गुफा का नाम सुनते ही आपके मन में हॉरर फिल्मों की अंधेरी और भुतहा गुफाओं की इमेज उभरने लगती है, लेकिन न्यूजीलैंड के वेटोमी ग्लोवॉर्म गुफा का नजारा डराने की जगह आपको रोमांचित कर देगा. इसमें अंदर जाने पर तारों से जगमगाता आसमान बिल्कुल नजदीक दिखता है. दरअसल गुफा के अंदर ये रोशनी एराक्नीकैंपा ल्युमिनोसा नाम के ग्लोवॉर्म से निकलती है. मजेदार बात यह है कि ये वॉर्म जब ज्यादा भूखे होते हैं तो ज्यादा रोशनी पैदा करते हैं. ये जीव रोशनी से अपने शिकार को आकर्षित करते हैं और उन्हें फंसाने के लिए रेशम जैसा जाल बुनते हैं.
राजस्थान में एक मंदिर ऐसा है, जहां जाने वाले भक्तों को करीब 25 हजार चूहों का सामना करना पड़ता है. हम बात कर रहे हैं बीकानेर से 30 किलोमीटर दूर देशनोक में स्थित करणी माता मंदिर की. यह मंदिर एक ऋषि महिला करणी माता को समर्पित है, जिनका जन्म 1387 में हुआ था. करणी माता को जगदंबा माता का अवतार और मंदिर में रहने वाले इन चूहों को उनकी संतान माना जाता है. इन चूहों को वहां काबा के नाम से जाना जाता है. मंदिर में रोज सुबह और शाम की आरती के समय ये चूहे बिलों से बाहर आते हैं और चढ़ाए गए प्रसाद को जूठा करते हैं. पुजारी इसी प्रसाद को भक्तों में बांटते हैं.
अगर पूछा जाए कि दुनिया की सबसे महंगी लकड़ी कौन सी है तो हममें से ज्यादातर लोग इसका जवाब देते हैं चंदन, लेकिन ऐसाperu है नहीं. दुनिया की सबसे कीमती लकड़ी अफ्रीकन ब्लैकवुड, जिसे भारत में नॉर्थ इंडियन रोजवुड भी कहते हैं. इस पेड़ को तैयार होने में करीब आधी सदी का वक्त लगया है. इसकी कीमत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक किलो अफ्रीकन ब्लैकवुड की बाजार में कीमत करीब साढ़े लाख रुपये होती है. इस कीमत में आप एक कार भी खरीद सकते हैं. इस लकड़ी का इस्तेमाल वाद्य यंत्रों को बनाने में किया जाता है.
दक्षिणी अमेरिकी देश चिली के अटाकामा रेगिस्तान दिन में भीषण गर्मी और रात में अत्यधिक ठंड के लिए जाना जाता है. 1992 में मूर्तिकार मारियो इराजाबल ने अटाकामा रेगिस्तान के अत्यधिक तापमान को कम करने के लिए लोहे और कंक्रीट से रेगिस्तान में एक हाथ का स्कल्पचर बनाया था. इसकी ऊंचाई 11 मीटर है. दूर से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है, जैसे जमीन का सीना फाड़कर हाथ निकल आया हो और आसमान को झूने की कोशिश कर रहा हो. इस स्कल्पचर को डेजर्ट हैंड के नाम से जाना जाता है.
शांति और सुकून पसंद लोग तिब्बत के रितुओ मंदिर भी जा सकते हैं. ल्हासा से 100 किमी दूर स्थित यमद्रोक झील पर बने टापू पर एक बौद्ध मंदिर है. रितुओं का तिब्बती में मतलब होता है पहाड़ का पत्थर। तिब्बत के इस सबसे एकांत मंदिर में एक ही भिक्षु साधना करता है. ऐसी मान्यता है कि सदियों पुरानी चट्टान पर बने इस मंदिर में जाने पर सभी बीमारियों से छुटकारा मिल जाता है.
दक्षिण अमेरिका के देश पेरू के रेगिस्तान में कई विशाल आकृतियां पुरातत्व विभाग और अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े लोगों का ध्यान खींचती हैं. नाजका लाइंस में दिखने वाली लगभग 70 से ज्यादा जियोमेट्रिक आकृतियां इंसानों, पौधों और चीटीं समेत अन्य जीवों की हैं. इनमें सबसे बड़ी आकृति 1200 फीट की है और लोग हेलिकॉप्टर से इन अद्भुत नजारों को देखने जाते हैं. 1927 में आर्कियोलॉजिस्ट टोरिबियो मेजियो जेस्से ने इसकी खोज की थी. ऐसा कहा जाता है कि हवा में संदेश देने लिए इन लाइंस को बनाया गया था. वहीं ये भी कहा जाता है कि एलियंस के यहां उतरने की वजह से ये आकृतियां बनीं.