Gambia में 66 बच्चों की मौत की जिम्मेदार बनी ये दवा कंपनी, डायरेक्टर को हुई जेल
Advertisement

Gambia में 66 बच्चों की मौत की जिम्मेदार बनी ये दवा कंपनी, डायरेक्टर को हुई जेल

सोनीपत में दवा गुणवत्ता में खरा नहीं उतरी मेडेन फार्मा जिसकों अदालत ने कंपन के निदेशक और तकनीकी निदेशक को ढ़ाई वर्ष की जेल की सजा सुनाई और साथ ही दोनों आरोपियों पर 1-1 लाख का जुर्माना भी लगाया है.

Gambia में 66 बच्चों की मौत की जिम्मेदार बनी ये दवा कंपनी, डायरेक्टर को हुई जेल

सोनीपत: सोनीपत में दवा गुणवत्ता में खरा नहीं उतरी मेडेन फार्मा जिसकों अदालत ने कंपन के निदेशक और तकनीकी निदेशक को ढ़ाई वर्ष की जेल की सजा सुनाई और साथ ही दोनों आरोपियों पर 1-1 लाख का जुर्माना भी लगाया है. इस मामले में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजीव आर्य की अदालत द्वारा 25 फरवरी को दोषी ठहराया गया था. गांबिया में कथित तौर पर 66 बच्चों की मौत के मामले में भी कंपनी पर घटिया गुणवत्ता की दवा एक्सपोर्ट करने का आरोप लगाया गया था.

बता दें कि दवा गुणवत्ता को लेकर हाल ही में काफी चर्चा में रही सोनीपत के कुंडली स्थित मेडेन फार्मा दवा कंपनी एक अन्य मामले में सोनीपत की अदालत से झटका भी लग चुका है. मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड कुंडली के निदेशक नरेश कुमार गोयल और तकनीकी निदेशक एम.के. शर्मा को घटिया रैनिटिडिन हाइड्रोक्लोराइड टैबलेट बीपी (मांटेक-150) के मामले में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजीव आर्य की अदालत द्वारा 25 फरवरी को दोषी ठहराया गया था. दोनों दोषियों को अदालत ने ढ़ाई-ढ़ाई साल की सजा सुनाई और साथ ही दोषियों पर एक-एक लाख रुपए जुर्माना भी लगाया गया. गांबिया में कथित तौर पर 66 बच्चों की मौत के मामले में भी उक्त कंपनी पर घटिया गुणवत्ता की दवा एक्सपोर्ट करने का आरोप था.

ये भी पढ़ें: Ghaziabad: ठगों ने खेला हेरा-फेरी का खेल, पैसा दोगुना करने का लालच देकर लोगों को बनाया अपना शिकार

 

बता दें कि सी.डी.एस.सी.ओ. के सब-जोन में ड्रग इंस्पेक्टर दिनेश कुमार और सोनीपत के तत्कालीन ड्रग कंट्रोल ऑफिसर परवीन कुमार ने 13 मार्च 2014 को कुंडली में मेडेन फार्मा के परिसर का दौरा किया था. उन्होंने कंपनी के फिनिश्ड गुड्स स्टोर से रैनिटिडीन दवा के नमूने लेकर जांच के लिए भेजे थे. रीजनल-अल ड्रग टेस्टिंग लेबोरेटरी चंडीगढ़ में ये नमूने जांचे गए. अदालत को बताया गया कि 8 अगस्त 2014 को आर.डी.टी.एल. की रिपोर्ट में नमूना औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 में परिभाषित मानक गुणवत्ता का नहीं था, क्योंकि नमूना डी.सी.जी.आई. द्वारा भेजे गए पत्रों में दिए मानदंड अनुसार दावे के अनुरूप नहीं है.

ऐसे में फर्म के निदेशक नरेश कुमार गोयल और तकनीकी निदेशक एम.के. शर्मा के खिलाफ उक्त अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर सुनवाई शुरू की गई. गत दिनों अदालत ने सुनवाई पूरी होने के बाद दोनों आरोपियों को दोषी करार दिया. अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजीव आर्य की अदालत ने दोनों दोषियों को ढ़ाई-ढ़ाई साल की कैद की सजा सुनाई गई. साथ ही दोनों पर एक-एक लाख रुपए जुर्माना भी लगाया गया है.

Input: राजेश खत्री  

Trending news