मायामी नेशनल हरिकेन सेंटर और WMO तूफानों और चक्रवातों के नाम रखते थे.
बिपरजॅाय चक्रवात का नाम बांग्लादेश देश ने रखा है.
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