Pitra Paksha 2022: बिहार के गया में ही क्यों है तर्पण का सबसे ज्यादा महत्व, जानें इससे जुड़ी मान्यता
Advertisement
trendingNow0/india/delhi-ncr-haryana/delhiharyana1338423

Pitra Paksha 2022: बिहार के गया में ही क्यों है तर्पण का सबसे ज्यादा महत्व, जानें इससे जुड़ी मान्यता

पौराणिक मान्यता के अनुसार गयासुर नाम के असुर ने ब्रह्मा जी को यज्ञ के लिए अपना शरीर दे दिया था, उसके शरीर के अलग-अलग भागों पर तीर्थ स्थित हैं. मुंह के भाग पर बिहार का गया पितृ तीर्थ स्थित है, इसे पितरों के तर्पण के लिए सबसे उत्तम माना जाता है. 

Pitra Paksha 2022: बिहार के गया में ही क्यों है तर्पण का सबसे ज्यादा महत्व, जानें इससे जुड़ी मान्यता

Pitra Paksha 2022: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व माना जाता है, ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण करने से उनका आशिर्वाद मिलता है. पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होती है, जो अश्विम मास की अमावस्या तिथि को समाप्त होता है. इस साल 10 सिंतबर से पितृपक्ष की शुरुआत होगी और 25 सितंबर को इसका समापन होगा. 

पितृ पक्ष 2022  श्राद्ध की तिथियां-

पूर्णिमा श्राद्ध- 10 सितंबर
द्वितीया श्राद्ध- 11 सितंबर
तृतीया श्राद्ध- 12 सितंबर
चतुर्थी श्राद्ध- 13 सितंबर
पंचमी श्राद्ध- 14 सितंबर
षष्ठी श्राद्ध- 15 सितंबर
सप्तमी श्राद्ध- 16 सितंबर
अष्टमी श्राद्ध- 18 सितंबर
नवमी श्राद्ध- 19 सितंबर
दशमी श्राद्ध- 20 सितंबर
एकादशी श्राद्ध- 21 सितंबर
द्वादशी/संन्यासियों का श्राद्ध- 22 सितंबर
त्रयोदशी श्राद्ध- 23 सितंबर
चतुर्दशी श्राद्ध- 24 सितंबर
अमावस्या श्राद्ध, सर्वपितृ अमावस्या- 25 सितंबर

Anant chaturdashi 2022: कब है अनंत चतुर्दशी? 10 दिवसीय गणेशोत्सव का होगा समापन, जानें शुभ व विसर्जन मुहूर्त

 

शास्त्रों के अनुसार मनुष्य को पितृ ऋण से मुक्ति पाने के लिए अपने पूर्वजों का बिहार के गया में श्राद्ध-पिंडदान करना चाहिए. इसके साथ ही ओडिशा के जाजपुर और आंध्रप्रदेश के पीठापुरम में भी पितरों को तर्पण किया जाता है. इन तीनों को त्रिगया पितृ तीर्थ कहा जाता है.

त्रिगया पितृ तीर्थ की मान्यता
पौराणिक मान्यता के अनुसार गयासुर नाम के असुर ने ब्रह्मा जी को यज्ञ के लिए अपना शरीर दे दिया था, उसके शरीर के अलग-अलग भाग जमीन पर गिरे जहां ये तीर्थ स्थित हैं. उसके मुंह के भाग से बिहार का गया पितृ तीर्थ, नाभि वाले हिस्से पर जाजपुर का पितृ तीर्थ और पैर वाले हिस्से पर राजमुंदरी का पीठापुरम पितृ तीर्थ स्थापित हुआ.  

मान्यता के अनुसार ब्रह्मा जी ने सबसे पहले गया को श्रेष्ठ तीर्थ मानकर यज्ञ किया था, उसके बाद ओडिशा का जाजपुर और फिर आंध्रप्रदेश का पीठापुरम. इन तीनों जगहों को पितरों के तर्पण के लिए उत्तम माना गया है. 

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee Media इसकी पुष्टि नहीं करता. 

 

Trending news