प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज SC में फैसला सुनाया जाएगा. इस कानून के तहत ही पार्थ चटर्जी, सत्येन्द्र जैन ED की हिरासत में हैं और सोनिया गांधी से आज तीसरी बार पूछताछ होगी.
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नई दिल्ली: प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के कई प्रावधानों को चुनौती देने वाली 100 से अधिक याचिकाओं पर आज SC में फैसला सुनाया जाएगा. ये फैसला न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ सुनाएगी. याचिकाकर्ताओं ने यह दलील दी है कि इस कानून में जांच शुरू करने, गवाहों से पूछताछ और उनके बयान दर्ज करने, संपत्ति की कुर्की की प्रक्रिया किसी भी व्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है. आज SC में जो भी फैसला लिया जाएगा वो कई मामलों में अहम होगा.
मोदी सरकार में PMLA के मामले 5 गुना तक बढ़े
वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी के PMLA के तहत दर्ज मामलों का आकड़ा पेश किया है, जिसके अनुसार 2014-15 से 2016-17 के बीच में इसके 489 मामले थे, 2019-20 में 2,723 हो गए और 2021-22 तक ये मामले 456% से अधिक बढ़ गए.
मनी लॉन्ड्रिंग क्या है?
मनी लॉन्ड्रिंग अवैध तरीके से कमाए गए पैसों को बदलने की प्रक्रिया को कहा जाता है, जिसमें काले धन को वैध कमाई के रूप में बदल दिया जाता है.
यह प्रक्रिया 3 चरणों में होती है-
1. प्लेसमेंट (Placement)
2. लेयरिंग (Layering)
3. एकीकरण (Integration)
क्या है प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA)
धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act) वर्ष 2002 में लागू किया गया और 2005 में लागू हुआ. इस एक्ट का उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग को रोकना और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल या उससे प्राप्त की गई संपत्ति को जब्त करना है.
इस अधिनियम की अनुसूची के भाग A, B और C में अपराधों का उल्लेख किया गया है-
भाग A के अधिनियमों के अंतर्गत आने वाले अपराध
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code)
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act)
नारकोटिक्स ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक पदार्थ अधिनियम (Narcotics Drugs and Psychotropic Substances Act)
पुरावशेष और कला कोष अधिनियम (Antiquities and Art Treasures Act)
ट्रेडमार्क अधिनियम (Trademark Act)
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (Wildlife Protection Act)
कॉपीराइट अधिनियम (Copyright Act)
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (Information Technology Act)
भाग B में वे अपराध शामिल हैं जिनका उल्लेख भाग A में है लेकिन वे अपराध एक करोड़ रुपये या उससे अधिक मूल्य के हैं.
भाग C में ट्रांस-बॉर्डर अपराध शामिल हैं.
PMLA के तहत दोषी पाए जाने पर सजा-
मनी लॉन्ड्रिंग से मिली संपत्ति को जब्त करना.
3 साल से 7 साल की सजा और जुर्माना.
यदि मनी लॉड्रिंग के साथ नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, 1985 से जुड़े अपराध भी शामिल हैं, तो जुर्माने के साथ 10 साल तक की सजा हो सकती है.
PMLA की जांच
PMLA के अंतर्गत आने वाले सभी अपराधों की जांच प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) करता है. ED वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के तहत एक विशेष वित्तीय जांच एजेंसी है. इसका गठन 1 मई, 1956 को किया गया था. 1957 में इसका नाम बदलकर 'प्रवर्तन निदेशालय' कर दिया गया.