Karnal News: समुद्र की गहराई में खेती के लिए शोध, ग्रीन हाउस गैसों में आ पाएगी कमी
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Karnal News: समुद्र की गहराई में खेती के लिए शोध, ग्रीन हाउस गैसों में आ पाएगी कमी

Haryana News: देश के वैज्ञानिक 3डी सी फार्मिंग विषय पर शोध करने जा रहे हैं. इसमें समुद्र की गहराई में खेती की जा सकती है. यह समुद्र तटीय क्षेत्रों क लिए एक बड़ा विकल्प साबित हो सकता है. 

Karnal News: समुद्र की गहराई में खेती के लिए शोध, ग्रीन हाउस गैसों में आ पाएगी कमी

Karnal News: देश के वैज्ञानिक अब 3डी सी फार्मिंग विषय पर शोध करने जा रहे हैं. इसकी जानकारी केंद्रीय मृदा एवं लवणता अनुसंधान परिषद के 56वें स्थापना दिवस पर पहुंचे संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. एनके त्यागी ने वैज्ञानिकों को दी है. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, कृषि क्षेत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा माना जाता है. ऐसे में हमें ऐसी खेती की ओर ध्यान देना चाहिए , जिनमें ऊर्जा कम लगे और ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन भी कम हो.  वहीं प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करके हमें उनका जरूरत के हिसाब से उपयोग करना होगा.
 
ग्रीन हाउस का कम हो उत्सर्जित
डॉ. एनके त्यागी ने कहा कि भारत कृषि पर आधारित देश है. वहीं जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक असर कृषि क्षेत्र में देखा जा सकता है, यही कारण है कि भारत इतना चिंतित है. उन्होंने यह भी कहा कि कार्बनडाई ऑक्साइड गैस की बाउंड्री 350 होनी चाहिए, लेकिन आज के समय में 417.06 पीपीपी है. नाइट्रोजन 35.0 पीपीपी के दायरे से निकलकर 121 पीपीपी तक पहुंच गई है. वहीं लैंड गैप के साथ-साथ फूड गैप की स्थिति बनती नजर आ रही है. ऐसे में हमें ऐसी खेती पर जाना होगा, जिसमें ऊर्जा कम लगे. जैसे डीजल से सिंचाई करने पर गैसें अधिक उत्सर्जित होती हैं. तापमान बढ़ेगा तो सिंचाई भी अधिक करनी होगी और पानी भी अधिक लगेगा. ऐसे में हमें प्रकृति के अनुसार खेती करनी होगी. भोजन खराब न हो, पैदावार बढ़े, ग्रीन हाउस गैसें कम उत्सर्जित हों, लवणीय एवं क्षारीय मिट्टी में सुधार तेजी के साथ किया जाए.

3डी सी फार्मिंग की दी जानकारी 
वहीं डॉ. एनके त्यागी ने वैज्ञानिकों को एक नई एग्रो तकनीक के बारे में जानकारी देते हुआ कहा कि 3डी सी फार्मिंग को नए शोध विषय के रूप में देखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि ये फार्मिंग समुद्र तटीय क्षेत्रों में एक बेहतर और बड़ा विकल्प साबित हो सकती है. इसके लिए समुद्र में एक गहराई तक ढांचा तैयार किया जाता है, जिसमें अलग-अलग गहराई में अलग-अलग तापमान होता है. अलग-अलग तरह के जीव जीवित रहते हैं, उन्हें उन्हीं की गहराई में रहकर पालना होगा, ऐसा करने से बेहतर आय हो सकती है. इसमें मछलियों के साथ-साथ अन्य समुद्री जीवों का पालन हो सकता है. 

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अन्य देश में शुरू हो गई यह तकनीक
वहीं उन्होंने यह भी बताया कि यह तकनीक विकसित हो गई है, कोरिया, नीदरलैंड आदि कई देशों में इस पर कार्य शुरू हो चुका है. भारत में भी केंद्रीय मछली अनुसंधान संस्थान कोचीन के क्षेत्रीय केंद्र मंडपम (तमिलनाडु) में इस पर शोध शुरू कर दिया है. भविष्य में 3डी सी फार्मिंग आय का बड़ा क्षेत्र हो सकता है.

Input- KAMARJEET SINGH

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