Tulsi Vivah 2022: कब है तुलसी विवाह? नोट करें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Advertisement
trendingNow0/india/delhi-ncr-haryana/delhiharyana1411919

Tulsi Vivah 2022: कब है तुलसी विवाह? नोट करें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी और शालीग्राम का विवाह कराया जाता है. आइए जानते हैं इस साल की तुलसी विवाह तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि. 

 

Tulsi Vivah 2022: कब है तुलसी विवाह? नोट करें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Tulsi Vivah 2022 Date: हिंदुओं में कार्तिक मास का बहुत महत्व है. इस महीने में कई त्योहार मनाए जाते हैं जैसे दिवाली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज, छठ पूजा और इनमें से ही एक तुलसी विवाह भी है. तुलसी विवाह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को आयोजित किया जाता है. इसके पहले देवउठनी एकादशी होती है और इस दिन के बाद से ही विवाह के शुभ योग बनते हैं. हिंदुओं में तुलसी को पवित्र पौधा माना जाता है जिसकी पूजा की जाती है. इस दिन तुलसी और शालीग्राम (विष्णु का स्वरुप) का विवाह किया जाता है. आइए जानके हैं किस तरह करें तुलसी विवाह और जानें इसका शुभ मुहूर्त.

तुलसी विवाह का महत्व 
ऐसी मान्यता है कि तुलसी विवाह के दिन मां तुलसी और भगवान शालिग्राम की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. भक्तों के वैवाहिक जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है. साथ ही पति-पत्नी में  किसी भी तरह की कोई समास्या नहीं रहती हैं. 

तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त
तुलसी विवाह तिथि: 5 नवंबर 2022
कार्तिक द्वादशी तिथि शुरू: 5 नवंबर शाम 6.08 बजे

ये भी पढ़ें: अगर बच गई Gulab Jamun और Jalebi की चाशनी तो फेंके नहीं, बनाएं ये स्वादिष्ट Dishes

कार्तिक द्वादशी तिथि समाप्त: 6 नवंबर शाम 5.06 बजे
तुलसी विवाह शुभ मुहूर्त: 6 नवंबर दिन 1:09 से 3:18 बजे तक

तुलसी विवाह की पूजा विधि  
-तुलसी विवाह करने के लिए सबसे पहले चौकी बिछाएं उस पर तुलसी का पौधा और शालिग्राम को स्थापिक करें.
- इसके बाद इनके पास में कलश में पानी भरकर रखें. 
-तुलसी और शालिग्राम पर गंगाजल छिड़कर घी का दीया जलाएं.
- इसके बाद दोनों को रोली और चंदन का टीका लगाएं.
-तुलसी के गमले में गन्ने का मंडप जरूर बनाएं. 
-अब तुलसी मां को सुहागिन बनाने के लिए लाल चुनरी, चूड़ी और बाकी श्रृंगार का सामान अर्पित करें.  
-इसके बाद शालिग्राम को हाथ में लेकर तुलसी की परिक्रमा करें और इसके बाद आरती करें.