लाखों दिलों की धड़कन कैसी बनी Old Monk, जानें यूरोप से भारत तक का सफर
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लाखों दिलों की धड़कन कैसी बनी Old Monk, जानें यूरोप से भारत तक का सफर

भारत में करोड़ों लोगों की पसंद ओल्ड मंक का फ्लेवर ऐसा है कि आज भी किसी शराब प्रेमी को नॉस्टॉलजिक कर दे. साथ ही इसे इंसानों की दूरी को कम करने का टॉनिक भी कहा जाता है.

लाखों दिलों की धड़कन कैसी बनी Old Monk, जानें यूरोप से भारत तक का सफर

Old Monk Rum: ओल्ड मंक के बारे में तो आप सभी ने सुना ही होगा. कहा जाता है ओल्ड मंक रम गरीब को अमीर से जोड़ने का काम करती है. ओल्ड मंक रम इतनी सस्ती है कि आम आदमी इसे आसानी से खरीद सकता है. वहीं इसका टेस्ट ऐसा है कि बड़े से बड़ा करोड़पति भी सामाजिक दिखावे को दरकिनार कर इसका आनंद लेता है. 1954 से लेकर आज तक ओल्ड मंक का टेस्ट जैसा का तैसा ही है. पहले की तरह ही अब भी मार्केट में इसकी डिमांड है. कुछ नए ब्रॉन्ड को छोड़ दें तो इसका खुमार आज भी पहले की तरह ही है. यह हर उम्र के भारतीय के दिल में आज भी राज करती है. इसका टेस्ट ऐसा है कि किसी शराब प्रेमी को नॉस्टॉलजिक कर दे. 

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ओल्ड मंक के शौकीन कहते हैं कि इसमें किशमिश, वनीला और दूसरे मसालों का फ्लेवर कुछ ऐसा है कि इसके एक घूंट से किसी को भी उसकी कॉलेज लाइफ, हॉस्टल की चकल्लस, जवान होने के एहसास, पहली बार छिपकर शराब पीना, पहली नौकरी के जश्न और सेना में भर्ती होने जैस यादें ताजा हो जाती हैं. वहीं इसके शौकीन इसे बूढ़ा साधु भी कहते हैं.

कुछ लोग तो कहते हैं कि ओल्ड मंक डीटॉल की तरह है. जैसे डीटॉल बाहरी जख्मों को ठीक करता है, वैसे ही ओल्ड मंक अंदरूनी और दिल के जख्मों को ठीक करता है. बता दें कि 50-60 के दशक में जब हरक्यूलिस जैसे रम ब्रांड का दबदबा था, तब ओल्ड मंक ने बाजार में जोरदार एंट्री मारी. सबसे हैरानी के बात तो ये है कि ओल्ड मंक ने बिना क्लब सोडा, म्यूजिक सीडी या दूसरे किस्म के छद्म विज्ञापनों के लोगों के दिलों पर अबना दबदबा बनाया. दबदबा भी ऐसा वैसा नहीं बल्कि भारत के आम जनमानस में इसे 'नेशनल ड्रिंक' घोषित कर दिया. यह आर्मी की कैंटीन में भी मौजूद थी तो युवाओं में लोकप्रिय होने की एक बड़ी वजह यह भी थी.

मोहन मीकिन लिमिटेड कंपनी ने ओल्ड मंक रम को बनाया था. 2018 में जब मोहन मीकिन लिमिटेड के तत्कालीन चेयरमैन ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) कपिल मोहन का निधन हुआ था, तब बहुत सारे लोगों ने उन्हें ओल्ड मंक रम का जनक बताया. बता दें कि यह सच नहीं है. ओल्ड मंक के जन्मदाता कपिल मोहन नहीं, बल्कि कर्नल वेद रतन मोहन थे. इन्होंने 1954 में ओल्ड मंक रम लॉन्च की थी. इससे पहले वह यूरोप दौरे पर गए थे, जहां वह बेनेडिक्टिन संतों की जीवनशैली और उनके शराब बनाने की सिद्धहस्ता से प्रभावित हुए थे. इसके बाद उन्होंने भारत आकर ओल्ड मंक को बनाया था. 

बता दिं कि वेद रतन मोहन ने बेनेडिक्टिन संतों से प्रभावित होकर ही ओल्ड मंक रम बनाई. जब वो युरोप दौरे पर गए थे तो उन्होंने उनके शराब बनाने के नायाब तरीक को  देखा था. बेनेडिक्टिन संतों के पास वाइन बनाने का नायाब तरीका था. साथ ही उस समय पोषण का मुख्य स्त्रोत भी बीयर ही थी. कहा जाता है यूरोप में वाइन की बादशाहत में बेनेडिक्टिन मंक्स का बहुत बड़ा हाथ है. वहीं से प्रेरित होकर ही उन्होंने ओल्ड मंक रम इजाद की. 

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