सोशल मीडिया में छिड़ी बहस, धार्मिक भावनाएं नूपुर और नवीन ने भी भड़काईं, फिर जुबैर ही क्यों अरेस्ट?
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सोशल मीडिया में छिड़ी बहस, धार्मिक भावनाएं नूपुर और नवीन ने भी भड़काईं, फिर जुबैर ही क्यों अरेस्ट?

मोहम्मद जुबैर (Mohammad Zubair Atl News) को मार्च 2018 में किए गए उनके एक ट्वीट को लेकर अरेस्ट किया गया है. उन पर जानबूझकर धर्म विशेष के देवी-देवताओं के अपमान का आरोप लगा है. नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) और नवीन जिंदल (Naveen Kumar Jindal) पर भी धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप है. उनके खिलाफ महाराष्ट्र में दो और पश्चिम बंगाल में एक मामला दर्ज है.

सोशल मीडिया में छिड़ी बहस, धार्मिक भावनाएं नूपुर और नवीन ने भी भड़काईं, फिर जुबैर ही क्यों अरेस्ट?

नई दिल्ली: ALT न्यूज के को-फाउंडर जुबैर अहमद (Mohammad Zubair Atlnews) को पुलिस ने सोमवार को गिरफ्तार किया है. उन पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप है. जुबैर की गिरफ्तारी पर सोशल मीडिया से लेकर बड़े नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है. जुबैर मामले को देखते हुए लोगों ने नुपूर शर्मा की गिरफ्तारी न होने पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. राहुल गांधी से लेकर टीएमसी की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी गिरफ्तारी का विरोध किया और नुपूर शर्मा (Nupur Sharma) और नवीन जिंदल (Naveen Jindal) पर कार्रवाई न होने पर सवाल उठाए.

सोशल मीडिया सहित राजनीति से जुड़े लोगों ने आरोप लगाएं हैं कि नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल पर भी भावनाएं आहत करने का आरोप है. उनके बयान से तो कई जगहों पर दंगा-फसाद तक हो गया, लेकिन फिर वो पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं, जबकि जुबैर पर भी धारा 153/295 के तहत मामला दर्ज किया गया है. लेकिन उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. यह सब पक्षपात हो रहा है. 

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और राहुल गांधी ने बीजेपी को घेरा
तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा (TMC MP Mahua Moitra) ने दिल्ली पुलिस को लताड़ लगाई है. उन्होंने कहा कि साहिब को खुश करने के लिए वो घुटनों के बल बैठ गए. उन्होंने कहा कि जुबैर को एक मनगढ़ंत केस में अरेस्ट किया गया, जबकि मिसेज फ्रिंज शर्मा (नूपुर शर्मा) सुरक्षा के साये में जिंदगी की मौज ले रही हैं. जबकि उन्होंने भी ऐसा ही अपराध किया है.

वहीं राहुल गांधी (Rahul Gandhi On Zubair) ने मोहम्मद जुबैर के बहाने बीजेपी को घेरने की कोशिश की है. राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि सच्च की एक आवाज को दबाओगे तो ऐसी हजारों आवाजें और उठेंगे. बीजेपी की नफरत, कट्टरता और झूठ को बेनकाब करने वाला हर व्यक्ति उनके लिए खतरा है. सच्चाई की निरंकुशता पर हमेशा जीत होती है.

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कांग्रेस के यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष और टीएमसी के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से भी जुबैर के लिए ट्वीट किया गया है. केरल के एक विधायक एमके मुनीर ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने लिखा है कि विडंबना है कि नफरत फैलाने वाला, भाषण देने वाला खुला घूम रहा है, जबकि इसका खुलासा करने वाले पत्रकार को हिरासत में लिया गया है.

सोशल मीडिया पर भी लोग कर रहे विरोध
वहीं सोशल मीडिया पर भी जुबैर की गिरफ्तारी के खिलाफ लोगों ने आवाज बुलंद की है. स्वतंत्र पत्रकार रणविजय ने लिखा है कि झूठ के टीले पर बैठा बादशाह सच से ख़ौफ़ज़दा है. वहीं पत्रकार अनुराग द्वारी ने लिखा है कि सच अप्रिय होता है. हुक्मरानों को अप्रिय बातें अच्छी नहीं लगतीं. @zoo_bear भाई हम आपके साथ हैं. ज़िंदाबाद. साथ ही लोगों ने सवाल उठाए हैं कि दोनों केस में धाराएं समान हैं लेकिन कार्रवाई एक खिलाफ हुई है, ऐसा क्यों हुआ है. समझा जा सकता है.

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नूपुर के बयान के बाद हुआ था जमकर विरोध?
आपको बता दें कि जुबैर को मार्च 2018 में किए गए उनके एक ट्वीट को लेकर गिरफ्तार किया गया है औऱ उन पर जानबूझकर धर्म विशेष के देवी-देवताओं के अपमान का आरोप लगा है. उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 153ए और 295ए के तहत मामला दर्ज किया गया है. इन्हीं धाराओं के तहत नूपुर शर्मा और नवींन जिंदल के खिलाफ मामला दर्ज है, लेकिन उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है. जबकि इन दोनों नेताओं के बयान के बाद देश में जबरदस्त विरोध हुआ था और कई जगहों पर प्रदर्शन भी हुआ था. महाराष्ट्र के मुंबई, ठाणे और बंगाल में केस दर्ज है. टीएमसी (TMC) अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने पूर्व मिदनापुर (East Midnapur) के कोंटाई थाने में FIR दर्ज कराई है.

सोमवार को हुआ क्या था?
पुलिस ने बताया जुबैर के एक ट्वीट पर यह मामला दर्ज किया गया है. पुलिस जुबैर को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश करेगी. दरअसल, ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक प्रतीक सिन्हा ने अपने सहयोगी की गिरफ्तारी पर ट्वीट करके जानकारी दी थी. उन्होंने बताया था कि जुबैर को सोमवार स्पेशल सेल ने 2020 के एक मामले में जांच के लिए बुलाया था, जिसके लिए उन्हें पहले से ही कोर्ट से गिरफ्तारी से सुरक्षा प्राप्त थी. सोमवार शाम 6 बजे हमें बताया गया कि उन्हें किसी अन्य मामले में गिरफ्तार किया गया है, जिसके लिए कोई नोटिस नहीं दिया गया था. उन्होंने आरोप लगाया कि हमारे बार-बार कहने के बावजूद पुलिस FIR की कॉपी नहीं दी थी.

क्या है धारा 153A?
भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसीसी की धारा 153ए कहता है कि जब कोई व्यक्ति अवैध यानी गैर कानूनी बात करके किसी दूसरे शख्स को बदनियती यानी द्वेषभाव के ज़रिए ऐसा कृत्य करता है जिससे दो समुदायों के बीच सद्भाव खत्म होता है, खुशहाली भंग होती हो, तो उसके खिलाफ इस धारा के तहत के मामला दर्ज किया जाता है. इस धारा में दो और भी बातें जिसके तहत आरोपी के बयान से उपद्रव हो जाता है तो उसे किसी भी अवधि तक के लिए जेल भेजा जा सकता है. ज्यादा से ज्यादा एक साल तक के लिए मुजरिम को जेल भेजा सकता है. सजा के साथ आर्थिक दंड भी कोर्ट लगा सकती है. या फिर दोनों सजाएं भी दी जा सकती हैं. वहीं अगर बयान या कृत्य से किसी तरह का उपद्रव नहीं हुआ तो दोषी की सजा में कुछ कमी हो जाती है. मामले में 6 महीने की अधिकतम सजा हो सकती है. कुछ मामलों में सिर्फ जुर्माना लगता है, और कुछ मामलों में जुर्माना और सजा दोनों हो सकती है.

क्या है धारा 295A?
धारा 295A तब लागू होती जब किसी व्यक्ति ने हिंदुस्तान समाज के किसी धर्म या विश्वास का अपमान करता है. या फिर जानबूझकर धार्मिक भावनाएं भड़काता है या इससे संबंधित कोई वक्तव्य देता है तो 295A के तहत कार्रवाई की जाती है. 295A के दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा 2 साल की सजा या फिर जुर्माना लगाया जा सकता है. इसके अलावा कारावास की सजा और जुर्माना दोनों भी लगाए जा सकते हैं.

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