राजनेताओं को रामायण के इस पात्र की तरह होना चाहिए, सोनीपत में मोहन भागवत ने दी नसीहत
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राजनेताओं को रामायण के इस पात्र की तरह होना चाहिए, सोनीपत में मोहन भागवत ने दी नसीहत

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मोहन भागवत सोमवार शाम श्री रामकृष्ण साधना केंद्र मुरथल पहुंचे. उन्होंने  परम राष्ट्रीय संत प्रभु दत्त ब्रह्मचारी महाराज तथा संत श्री ब्रह्म प्रकाश की मूर्ति का अनावरण किया। इसके बाद उन्होंने एक सभा को संबोधित किया.

राजनेताओं को रामायण के इस पात्र की तरह होना चाहिए, सोनीपत में मोहन भागवत ने दी नसीहत

राजेश खत्री/सोनीपत : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मोहन भागवत सोमवार शाम श्री रामकृष्ण साधना केंद्र मुरथल पहुंचे. उन्होंने परम राष्ट्रीय संत प्रभु दत्त ब्रह्मचारी महाराज तथा संत श्री ब्रह्म प्रकाश की मूर्ति का अनावरण किया। इसके बाद उन्होंने एक सभा को संबोधित किया. इस दौरान काफी साधु संतों के अलावा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, सांसद रमेश चंद्र कौशिक, विधायक मोहनलाल कोशिक, निर्मल रानी भी मौजूद रहीं. 

मोहन भागवत ने कहा कि साधु संतों ने सदियों से आध्यात्मिक जागृति पैदा करने का कार्य किया है और अखंड भारत को एकता के सूत्र में बांधा है. साधु संतों ने इस पृथ्वी पर जन्म लिया है और वह देश के प्रति हमेशा से ही अच्छा करते रहे हैं. 

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भागवत ने राजनेताओं को भी नसीहत देते हुए कहा कि यहां राजनेता और विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के संचालक भी उपस्थित हैं. वे भी अपने समाज के लिए कार्य करते हैं. लेकिन समाज के लिए कार्य करने के प्रति भाव होना बेहद जरूरी है. अगर वह समाज में अच्छा कार्य करेंगे तो उनका नाम भी अवश्य होता है उनको संघ ने राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया, लेकिन पद मिलने के बाद उसके मोह में न फंसते हुए कार्य करना बेहद जरूरी है जैसे हनुमान जी ने सब कुछ किया लेकिन अंत में जब पुरस्कार पाने का समय आया तो वह पंक्ति में सबसे पीछे खड़े थे.

उन्होंने कहा कि इच्छा तो इंसान के मन में बहुत ही जागृत होती है, लेकिन जो देशभक्ति और अच्छे के लिए सब का भला करने के लिए कार्य करता है, वह महान व्यक्तित्व रखता है. अभी कुछ दिन पहले सभी ने अपने घर में लक्ष्मी माता की पूजा की और अलक्ष्मी से कहा जाता है कि वह चली जाए यानी शरीर के अंदर क्रोध नहीं रहना चाहिए। आलस शरीर को शक्तिशाली नहीं बनने देता है. उसे शरीर में नहीं रहना चाहिए.

 

 

 

 

 

 

 

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